निगाहे इश्क़ में
निज़ाम फतेहपुरी
मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)
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अरकान- मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
कैसी निगाहे इश्क़ में तासीर हो गई।
जिस पर पड़ी नज़र तेरी तस्वीर हो गई।।
निकला न ख़ून जिस्म से घायल हुआ हुँ यूँ।
क़ातिल नज़र थी ऐसी जो शमशीर हो गई।।
बाहों मे बंध के हो गया क़ैदी किसी का मैं।
माला गले की पांव में ज़ंजीर हो गई।।
घर में बचा है कुछ न जरूरत है कुछ मुझे।
दीवानगी मेरी मेरी जागीर हो गई।।
कल तक सभी थे साथी जहाँ में "निज़ाम" के।
तन्हा हूँ आज कैसी ये तक़दीर हो गई।।
परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी
निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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