Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

हिन्दी शायरी

तन्हाइयों का आलम
हिन्दी शायरी

तन्हाइयों का आलम

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** होता है वाकई तन्हाइयों का आलम बुरा दिलों को डुबोती है, उतराती है, गम के समंदर में दिल जिगर तनहाई में जीत सको तो जाने पाएंगे कहां ऐसा समा ये नजारे। घबराते नहीं कसमे वादे से तहे दिल से चाहने वाले चलतें है साथ तब तक, जब तक जिंदगी साथ चले। शेर बब्बर ना करना गम, कसमे वादे तोड़ कर किसी का तड़पें गा दिल दिलो जिगर याद रखना। गुजर जाएगा शमा उदासी का, ए दिल तू गम ना कर फिर मिलेंगे हर लम्हा, इंतजार करते-करते। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों क...
चाँद से मुलाक़ात!
हिन्दी शायरी

चाँद से मुलाक़ात!

रामकेश यादव काजूपाड़ा, मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** इश्क में कोई शिड्यूल कास्ट नहीं होती, इसमें कोई छुआछूत की बात नहीं होती। जवां दिल मचल जाता है कहीं पर यूँ ही, पर दिन में चाँद से मुलाक़ात नहीं होती। जिस्म तन्हा, बेचारा जां भी तन्हा क्या करे, छाती हैं काली घटाएँ, बरसात नहीं होती। टुकड़े-टुकड़े में बीत जाता है दिन अपना, मगर मुझसे अब वो खुराफ़ात नहीं होती। हुस्न की पनाह में इश्क लेता है साँसें, उस संगमरमरी बदन की जात नहीं होती। जिस सूरत को मैंने देखा कहीं और नहीं, बात इतनी है उससे मुलाक़ात नहीं होती। कुदरत हमारी जरुरत की हर चीज बख्शी, लोग रहते घमंड में, बस बात नहीं होती। कत्ल कर देती हैं बिना तलवार से नजरें, दूर-दूर रहने से रंगी रात नहीं होती। प्यार के कितने भी टुकड़े तुम कर डालो, मगर उसकी चाहत कभी कम नहीं होती। मजे में रहो औ खुश रहो ऐ...
दरख़्त के साए में
हिन्दी शायरी

दरख़्त के साए में

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** दरख़्त के साए में बैठे हैं मंजिल को तलाशते हैं राह के सफर में मंजिल का आशियां कहां दरख्तों के साए सी लंबी उम्र है शाम के धुंधलके में साये बोझिल कहां नफरतों के साए में दिन-रात निकलते हैं अपना किसे कहें हम वे बर्फ से पिघलते हैं कहने को कहते हैं हम आपके हैं हरदम समंदर की लहरों सी करवट जो बदलते हैं घुमा क्या करें उनकी निगाहों का। दिन रात जो नश्तर चुभोते है। दरख़्तों के कांटों में पत्ते तलाशते हैं गुल की जगह हम गुलिस्ता तलाशते हैं कहने को कहते हैं सब गुलिस्ता बयां अपना मंजर देख जमी की खाक तलाशते हैं। गुजर जाएगा समा उदासी का ए दिल तू गम ना कर फिर मिलेंगे हर लम्हा इंतजार करते-करते। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता...
जहां में ख़ुदा
हिन्दी शायरी

जहां में ख़ुदा

सुखप्रीत सिंह "सुखी" शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** जहां में ख़ुदा - ऐ - बंदगी अजीब देखी गरीबी में संस्कारों की संजीदगी अजीब देखी और साया क्या फटा गरीबी में किसी गरीब का यहां लोगों की आंखों में गन्दगी अजीब देखी परिचय :-  सुखप्रीत सिंह "सुखी" निवासी : शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻 ...
ख्याल रखना
हिन्दी शायरी

ख्याल रखना

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** किस्मत कहिए अपनी कि रास्ता साथनिभा रहा है होते हुए हम सफर भी फिर भी अकेला जा रहा हूं प्यार की सौगात बड़े मुश्किल से मिलती है जिंदगी प्रेम बिना मुश्किल से कटती हैं यारों की याद आते ही कहर बरपाती है तन्हाई बहारे आते-आते तनहाई में तब्दील हो जाती है जिंदगी के चंद् लम्हों को याद रखना ख्वाबों के दरख्तो पर ना जाना है दोस्त जमी पर खाके सुपुर्द का ख्याल रखना ख्याल रखना कि हम सब इंसान हैं खुदा के बंदों का ख्याल रखना परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों...
कोई तुमसे सीखे
हिन्दी शायरी

कोई तुमसे सीखे

रमेशचंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** प्यार जताना कोई तुमसे सीखे ! बात बनाना कोई तुमसे सीखे ! भूली बिसरी बातें याद दिलाकर कितना सताना कोई तुमसे सीखे ! आंखों आंखों में बतिया अक्सर राज उठाना कोई तुमसे सीखे ! अपना बनकर बेगाना बन जाना झूठा याराना कोई तुमसे सीखे ! कठपुतली बना मध्यांतर पहले परदा गिराना कोई तुमसे सीखे ! कभी राग दरबारी तो मेघमल्हार साज सजाना कोई तुमसे सीखे ! सीढ़ियों सा इस्तेमाल करके फिर आंखें बताना कोई तुमसे सीखे ! मासूमियत भरी कातिल अदाओं से पलकें झुकाना कोई तुमसे सीखे ! भरे बाजार बदनाम करके हंसकर नजरें चुराना कोई तुमसे सीखे ! परिचय : रमेशचंद्र शर्मा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय ह...
चिंदी चोर बजाज हो गए
हिन्दी शायरी

चिंदी चोर बजाज हो गए

रमेशचंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** चिंदी चोर बजाज हो गए ! चूहों जैसे मिजाज हो गए ! कतरनों की जुगाली करते चमचों के रिवाज हो गए ! गिद्धों कौओं चील झपट्टा उनके ऊंचे परवाज हो गए ! भंडारे जीमते जाजमपर टके सेर अनाज हो गए ! हरकारे मांगते हकदारी कुछ फकीर नवाज हो गए ! खिदमत की नुमाइश करते चोरों के सरताज हो गए ! बचा खुंचा बीन चाटकर खबरों के मोहताज हो गए ! चौपाए सी करते जुगाली नाली में सुर्खाब हो गए ! चंदो की चंदी चरित्रहीन शाही जिनके अंदाज हो गए ! कोल्हू के बैल आंखों पट्टी गुमनाम थे गुलनाज हो गए ! खबरों की खबर रखना सीखो छछूंदर माथे सिरताज हो गए ! नीम हकीम खतरा ए जान झोलाछाप के इलाज हो गए ! परिचय : रमेशचंद्र शर्मा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कवि...
ज़ख्म
हिन्दी शायरी

ज़ख्म

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** ज़ख्म सबके बराबर हैं, तेरे हों या मेरे हों, रेशमी ताकत भी यहां, मजबूर है बताना चाहती थी। चारों तरफ खोफ़ है,सन्नाटा है पर, यकीनन बिखरे हुए पत्तों को जोड़ना चाहती थी। मां आसुओं की पहचान रखती है, दो दिन पहले भी बहे हों तो जान लेती है। वही है जो जिंदगी के हर दर्द जानती है। हर रिश्ते तराशने के गुर जानती है। कोई दौलतमंद नहीं है, और न कोई रंक है। सब सिकंदर हैं यहां वो ये बताना चाहती थी।   परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐंकर, लेख, लघुकथा, लेखन आदि का पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी ...