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ग़ज़ल

कोई मुझ पर झुकाव कब देगा
ग़ज़ल

कोई मुझ पर झुकाव कब देगा

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** कोई मुझ पर झुकाव कब देगा। उम्र भर का लगाव कब देगा। अब रहूँ दूर या पास में उसके, इश्क़ इसका चुनाव कब देगा। आ गया हूँ मैं फिर यहाँ बिकने, वो मुझे भाव-ताव कब देगा। इस जमीं के लिए घटाओं को, ये समन्दर बहाव कब देगा। रब मुझे मेरी हर इबादत पर, चैन का रख-रखाव कब देगा। रोग पसरा है इन हवाओं में, वक़्त इससे बचाव कब देगा। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने ...
सुन मेरे छंद मेरे गीत
ग़ज़ल

सुन मेरे छंद मेरे गीत

अखिलेश राव इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सुन मेरे छंद मेरे गीत सुन लो मेरी ग़ज़ल हर पल साथ रहें खिले जीवन में कमल। कभी डूबें कभी तैरें झील से नयनों में तेरे खुशनुमा माहौल जिंदगी आये ऐसा पल। में तेरा फरियाद मजनू तेरा शाहजहां मेरी सीरी मेरी लैला मेरी मुमताज महल। तुझ पे कुर्बान छोटी सी कायनात मेरी तेरी हर राह पे डाले हैं फूल चुन कर। अखिल कहता सारी फिजां तुझी से है नहीं जो तू तो जहां बेजान और गुल। सुन मेरे छंद मेरे गीत सुन लो मेरी ग़ज़ल हर पल साथ रहें खिले जीवन में कमल। परिचय :- अखिलेश राव सम्प्रति : सहायक प्राध्यापक हिंदी साहित्य देवी अहिल्या कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय इंदौर निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परि...
उसे क्या गिला है
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उसे क्या गिला है

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** कहा है बताओ उसे क्या गिला है जहाँ में अकेला मुझे वो मिला है मुझे देख गाते उसे भी बुलाया खुले में गवाओ उसे जो मिला है जवानी दिवानी बनी है कहानी मुझे जो दिया है वही तो मिला है शमा के उजालो मुझे साथ लेलो उजाला दिखाने यही तो मिला है लगाया जिसे है गले से हमारे वही आज तेरे घरों से मिला है नही है भरोसा जिसे जो मिला है जहाँ में हमारे सभी को मिला है परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरच...
हवाएँ
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हवाएँ

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** हवाएँ चली है ये कैसी जहाँ की। घड़ी है सभी के लिये इम्तिहाँ की। मुसाफ़िर सरे आम थकने लगे हैं, बड़ी तेज रफ़्तार है कारवाँ की। परों की हिफाज़त है करना ज़रूरी, उड़ाने रहेगी तभी आसमाँ की। जो महफ़ूज होकर खिले थे चमन में, नज़र लग गयी है उन्हें बागबाँ की। हिफाज़त रहेगी उसी की चमन में, रहे कैद में जो अपने मकाँ की। बने कोई अपना, भले हो पराया, ज़रूरत है सबको उसी मेहरबाँ की। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां...
यहां दुश्मनी शिद्दत से निभाई जाती है
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यहां दुश्मनी शिद्दत से निभाई जाती है

धीरेन्द्र कुमार जोशी कोदरिया, महू जिला इंदौर म.प्र. ******************** यहां दुश्मनी शिद्दत से निभाई जाती है। पर हमें ये ढाई घर चाल कहां आती है? उफ वो लहराते बाल, वो बल खाती चाल, वल्लाह ये कातिल अदाएं कहां से लाती है? वो बनके चांद निकलती हैं मेरे सपनों में, उनके खयालों में हमें नींद कहां आती है? ये उल्फत भी कम नहीं किसी बीमारी से, कभी ये हंसाती है तो कभी रुलाती है। पराई आग में हाथ जलाने का बड़ा शौक है, मत भूल ये दुनिया जले पे नमक लगाती है। बड़े भंवर जाल हैं इस जीवन धार में धीरज, ये सफीने को किनारे पे लाकर डुबाती है। परिचय :- धीरेन्द्र कुमार जोशी जन्मतिथि ~ १५/०७/१९६२ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म.प्र.) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम. एससी.एम. एड. कार्यक्षेत्र ~ व्याख्याता सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा, सामाजिक कुरीतियों और अंध...
जिएँ हम ज़िन्दगी कैसे
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जिएँ हम ज़िन्दगी कैसे

