बात की बात पर चतुष्पदियाँ
रशीद अहमद शेख 'रशीद'
इंदौर म.प्र.
********************
भाव के ज्वार में नहीं बहना।
क्रोध की आग में नहीं दहना।
बात कहना हो जब कहीं कोई,
देर तक आप सोचते रहना।
ग़ुस्से में हो नदी तो किनारों से बात कर।
ग़ायब हो चांदनी तो सितारों से बात कर।
पाबंदियों के ज़ुल्म से चुप हो अगर ज़ुबाँ,
आंखों से,उंगलियों से,इशारों से बात कर।
कठिनाई का हल आवश्यक होता है।
आग लगे तो जल आवश्यक होता है।
केवल बातों से ही बात नहीं बनती,
सीमाओं पर बल आवश्यक होता है।
परिपक्वता विचार में आए तो कुछ कहूँ।
उपयुक्त शब्द भावना पाए तो कुछ कहूँ।
संक्षिप्त सारग्राही सरल शुभ कथनसमूह,
अधरों को अपना मित्र बनाए तो कुछ कहूँ।
सभी की बात सुनी जाए आज।
तर्क की रूई धुनी जाए आज।
अब समस्या नहीं रही बच्ची,
चदरिया हल की बुनी जाए आज।
.
साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’
जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१
जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्र...