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हास्य

कहाँ है आजादी
हास्य

कहाँ है आजादी

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** ये कैसी आज़ादी है? जहां हमें तो कोई आज़ादी ही नहीं है, कदम-कदम पर अंकुश है नियमों की बंदिशें, कानूनों का डर है अपराध, हिंसा की न छूट है साम्प्रदायिक दंगा फैलाने की भी कहाँ आज़ादी है? लूटमार, हत्या, बलात्कार की बात क्या करें भ्रष्टाचार, बेईमानी और धोखाधड़ी की भी तो तनिक न छूट है। सब कहते हैं देश शहीदों की शहादत से मिला है, तो भला इसमें मेरा क्या दोष है? उन्हें शहीद होने का कीड़ा कुलबुलाया था पर शहीद होकर भला क्या पाया था, कौन याद करता है आज उन्हें ईमानदारी से कोई तो बताए हमें। वे सब सिर्फ़ औपचारिकता वश ही याद किए जाते, बहुत हुआ तो पुतला बनाकर खड़े कर दिए जाते हैं सौ दो सो मीटर जगह घेरने के अलावा सिर्फ धूल-धक्कड़ से नहाते हैं , जाड़ा, गर्मी, बरसात सहकर हर समय तने रहते हैं, हमें लगता वे अभी तक श...
सरकार मज़े में है ….!
कविता, हास्य

सरकार मज़े में है ….!

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ******************** फूल मज़े में है खार मज़े में है झुठ्ठों का कारोबार मज़े में है। जिसे पहन कर भागे थे वह बाबा की सलवार मज़े में है । बढ़े हैं चोर उचक्के जबसे रहता थानेदार मज़े में है। औने-पौने फसल खरीदी कर व्यापारी व व्यापार मज़े में है सौ का ठर्रा पी के सो जाता है रहता पल्लेदार मज़े में है। मध्यम वर्ग का लहू पी कर रहती है ये सरकार मज़े में है। जनता को चूना लगाकर नेताओं का रोजगार मज़े में है। परिचय :- आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका व दूरदर्शन तक पहुँचा दीया। कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्मा...
जीवन की भूल
हास्य

जीवन की भूल

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** इधर पांच राज्यों में चुनावी तारीखों का एलान हुआ, नेताओं में खुशियां थीं पर मेरा बुरा हाल हुआ। एक एक करके कई बड़े नेताओं का फोन पार्टी स्टार प्रचारक का आफर के साथ आया मैं हैरान परेशान हो गया ये सब क्या से क्या हो गया। अब इन सबको समझाना मुश्किल हो रहा था स्टार प्रचारक बनकर क्या झंडा हिलाना है। मैंने भी दिमाग चलाया एक को अपने जाल में फंसाया बड़े बुद्धिमान हो तो मुझे पार्टी का चेहरा बनाओ कहीं से भी चुनाव लड़वाओ मेहनत करोगे तो जीत ही जाऊंगा, मुख्यमंत्री बनाओगे तो दूसरी पार्टी के विधायकों को तोड़ लाऊंगा। पहले करोड़ों का खुला आफर दूंगा फेल हुआ तो धमकियां दूंगा, कुर्सी के लिए दो चार विकेट भी लेना पड़ा तो ले लूंगा, बिल्कुल नहीं शरमाऊँगा पर मुख्यमंत्री तो मैं ही बनूंगा। मेरा आफर...
झूठ
हास्य

झूठ

राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** इस जहां का एकमात्र शाश्वत सत्य है झूठ, जी हां झूठ, जिसे साबित करने के लिए न पत्ते बचते हैं, न डाली बचती है और न ठूंठ, गपोड़ काल से हंसोड़ काल तक, कपोल काल से ढपोर काल तक, सर्वत्र रहा है झूठ, झूठ बोलता है आस्तिक भी, बोलता है नास्तिक भी, और बोलता है वास्तविक भी, इस पर किसी की मिल्कियत नहीं है, जो है जैसा है सब यहीं है, वैसे ये सभी को बोलने चाहिए, मुंह सबको खोलने चाहिए, एक दुखिया भी, और देश का मुखिया भी, सब झूठ बोलने के लिए स्वतंत्र है, बोलेंगे भई भले ही देश में गणतंत्र है, क्या मंत्री क्या संतरी, क्या मौनी क्या जंतरी, झूठ सबका है, जिस पर यकीन करने वाला अंधभक्त, मध्यम व गरीब तबका है, बोलो बोलो खुलकर बोलो, देश में बोलो, परदेश में, करो दिन की शुरुआत या रात्रि का खात्मा, बस झूठ में ही बसा लो खु...
चलो चांद की ओर
हास्य

