वो समुन्दर है
शिवम यादव ''आशा''
(कानपुर)
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बहुत कुछ खोया है उसने
अपने जीवन की दिनचर्या में
बहुत कुछ सहना सीखा है
महज़ बात को कहने में
आज तूफ़ान हिलोरे लेते हैं
समाज रूपी कुरीतियों में
नहीं डरी हैं मेरी माताएँ
उनको आगोश में लेने में
एक रुप समुन्दर रुपी उनका
मुझे देखने को मिल जाता है
बाबुल का घर छोड़ चलीं
जब पति का घर मिल जाता है
जरा हिचक न दिखती उनमें
अनजाने घर में अपना
दायित्व निभाने में
सच में क्षमता रखती हैं वो
सब कुछ अपने में समाने में
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लेखक परिचय :- आपका नाम शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ''आशा'' है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं, अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !!
काव्य सं...