लोग कर रहे ऐसे काम
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सुभाष बालकृष्ण सप्रे
भोपाल म.प्र.
"आज़ कुछ लोग कर रहे ,ऐसे काम,
हो रहा है जहाँ मेँ,देश मेरा बदनाम,
खबरचियोँ की,ज़ब गल न रही,दाल,
चीख चीख कर गला हो रहा है जाम,
हालत-ए-मुल्क पर त्रास उन्हे न कोई ,
निकाल रहे वो सिर्फ राजनैतिक भडास,
निस्पक्ष पत्रकारिता तो है एक मुखोटा,,
पालते मन मेँ हैँ,वो मलाई की आस,
दिन हवा हुये ज़ब,सफर,हवाई होता था,
हुक्म्ररानोँ के साथ,लवाज़मा भी होता था,
यात्रा कितनी होती,देश हित मेँ,नहीँ पता,
गरीबी की आड मेँ,जश्न अमीरी का होता था.”
लेखक परिचय :-
नाम :- सुभाष बालकृष्ण सप्रे
शिक्षा :- एम॰कॉम, सी.ए.आई.आई.बी, पार्ट वन
प्रकाशित कृतियां :- लघु कथायें, कहानियां, मुक्तक, कविता, व्यंग लेख, आदि हिन्दी एवं, मराठी दोनों भाषा की पत्रीकाओं में, तथा, फेस बूक के अन्य हिन्दी ग्रूप्स में प्रकाशित, दोहे, मुक्तक लोक की, तन दोहा, मन मुक्तिका (दोहा-मुक्तक संकलन) में प्रकाश...