तृषित धरा मुरझाई
मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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तृषित धरा मुरझाई,
चीख़-पुकार मची है।
वृक्ष हरे सभी कटे,
छाया नहीं बची है।।
सोंधी मिट्टी भूले हैं,
बेचारे नौनिहाल।
हालत उनकी खस्ता,
पिचक रहे लाल गाल।।
महँगाई ख़ूब बढ़ी,
बौरा रही शची है।
रहे मौन सज्जनता,
लगते दाँव पर दाँव।
दुर्जन कौवा छत पे,
फैलाता नित्य पाँव।।
भटक रहे अर्थहीन,
क़िस्मत ख़ूब रची है।
दंगा हैं फ़साद भी,
सस्ता ख़ून का रंग।
सूनी है अँगनाई,
फीके सारे प्रसंग।।
तनावों में जीवनी,
नटी जैसी नची है।
परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त स...