शरद जोशी "शलभ" धार (म.प्र.) ******************** जिएँ हम ज़िन्दगी कैसे हमें तदबीर लिखना है। हमारे हाथ से अपनी हमें तक़दीर लिखना है।। जिगर में दर्द, आँसू आँख में, है लब पे ख़ामोशी। हमारी ज़िन्दगी अब ग़म की है तस्वीर लिखना है।। निगाहें फेर ली जिसने समझ कर अजनबी मुझको। उसी के हक़ में अब मुझको तो इक तहरीर लिखना है।। वो मुस्लिम हैं मगर रब को कभी सिज्दा नहीं करते। उन्हीं के वास्ते मुफ़्ती को कुछ ताज़ीर लिखना है।। तुम्हें तो ख़्वाब में आना था आकर चल दिए लेकिन। हमारे ख़्वाब की हमको अभी ताबीर लिखना है।। मुहब्बत की ही दौलत है मिरे दिल के ख़ज़ाने में। तुम्हारे नाम अपनी आज ये जागीर लिखना है।। रहा करते "शलभ" जो यार की धुन में हमेशा गुम। हमें ऐसे ही दीवानों की अब तासीर लिखना है।। परिचय :- धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी "शलभ" कवि एवंं गीतकार हैं। विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार- राष्ट्रीय हिंद...
कभी काश हमारे होते
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कभी काश हमारे होते

बबली राठौर पृथ्वीपुर टीकमगढ़ (म.प्र.) ******************** २८- मापी मेरे तुम कि जीवन में कभी काश हमारे होते और कभी सुख के साए भी काश हमारे होते ये आज मेरी जो जिन्दगी में गम, दर्द, घाव हैं ना होते ये जख्म आप जो काश हमारे होते ना साथ है ये किस्मत और तकदीर मेरी सजन जला तदबीर हाथों दिल तुम काश हमारे होते खुदा जाने है मेरी हर वो बात मुहोब्बत की करती हूँ इबादत की आप काश हमारे होते तुमसे जन्म-जन्म से की ख्वाईश थी हमारी ना अरमां बिखरते तुम अगर काश हमारे होते परिचय :- बबली राठौर निवासी - पृथ्वीपुर टीकमगढ़ म.प्र. घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख,...
जियो जिंदगी
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जियो जिंदगी

अनूप कुमार श्रीवास्तव "सहर" इंदौर मध्य प्रदेश ******************** जियो जिंदगी जीत दुनिया को लो, बात ख़ुदा की चलें बंदगी जीत लो। इतनी तन्हाई यहां है किसके लिए, बंद पलकों में मंजर सभी खींच लो। फूल उसका बदन तीखें जैसें नयन अंजुरी अंजुरी सी उतरी मेरे सपन। एलौरा की दिवारों में अब उकेरो उसे, मन अंजता में उसको बसालों जरा। बंद पलकों में मंजर सभी खींच लो, जैसे चन्दन से जग सारा यें सींच लों। यतन के जतन भी बहुत खूब किए गुनगुनानें की खातिर कोई गीत लों। बांसुरी राधा बजाएं कहीं श्याम की पीर भुलाने की खातिर यहीं प्रीत लों। परिचय :- अनूप कुमार श्रीवास्तव "सहर" निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन...
ग़म भुलाने की
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ग़म भुलाने की

