बखत बड़ो जादूगर भओ
**********
रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम"
बुंदेली ग़ज़ल
बखत बड़ो जादूगर भओ।
खेल दिखावे रोजई नओ।
.
का-का हुइये, की ने जानी?
बो सब होनें, जो नईं भओ।
.
फिर नइं लौट, हाथ में आने,
निकर हाथ से, गओ सो गओ।
.
बोई फरस से, चढ़ो अरस पे,
जी खों तनक सहारो दओ।
.
"प्रेम" जान गए, जा से कै रये,
भैया, जा से डर के रओ।
.
लेखक परिचय :- नाम - प्रेम प्रकाश चौबे
साहित्यिक उपनाम - "प्रेम"
पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे
जन्म - ४ अक्टूबर १९६४
जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र.
शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल
प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी प्रकाशन, दिल्ली से
अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में कविता, कह...