भारत पथ के हम पथिक
गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी"
बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश)
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ख़ौफ़ नही आंधी-तूफां का
बढ़ते आगे हम हैं, अथक।
अंगारों पर जाते चलते नित
भारत पथ के हम हैं पथिक।।
देश की खातिर मरना सीखा
वीर शहीदों की कुर्बानी से।
दुश्मन से लोहा लेना सीखा
लक्ष्मी बाई महारानी से।।
यह देश है आंखों का तारा
कण-कण लगता स्वर्ग समान।
यह धरती है जननी हमारी
शहादतों से गर्वित श्मशान।।
विंध्य-हिमालय यमुना-गंगा
है जहां हमारे अरमानों के।
खिलते यहां नित सुखद सुमन
देश-धर्म के आख्यानों के।।
देकर लहू जिगर का अपना
रखना यह अमर कहानी है।
त्याग भेद उर से अब सारे
भारत की लाज बचानी है।।
परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी"
निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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