अनन्या राय पराशर संत कबीर नगर (उत्तर प्रदेश) ******************** ग़म भुलाने की बात क्यों ना करें मुस्कुराने की बात क्यों ना करें अपनी तहज़ीब है रिवायत है हम ज़माने की बात क्यों ना करें क्या ये शिकवे ज़ुबां पे रखते हैं दिल चुराने की बात क्यों ना करें बैठकर साथ हम बुजुर्गों के घर घराने की बात क्यों ना करें वो जो मरता है मेरी बातों पे उस दीवाने की बात क्यों ना करें बात क्यों कर हो आंधियों की भला आशियाने की बात क्यों ना करें इतनी ख़ामोशियां भी अच्छी नहीं गुनगुनाने की बात क्यों ना करें परिचय :- अनन्या राय पराशर निवासी : संत कबीर नगर (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, रा...
तुम मेरी ज़द से
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तुम मेरी ज़द से

विवेक सावरीकर मृदुल (कानपुर) ****************** तुम मेरी ज़द से अक्सर जरा-सी कम रही कोशिशें पर मैंने की ये खुशी भी कम नहीं औरों की बेबसी पर आती है उनको हँसी झेल सकें हालात दो पल को भी दम नहीं उनपे हौसला न था, हम किस्मत के मारे थे वगरना हमने पेशनगोई, की कोई कम नहीं कब तलक रोते रहोगे, जख्म़ सहलाते हुए मुस्कुराओ इससे, बढ़कर कोई मरहम नहीं नेकियों का साथ मिल रहा है मुसलसल बदी करने वालों तुम इतने भी तुर्रम नहीं . परिचय :-  विवेक सावरीकर मृदुल जन्म : १९६५ (कानपुर) शिक्षा : एम.कॉम, एम.सी.जे.रूसी भाषा में एडवांस डिप्लोमा हिंदी काव्यसंग्रह : सृजनपथ २०१४ में प्रकाशित, मराठी काव्य संग्रह लयवलये, उपलब्धियां : वरिष्ठ मराठी कवि के रूप में दुबई में आयोजित मराठी साहित्य सम्मेलन में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व, वरिष्ठ कला समीक्षक, रंगकर्मी, टीवी प्रस्तोता, अभिनेता के रूप में सतत कार्य, हिंदी और मराठी दो...
ख्वाब नही आते अब रातों में
ग़ज़ल

ख्वाब नही आते अब रातों में

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** ख्वाब नही आते अब रातों में असर तो है आपकी बातों में लड़ता भिड़ता हूँ हालात से थक के चूर सोता हूँ रातों में जीने का सबक सिखा गया हँसते-हँसते, बातों-बातों में आओ आज जुर्म करते है लोगो के दर्द चुराते है रातों में काश की तू मुझे समझ पाता तुझे यकीन लोगो की बातों में सच हमेशा मीठा नही होता तू घिरा रहा मीठी-मीठी बातों में आओ मिल कर ढूढ़ते है उसे जो खोया हमने कड़वी बातों में नफरतों से भरे पड़े है सब प्यार ही नही किसी खातों में अंधेरा हर सिम्त पसरा है दोस्त दहलीज़ पर दिया जलाए रातों में तेरी याद शिद्दत से आती है देखता हूँ जब सितारें रातों में मुंतज़िर हूँ लौट आ, धैर्यशील, रूठा जो तू मुझसे बातों-बातों में परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के...
नई उर्जा नया संबल
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नई उर्जा नया संबल

अख्तर अली शाह "अनन्त" नीमच (मध्य प्रदेश) ******************** नई उर्जा नया संबल, तेरी मुस्कान देती है। खुशी के यूँ मुझे दो पल, तेरी मुस्कान देती है।। तुझे बस देखने से दिल, मेरा तस्कीन पाता है। समंदर में नई हलचल, तेरी मुस्कान देती है।। उदासी दूर करती है, नए अरमां जगाती है। रवानी खून में अविरल, तेरी मुस्कान देती है।। तेरे रुखसार पे लाली, बनी जब धूप छाती है। मुझे गर्मी ए दिल निश्चल, तेरी मुस्कान देती है।। तेरे मादक नयन जिस दम, मये उल्फत पिलाते हैं। दवा तब होश की चंचल, तेरी मुस्कान देती है।। अकेला हार कर जब मैं, सभी हथियार रखदेता। अचानक ढेर सारा बल, तेरी मुस्कान देती है।। मुझे संजीवनी दे दे, जरा पर्दा उठा जालिम। "अनंत" कोये जीवन जल, तेरी मुस्कान देती है।। परिचय :- अख्तर अली शाह "अनन्त" पिता : कासमशाह जन्म : ११/०७/१९४७ (ग्यारह जुलाई सन् उन्नीस सौ सैंतालीस) सम्प्रति : अधिवक्ता पत...
खेलन को होली
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खेलन को होली

