मदिरालय
गोविंद पाल
भिलाई, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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राजस्व कमाने का जरिया क्यों शराब में ढूंढते हो?
मौत से जिन्दगी की तुलना क्यों शबाब में ढूंढते हो?
कौन जाने कितनी लाशें दफ्न है इन मदिरालयों में,
तबाह हो चुकी जिन्दगियों में क्या हिसाब ढूंढते हो?
अनाथ हुए मासूमों के चेहरे पर लिखे इबारत पढ़ लो,
क्यों बेकार बेफिजूल इधर-उधर का किताब ढूंढते हो?
पांव में पड़े छाले और दिल में जहाँ आग लगी हुई हों,
बुझाने मानवता का जल चाहिए क्यों तेजाब ढूंढते हो?
माना गाड़ी को चलाये रखने इंधन की जरूरत होती है,
पर पेट के इंधन का समाधान क्यों हिजाब में ढूंढते हो?
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परिचय :-गोविंद पाल
शिक्षा : स्नातक एवं शांति निकेतन विश्व भारती से डिप्लोमा इन रिसाइटेशन।
लेखन : १९७९ से
जन्म तिथि : २८ अक्तूबर १९६३
पिता : स्व. नगेन्द्र नाथ पाल,
माता : स्व. चिनू बाला पाल
पत्नी : श्रीमति दीपा पाल
पुत्र : प्लावनजीत पाल
निवासी : ...