कहाँ है आजादी
सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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ये कैसी आज़ादी है?
जहां हमें तो कोई आज़ादी ही नहीं है,
कदम-कदम पर अंकुश है
नियमों की बंदिशें, कानूनों का डर है
अपराध, हिंसा की न छूट है
साम्प्रदायिक दंगा फैलाने की भी कहाँ आज़ादी है?
लूटमार, हत्या, बलात्कार की बात क्या करें
भ्रष्टाचार, बेईमानी और धोखाधड़ी की भी
तो तनिक न छूट है।
सब कहते हैं देश शहीदों की शहादत से मिला है,
तो भला इसमें मेरा क्या दोष है?
उन्हें शहीद होने का कीड़ा कुलबुलाया था
पर शहीद होकर भला क्या पाया था,
कौन याद करता है आज उन्हें
ईमानदारी से कोई तो बताए हमें।
वे सब सिर्फ़ औपचारिकता वश ही याद किए जाते,
बहुत हुआ तो पुतला बनाकर खड़े कर दिए जाते हैं
सौ दो सो मीटर जगह घेरने के अलावा
सिर्फ धूल-धक्कड़ से नहाते हैं ,
जाड़ा, गर्मी, बरसात सहकर हर समय तने रहते हैं,
हमें लगता वे अभी तक श...