चलो चांद की ओर

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** ये क्या कर रहे हो यार अभी-अभी तो चंद्रयान पहुँचा ही है और आपके मुंह में भी पानी आने लगा, कम से कम कुछ सभ्यता सीखो, मानवता दिखाओ। अभी थोड़ा इंतजार तो करो अपने सब्र का जिगरा तो दिखाओ। अभी चंद्रयान को ही मामा की आवभगत का भरपूर आनंद तो लेने तो, मामा के बात व्यवहार औकात का कुछ पता तो लगने दो, इतना न हड़बड़ाओ, नग्नता पर न उतर आओ अपनी धरती मां का अपमान तो न कराओ इतना भुक्खड़ हो ये चंदा मामा से छिपाओ शरीफ भांजे बनकर तो दिखाओ। क्या पता मामा का रहन सहन घर बार कैसा है? इतना पता तो लगने दो चंद्रयान की चिट्ठी तार, स्क्रीन शॉट तो आने दो मामा को भी इतना तो मौका दो कि वे हमारे खाने पीने रहने का इंतजाम तो कर सकें। ऐसी भी जल्दबाजी न करो कि हमें बेशर्म मानकर रुठ जायें खाने-पीने के नाम ...
याद किए जायेंगे
हास्य

याद किए जायेंगे

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** बहुत दिनों से सोच रहा हूं मैं भी एक राजनीतिक पार्टी बना लूं सबसे ईमानदार मुख्यमंत्री भैया को अपना राजनीतिक गुरु बनाकर उन्हीं की पार्टी से गठबंधन भी कर लूं। सरकार बनी तो मंत्री बन ही जाऊंगा। फिर तो अपने भी वारे न्यारे होंगे लालबत्ती के साथ भ्रष्टाचार, घोटाले दोनों हाथ करेंगे। वैसे तो मुझे जैसे ईमानदार कभी पकड़ में नहीं आयेंगे पकड़ गए तो भी गम नहीं तिहाड़ जाकर भी मंत्री पद की सुख सुविधा और भौकाल से लुत्फ उठाएंगे भैया मुख्यमंत्री होंगे, वे थोड़ी हटायेंगे। उनकी छत्रछाया में रहकर राजनीति के सारे दांवपेंच भी सीख ही जायेंगे। सुख से जीवन जीने के सब हथकंडे सीख जाएंगे अपनी तीन पीढ़ियों की सुख सुविधा का इंतजाम काली कमाई से तो कर पायेंगे। हर चुनाव में किसी न किसी से गठबंधन कर विधानसभा त...
रंग बिरंगा उपहार
हास्य

रंग बिरंगा उपहार

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** अभी-अभी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का फोन मेरे पास आया मैंने बड़ी इज्जत से फोन उठाया प्यार से फरमाया क्या हाल है भाया जल्दी बोलो फोन क्यों मिलाया? शहबाज शरीफ तो जैसे रो पड़े क्या बताऊं जनाब हमारे देश की हालत आप से छिपी है क्या? और क्या बताऊं? लोग भूखों मरने लगे हैं दुनिया भीख देने को तैयार नहीं है आपका पुराना दोस्त कटोरा खान सिर पर चढ़ता जा रहा है, कटोरा संस्कृति हमारी नस -नस में ढकेल चुका है हमने भी उसका अनुसरण किया पर औंधे मुंह गिर पड़ा। अब मेरा हाल इधर खाई उधर कुंए जैसी है भाई लंदन में मजे कर रहा है भतीजी यहां नाक में दम किए है सारी समस्या की जड़ मुझे बता रही हैं। कुछ समझ में नहीं आता अब आप ही कोई राह दिखाइए मेरा ही नहीं पाकिस्तान का भी बेड़ा गर्क होने से बचाइए। मैं ...
निजी बयान है
हास्य