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************************** खेलन को होली आज तेरे द्वार आया हूँ। खाकर के गोला भांग का मैं यार आया हूँ।। मानो बुरा न यार है त्यौहार होली का। खुशियाँ मनाने अपने मैं परिवार आया हूँ।। छिपकर कहाँ है बैठा जरा सामने तो आ। पहले भी रंगने तुझको मैं हर बार आया हूँ।। चौखट पे तेरे आज भी रौनक है फाग की। शोभन में पाने प्यार मैं सरकार आया हूँ।। होली निज़ाम खेल के मस्ती में मस्त है। कुछ तो करो कृपा तेरे दरबार आया हूँ।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां,...
आपके श्रृंगार को
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आपके श्रृंगार को

अनूप कुमार श्रीवास्तव "सहर" इंदौर मध्य प्रदेश ******************** रूप का जादू होतुम जादुई मिज़ाज है कितनें दर्पन तरसतें आपके श्रृंगार को। गीत इतनें वावलें नमन के लिए किस विरही वेदना के उपहार को। मूक हो जाता मौसम यूं कैसीं छटा इंद्र धनुषीं परिकल्पना मनुहार को। एक तुम अनभिज्ञ सीं अंजान सीं एक ये विवशता मन में उदगार को। देर तक नींदे लुटाई दोनों ने दोनों तरफ बाद में इलज़ाम आया तन्हा दीवार को। उस दिन भी सहमें बादल थें नयन में अश्रु पूरित क्षण मिलें थें पुरस्कार को। मूक हो जाता मौसम यूं कैसीं छटा इंद्र धनुषीं परिकल्पना मनुहार को। एक तुम अनभिज्ञ सीं अंजान सीं एक ये विवशता मन में उदगार को। देर तक नींदे लुटाई दोनों ने दोनों तरफ बाद में इलज़ाम आया तन्हा दीवार को। उस दिन भी सहमें बादल थें नयन में अश्रु पूरित क्षण मिलें थें पुरस्कार को। इश्क़ किस तरंह से सर चढ़ता है सौंप दी आशिकी जैसें बुखा...
रंग का त्यौहार आया
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रंग का त्यौहार आया

अख्तर अली शाह "अनन्त" नीमच (मध्य प्रदेश) ******************** रंग का त्यौहार आया, खेलने दे यार रंग। भर रहा चाहत के नक्शे, में नया फिर प्यार रंग।। अपने रुखसारों को रंगने, दे मुझे भी प्यार से। हसरतों का दिल की मेरे, कर सके इजहार रंग।। प्यार के बीमार को, रंग दे तू अपने रंग में। यार यह एहसान कर दे, डाल दे एक बार रंग।। आज फिर रंगीन कर दे, इस तरह जीवन मेरा। याद सदियों तक रहे, यूं खेलना पल चार रंग।। मुस्कुराहट जिंदगी की, हमसफ़र बन जाएगी। आप जो खेलेंगे मेरे, साथ में सरकार रंग।। हम हुए शोला बदन, जैसे हो जंगल में पलाश। राख हो जाने से पहले, खेल लें दिलदार रंग।। तू मुझे उस रंग में अब, भीग जाने दे "अनन्त"। जो मोहब्बत घोलकर, तूने किया तैयार रंग।। परिचय :- अख्तर अली शाह "अनन्त" पिता : कासमशाह जन्म : ११/०७/१९४७ (ग्यारह जुलाई सन् उन्नीस सौ सैंतालीस) सम्प्रति : अधिवक्ता पता : नीमच जिला- नी...
मेरी उसकी बातें
ग़ज़ल

