वो शहर कब हमारा था
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रचयिता : ईन्द्रजीत कुमार यादव
वो शहर कब हमारा था,
वहाँ तो बस बंजारों की तरह गुजारा था,
लाख समंदर था तेरे पास, फिर भी
तेरे कूचे से मैं गुजरा प्यासा था,
ये गुल गुलिस्तां हो तुझे मुबारक,
मुझे तो बस तेरे काँटो का सहारा था।
वो शहर कब हमारा था,
सड़क पर वो बंगला तुम्हारा था,
वो सड़क जो जंगल से होकर गुजरती थी,
उसी विराने में एक छोटा सा मकान हमारा था,
ये रात,ये चाँद, ये ठंडी हवाएं हो तुझे मुबारक,
मुझे तो बस आसमां का चादर और
एक खाट का सहारा था,
वो शहर कब हमारा था,
वो आंधी बेवफ़ाई की जो हर रात आती थी
मेरा घर तोड़ने को, उसके पास पता सिर्फ
हमारा था, ये महफ़िल, ये नगमे, ये शामे रंगीन
हो तुझे मुबारक, मुझे तो बस ये मशान
और एक जुगनु की रौशनी का सहारा था।
लेखक परिचय :-
नाम : ईन्द्रजीत कुमार यादव
निवासी : ग्राम - आदिलपुर जिला - पटना, (बिहार)
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