विरह अग्नि
मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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विरह अग्नि झुलसाती तन को,
साजन हमें जलाती है।
लौट सजन घर आ जाओ अब,
ऋतु मिलन की सुहाती है।।
बिलखे है शृंगार हमारा,
होंठ अंगारे हो रहे।
मतवाले जब बादल उमड़ें,
बैठे सजन हम रो रहे।।
तन पुरवाई आग लगाती,
याद तुम्हारी आती है।
तार-तार होता है दामन,
मन वृंदावन मुरझाता।
प्रेम-पिपासा बढ़ती जाती,
कौन बता अब बहलाता।।
करें याद क्षण अभिसारों की,
सारी रात जगाती है।
चालें सर्पिल-सर्पिल आहत,
लाल कपोल हुए घायल।
तान सुनाती जब पिक मधुरिम,
मौन रहे पागल पायल।।
आजा सुन अब मनुहारों को,
यौवन धार बुलाती है
परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : न...