मेरी उसकी बातें

अनूप कुमार श्रीवास्तव "सहर" इंदौर मध्य प्रदेश ******************** मेरी उसकी बातें होती, कमरे में वीरानी हैं । चौखट से लौटा के आएं, शहर के सब पहचानें चेहरे। अंजाना अब खुद में हूं, आइने की निगरानी हैं। बिखरीं बिखरीं कविताएं, ग़ज़लें, नज्में सब भींगी भींगी, आंखों से अब बह निकलेंगे, किस बरसात का पानी हैं। स्याह दीवारों के साये में, तुम आये भी मुस्कायें भी। जहां छनकती हो पायल, दिल रोयें तो बेईमानी हैं। ख़त उसने लिखें कितनी दफें, कितनें तह तह करके फेकें। इक लफ्ज ने जादू कर डाला, इतनी राम कहानी हैं। परिचय :- अनूप कुमार श्रीवास्तव "सहर" निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच प...
सबने टोका हमको
ग़ज़ल

सबने टोका हमको

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** अक्सर सबने टोका हमको अपने हर हालातों में। आ जाते हैं हम लोगों की चिकनी-चुपड़ी बातों में। बात नहीं है ऐसी कोई जो हमको कमजोर करे, लेकिन हमने मात उठाई आकर कुछ जज्बातों में। तूफ़ानों की चर्चाएँ की समझा मेघों का गर्जन, छतरी ताने निकले फिर भी सावन की बरसातों में। इक जुगनू का पीछा करते रस्ता इतना पार किया, आख़िर भटके फिर भी हम तो चाँद खिली इन रातों में। सबका मज़ा-मज़ा था उसमें ,जाने जिस पर बीत रहीं, हाल हमारा वैसा जैसे दूल्हों का बारातों में। रोज़ यहाँ के लोग हमारी बेबाक़ी पर हँसते हैं, जीभ हमेशा कट जाती है रहकर बत्तीस दाँतों में। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक...
दिखाकर वो छुपाना चाहता है
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दिखाकर वो छुपाना चाहता है

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** दिखाकर वो छुपाना चाहता है। मुझे फिर आज़माना चाहता है। निशाने पर सभी के आज में हूँ, कि किस-किस से बचाना चाहता है। घड़ी भर दिल्लगी में साथ रहकर, वो मुझपे हक जताना चाहता है। जताया है मुझे उसने सितमग़र, मुझे फिर से मनाना चाहता है। जो ग़ज़लें पहले गाकर छोड़ दी है, उन्हें फिर गुनगुनाना चाहता है। हवा और मौज के इस इम्तिहाँ में, परिंदा पर उठाना चाहता है। निभाता है जिन्हें वो दूसरों से, उन्हें मुझसे निभाना चाहता है। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचन...
तुमईं न्यारे हो गए
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तुमईं न्यारे हो गए

प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" विदिशा म.प्र. ******************** बेटा, तुमईं न्यारे हो गए। कैसे भाग, हमारे हो गए। भई सुसरार प्यारी तुम खों, हम तो, बिना सहारे हो गए। हम जानत्ते, सूरज बनहौ, तुम तो, बदरा कारे हो गए। चीर कलेजो मां को डारौ, बेटा, तुम तो आरे हो गए। पाल-पोस कै, बड्डे कर दये, मोड़ा-मोडिन वारे हो गए। पिता तुम्हारे, हते सहारे, बे ई "राम खों प्यारे" हो गए। "प्रेम" खौं बंद, गैर खौं खुल रये, ऐसे कैंसे द्वारे हो गए? परिचय :-  प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ - "पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना,...
साथ मेरी जो राह कर लेता
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साथ मेरी जो राह कर लेता

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** साथ मेरी जो राह कर लेता। मैंभी उससे निभाह कर लेता। मानता मैं नहीं भले अपनी, साथ उसके सलाह कर लेता। गीत कोई जो गुनगुनाता वो, मैं उसे अपनी आह कर लेता। देखकर पास से कहीं उसको, रोज़ कोई गुनाह कर लेता। चाँद जो हाथ में नहीं आता, मैं सितारों की चाह कर लेता। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्...
बीच राह में छोड़कर
ग़ज़ल

