शब्दो की खामोशी
सुरभि शुक्ला
इन्दौर (मध्य प्रदेश)
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एक न एक दिन
सब बदल जाते हैं
अपने पराए हो जाते हैं
रिश्ते-नाते टूट जाते हैं
दोस्त-यार छूट जाते हैं
धीरे-धीरे रास्ते
बदल लेते हैं
तुमसे अपने सारे
बंधन तोड़ देते है
हवा चलते-चलते
रुक जाती हैं
कली टूट कर जमीं
पर बिखर जाती है
फूलों से खुशबू
उड़ जाती है
हरी भरी पत्तियां
पीली पड़ जाती है
मुलायम नर्म
घास सूख जाती है
एक दिन उपजाऊ मिट्टी
भी बंजर हो जाती है
हाथों की लकीरें
मिट जाती है
चेहरे पर झुर्रियां
आ जाती है
एक दिन ज़िंदगी
भी धोखा दे देती है
जिस्म से रूह साथ
छोड़ देती है
और मौत अपने
दामन में लपेट लेती है।
ताउम्र के लिए अपना
हमसफर बना लेती है
परिचय :- सुरभि शुक्ला
शिक्षा : एम.ए चित्रकला बी.लाइ. (पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान)
निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश)
जन्म स्थान : कानपुर (उत्तर प्रदेश)
रूचि : ल...