निजी बयान है

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** पार्टी के पदाधिकारी को बयान देने बोलता हूं तीर निशाने पर लगे तो सही है बोलता हूं कोई विवाद हो जाए तो प्लान बदल देता हूं यह उसका निजी बयान है ऐसा बोल देता हूं शाब्दिक बाण हमेशा स्टॉक में रखता हूं नहले पर दहला मारने बोलता हूं बात बिगड़ गई तो यू-टर्न ले लेता हूं यह उसका निजी बयान है ऐसा बोल देता हूं अक्सर चुनाव के समय बयान तीर से छोड़ता हूं बयान देने वालों की चैनल बनाता हूं दांव उल्टा पड़ गया तो पलट जाता हूं यह उसका निजी बयान है ऐसा बोल देता हूं शाब्दिक दांव-पेचों का खेल खूब खेलता हूं मान-सम्मान गिराने के दांव-पेच खेलता हूं उल्टा चोर कोतवाल को डांटे टेढ़ा पड़ा तो यह उसका निजी बयान है ऐसा बोल देता हूं मेरे धुर विरोधी विचारधारा वाले भी खेलते हैं प्री प्लानिंग से उल्टा सीधा सब बोलते हैं फायदा हुआ त...
स्थानीय निकायों के दस्ते
व्यंग्य, हास्य

स्थानीय निकायों के दस्ते

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** प्लास्टिक बंदी का दौर आया है स्थानीय निकायों ने बाजारों में रेड करने के क्षेत्र वाईस दस्ते बनाए है पर लगता है माल सुताई मौसम आया है कार्रवाई में भाई भतीजावाद समाया है अपनों पर कार्रवाई नहीं करने का मन बनाया है कुछ जातिवाद को प्रथा भी अपनाई है मलाई की चाहत भी दिखलाई है दस्ते ने अपनी दादागिरी दिखलाई है स्थानीय निकाय के अन्य विभागों से भी भीड़ कर्मचारियों की साथ लाई है पुलिस बनकर कार्रवाई की राह अपनाई है फैक्ट्रियों पर से नजर बिल्कुल हटाई है छोटे दुकानदारों पर सख्ती दिखाई है माल सूतो नीति अपनाई है हफ़्ता खोरी की नीति चलाई है दस्ते वालों समझो पीएम तक खबर पहुंचाई है मन की बात से बात बतलाई है। अब तुम पर कार्रवाई की नौबत आई है संभल जाओ वक्त की दुहाई है परिचय :- किशन सनमुखदास...
मेहमान
धनाक्षरी, हास्य

मेहमान

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मनहरण घनाक्षरी (हास्य) थोड़ी सी ही पहचान, ये होते मेह समान, बिन बादल बरसे, घर अपना माने। बेचारा ये मेजबान, हो जाता है परेशान, पूरे करे ये आदेश, कौन दुखड़ा जाने। करें ये फ़रमाइश, पूरी करना ख्वाइश, कर देंगे बदनाम, होटल चलो खाने। अतिथि कब जाओगे, क्या अब हमें खाओगे, हुई पगार खतम, नहीं बचे बहाने। परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindiraksh...
होली पर हुड़दंग
कविता, हास्य

होली पर हुड़दंग

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** मोदी चाचा आए हैं सतरंगी रंगों को लाए हैं योगी भैया देखो आए हैं केशरिया चटख रंग लाए हैं अखिलेश भैया ने बैंड बजाया मायावती जी चली हैं घर को सबने होली पर हुड़दंग मचाया एक दुजे को रंग लगाया मोदी चाचा आए हैं सतरंगी रंगों को लाए हैं होली के रंग बिरंगे रंग हैं भैया बुरा न मानो होली है आओ मिलकर हम सब होली खेलें जश्न मनाने का पल सुनहरा है स्नेह प्रेम का रंग लगाकर सबको गले लगाना है देखो होली की हुड़दंग मची है रंग बिरंगी होली है हंसी खुशी से होली मना लो एक दूजे को रंग लगा लो प्रेम से गले लगाकर भेदभाव को मिटा दो परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानिय...
राजनीति करना चाहता हूँ
हास्य

राजनीति करना चाहता हूँ

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** मैं भी सोचता हूँ कि राजनीति में कूद पड़़ूं, इस हमाम में सब नंगे मैं ही तन ढाक कर क्या करूँ? तंग आ गया हूँ वोट दे देकर क्यों न इस बार पहले टिकट और फिर वोट की मांग करूँ। राज की बात आपको बताता हूँ मैं भी खूब धन कमाना चाहता हूँ अब ईमानदारी से भला दाल रोटी तो चल ही नहीं सकती बस एक बार बड़ा हाथ मारना चाहता हूँ। आलीशान बंगला महंगी गाड़ियों के आजकल सपने बहुत आते हैं, बस कैसे भी ये सपने अपने पूरे कराना चाहता हूँ, अंदर की बात है किसी से मत कहना हवाला से धन भी कमाना चाहता हूँ, बस एक बार मौका भर देकर तो देखिए स्विस बैंक में अपना भी खाता खुल जाये रुपयों से बैंक खाता भरना चाहता हूँ। आप सबने कितनों को मौका दिया एक बार मुझे भी देंगें तो पहाड़ नहीं टूट जायेगा, मैंनें तो अपना राज आपको बता ही दिया बस एक...
थारे राज
हास्य