बीच राह में छोड़कर

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ******************** बीच राह में छोड़कर जाने के लिए शुक्रिया दर्द दे दे के मुझको रुलाने के लिए शुक्रिया। मंजिल मुझे मिल ही गई जैसे-तैसे ही सही मेरी राह में कांटे बिछाने के लिए शुक्रिया। समय से सीख रखी थी तैराकी मैंने कभी साजिशन मेरी नाव डुबाने के लिए शुक्रिया। मेरा सबकुछ लुटा हुआ है पहले से ही यहां मेरे घरौंदे में आग लगाने के लिए शुक्रिया। दुख दर्द तुम न देते तो कलम चलती नहीं ग़म-ए-घूँट मुझको पिलाने के लिए शुक्रिया। परिचय :- आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका व दूरदर्शन तक पहुँचा दीया। कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित युवा कवि...
बेवजह रोने की वजह बता
ग़ज़ल

बेवजह रोने की वजह बता

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** बेवजह रोने की वजह बता मत छुपा घुटन बता बता जुल्म सहता ही चला गया कोई है जो इसकी खता बता वो जिया सिर्फ तेरी आस में वादा पूरा किया तूने बता बता नाजुक होती है यकीन की डोर तुझ पर किया यकीन खता बता किसी से इतना न खेलिए जनाब मौत पूछने लगे उसका पता बता टूट टूट के बिखरा, धैर्यशील, वो पूछे क्या बचा है बता बता परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, क...
दरदर का बना दिया जिसको
ग़ज़ल

दरदर का बना दिया जिसको

अख्तर अली शाह "अनन्त" नीमच ******************** दरदर का बना दिया जिसको, बेघर वो मजा चखाएगा। धरने पर बैठा अब तक जो, हलधर वो मजा चखाएगा।। सर्दी की ठिठुरन से खेला, मौसम का कहर बहुत झेला। टप-टप टपका जो दर्दों का, छप्पर वो मजा चखाएगा।। खुरदरे वक्त के पत्थर ने, नादानो धार जिसे दी है। मिलते ही मौका देखोगे, खंजर वो मजा चखाएगा।। तूफान समेटे रहता है, मत खेलो गहरे दिल से तुम। उफना तो मातम पसरेगा, सागर वो मजा चखाएगा।। बच्चों की खुशियों के आगे, हर बाधा बोनी होती है। जो शपथ उठाई है उसका, हर अक्षर मजा चखाएगा।। जिद की सत्ता ने सड़कों पे, इतिहास लिखा खूँ से अक्सर। घायल दिल को जो चीरगया, नश्तर वो मजा चखाएगा।। अभिमान नहीं अच्छा होता, उड़ने वालों ना भूलो ये। पगड़ी जब जूतों में होगी, मंजर वो मजा चखाएगा।। कमजर्फ जिसे तुमने समझा, पर काट अपाहिज कर डाला। "अनंत" देखना तुम्हें कभी, बेपर वो मजा चखाएगा।...
माँ की दुआएं
ग़ज़ल

माँ की दुआएं

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** घर से सफर करने निकलना हो। माँ को जहन में रख निकला करो। विघ्न कभी ना आएंगे जिंदगी में। माँ की दुआएं ले विदा हुआ करो।। किस्मत से अगर माँ हम को है नसीब। सोते उठते माँ की जियारत किया करो।। माँ को धन-दौलत की नहीं है तलब। माँ खुश है, माँ को माँ कह पुकारा करो। जन्नत खुद-बा-खुद माँ के कदमों में है। ये मौका "नाचीज" कभी छोड़ा ना करो।। परिचय :- मईनुदीन कोहरी उपनाम : नाचीज बीकानेरी निवासी - बीकानेर राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी मे...
जब हमारे नज़र आ गए
ग़ज़ल

जब हमारे नज़र आ गए

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** जब हमारे नज़र आ गए। हम उधर से इधर आ गए। चोंकना उनका वाज़िब है, हम यहाँ बेख़बर आ गए। आसमाँ को भी झुकना पड़ा, जब इरादों को पर आ गए। फूल खिलते रहे राह में, हाथ में वो हुनर आ गए। एक आहट मिली गाँव की, हम शहर छोड़कर आ गए। राह तो दिख रही थी मगर, मन में डर इस क़दर आ गए। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्...