विमाता (कैकेयी)
श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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विधाता के संदेश को जानती थीं
नियति थी ये भी ज्ञात था !
अवांछनीय कर दी जायेंगी
ममता की परिभाषा से
विमुख कर दी जाएंगी!
मातृत्व प्रेम से नहीं अपितु
कुमाता रूप मे जानी जाएंगी!
उन्हें दुत्कारा जाएगा
तमाम दोषारोपण
लगाए जाएंगे,
राज काज से बेदखल
कर दी जायेंगी!
आत्मविश्वास की धनी,
कर्तव्य पर अडिग,
ममता की मूरत थीं,
कुशल योद्धा,
उत्कृष्ट राजनीतिज्ञ थीं!!
दो वाचनों का वरदान ले
जिद पर अडी,
राम को मर्यादापुरुषोत्तम
श्री राम बना गईं!!
नारायण के पुनीत
कार्य का आरम्भ बनीं,
युगपत में व्याप्त घोर
असंतोष का अंत कर
रामराज्य लाने
का स्त्रोत बनीं!
राम के वनवास
का कारक बनीं
सम्पूर्ण जगत को
राम नाम का
बीज मंत्र दे गईं!
अधर्म पर धर्म
की विजय हो
स्वयं का जीवन
प्राण विहीन बना गईं!!
कितने क...