थारे राज

तनेंद्रसिंह "खिरजा" जोधपुर (राजस्थान) ******************** ए सांचा दिन देखिया, नाती थारे राज अस्सी सूं तो कम नहीं, सौ से सारे पास क्यूँ प्रभु सूं प्रार्थना, क्यूँ प्रभु सूं आस कर नाती सूं धरमेला, शीघ्र करेला पास नियत म्हारी साफ़ घणी, मत बताओ खोट जै बणणो आर ए एस, तो म्हाने दीजो वोट शिक्षा रथ रो पैरवी, खूब जमायो रंग गहलोत थारी ग्वाल ने, नात करावे भंग जुग जुग जीये सूरमां, टाबर करे पुकार थांसू होसी सगपणा, थारी जय जयकार जय जय थारे काम ने, जय थारी सरकार गधा घोड़ा सब एक कर, सांची मारी मार राजा भया रंक भया, भयी न घृणा क्रोध एहड़ा अंक जमाविया, टाबर करसी मोद अंतिम विणती आपने, नाती जी सरकार आर ए एस थारे सगां ने, म्हाने करे पटवार परिचय :- तनेंद्रसिंह "खिरजा" निवासी : ग्राम- खिरजा आशा, जोधपुर प्रांत, (राजस्थान) शिक्षा : स्नातक (विज्ञान वर्ग) जयनारायण व्यास विश्वविद्या...
संविधान दिवस
हास्य

संविधान दिवस

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** आइए ! मौका भी है दस्तूर भी है हमारे मन भरा फितूर जो है, आज भी हम संविधान-संविधान खेलते हैं, जब रोज ही हम पूरी ईमानदारी से खेलते हैंं, तब आज भला खेलने से क्यों बचते हैं? चलिए तो सही आज संविधान दिवस की भी तनिक औपचारिकता निभाते हैं, आखिर साल के बाकी दिन हम संविधान का माखौल ही उड़ाते हैं। हमें भला संविधान से क्या मतलब हम तो रोज ही कानून का मजाक उड़ाते हैं। कभी धर्म के नाम पर तो कभी अधिकारों के नाम तो कभी बोलने की आजादी के नाम पर अनगिनत बहाने हम ढूंढ ही लेते संविधान का उपहास उड़ाने के। संविधान की रक्षा पालन की कसमें खाते हैं, पर संविधान में लिखे कानून को हम कितना मानते हैं? हिंसा, तोड़फोड़, घर, दुकान सरकारी संपत्तियों का तोड़फोड़ भड़काऊ भाषण, आपसी विभेद जातीय टकराव, हिंसा अलगाववादी विचारधा...
जुल्फों का साया
हास्य

जुल्फों का साया

राम प्यारा गौड़ वडा, नण्ड सोलन (हिमाचल प्रदेश) ******************** आशिक बोला हे प्रिये! मुझे अपनी काली, घुंघराली नागिन सी जुल्फों के साये में क्षण भर रहने दीजिए। थोड़ा विश्राम... तनिक बतियाने दीजिए। दिल बहलाने को मन करता है प्यार भरी दो बातें कीजिए, मधुर आवाज सुनने को मन करता है। तुम्हारी जुल्फों के साये में बैठ सब कुछ भूलने को मन करता है ऊब, खीज, घुटन निराशा छोड़ हर्षित मन हो जाने को दिल करता है। बिखरे सपनों का ताना-बाना बुन, हसीन दुनिया बसाने को मन करता है। सुनकर महबूबा बोली... माफ कीजिये मुझ पर करें एहसान...। फेसबुक हूं चला रही, नेटवर्क की कमी से, पहले से हूं मैं परेशान। जुल्फें बिखेरने का मेरे पास नहीं वक्त, देखते नहीं, ऊपर से जमाना है सख्त। मेरी मानो... किसी वृक्ष तले चले जाओ घनी छाया में बैठ हवा संग खूब बतियाओ। बुझे मन आशिक उठा......
व्यंग की धार पर
हास्य

व्यंग की धार पर

सुभाष बालकृष्ण सप्रे भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** व्यंग की धार पर, नेताजी हुये नाराज़, ऊधम करने हेतु, मिला चमचोँ को काज़, मिला चमचोँ को काज़, चली न एक उनकी, बडे नेता ने भी दी उनको प्यारी सी घुडकी, कैसे नेता हो व्यंग, समझ न आये तुमको, ज़ब वोट लेने ज़ाओगे, समझेगी ज़नता तुमको, राजनीति मेँ आये हो तो, बांधो गाँठ रुमाल विरोधी तो बात बात मेँ खीचेंगे तुम्हारी खाल, देश सेवा का अभी से, ओढ लो एक दुशाला, न ज़ाने कब आड बन, ये बने सुरक्षा का पाला परिचय :- सुभाष बालकृष्ण सप्रे शिक्षा :- एम॰कॉम, सी.ए.आई.आई.बी, पार्ट वन प्रकाशित कृतियां :- लघु कथायें, कहानियां, मुक्तक, कविता, व्यंग लेख, आदि हिन्दी एवं, मराठी दोनों भाषा की पत्रीकाओं में, तथा, फेस बूक के अन्य हिन्दी ग्रूप्स में प्रकाशित, दोहे, मुक्तक लोक की, तन दोहा, मन मुक्तिका (दोहा-मुक्तक संकलन) में प्रकाशित, ३ गीत॰ मुक्त...
जन्मदिन
हास्य

जन्मदिन

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** अच्छा है बुरा है फिर भी जन्मदिन तो है, मगर आप सब कहेंगे इसमें नया क्या है? जब जन्म हुआ है तो जन्मदिन होगा ही। आपका कहना सही है, बस औपचारिक चाशनी की केवल कमी है। उसे भी पूरा कर लीजिए बधाइयों, शुभकामनाओं का पूरा बगीचा सौंप दीजिये, दिल से नहीं होंगी आपकी बधाइयां, शुभकामनाएं मुझे ही नहीं आपको भी पता है, मगर इससे क्या फर्क पड़ता है? कम से कम मेरे सुंदर, सुखद जीवन और लंबी उम्र की खूबसूरत औपचारिकता तो निभा लीजिये। मेरे जीवन यात्रा में एक वर्ष और कम हो गया यारों, जन्मदिन की आड़ में मौका भी है, दस्तूर भी, जीवन के घट चुके एक और वर्ष की आड़ में मन की भड़ास निकाल लीजिए, बिना संकोच नमक मिर्च लगाकर शुभकामनाओं की चाशनी में लपेट मेरे जन्मदिन का उत्साह दुगना तिगुना तो कर ही दीजिए। कम से दुनिया को द...
एक पंथ दो काज
हास्य

एक पंथ दो काज

पवन सिंह पंवार नसरूल्लागंज (मध्य प्रदेश) ******************** कुछ लोग बड़े सयाने बनने लगे, कट कापी पेस्ट कर ज्ञानी बनने लगे हैं। अरे इतना ही ज्ञान यदि तुममें भरा है, तो संत महात्मा या राजनेता क्यों नहीं बना है। पैसा भी मिलता और सम्मान भी पाता, इस तरह एक पंथ दो काज हो जाता। परिचय :- पवन सिंह पंवार पिता : स्व. श्री रामेश्वर पंवार कार्यक्षेत्र : सहायक संपरीक्षक, संचालनालय स्थानीय निधि संपरीक्षा विभाग म.प्र. जन्म स्थान : नसरूल्लागंज, जिला- सिहोर (मध्य प्रदेश)। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, ...
सफेद बाल का साक्षात्कार
हास्य

सफेद बाल का साक्षात्कार

डॉ. सुभाष कुमार नौहवार मोदीपुरम, मेरठ (उत्तर प्रदेश) ******************** एक पत्रकार ने सफेद बाल से पूछा, तुम क्यों उखड़े-उख़ड़े रहते हो? काले बालों के साथ मिलकर क्यों नहीं रहते हो? उसने कहा कि आप कैसे हो पत्रकार? सही सवाल गलत जगह पर पूछ रहे सरकार!! अरे संख्या उनकी ज्यादा है। अ‍पनी तो एक सीमित-सी मर्यादा है। और हम पर आरोप है कि हम मिलकर नहीं रहते!! उन्हें घमंड है कि हम काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं, वो हमसे सीधे मुंह बात तक नहीं करते। ममतामयी माँ को मोम और ज़िंदे पिता को डैड बना दिया! और हमारा रंग क्या सफेद हो गया, दादा जी की जगह खुजली वाला दाद यानी दादू बना दिया? उनका कहना है कि आपको साथ में लाने की, बहुत कोशिश की रंग में रंग मिलाने की। लेकिन आप हैं कि कुछ दिनों में अपना रंग दिखाने लगते हैं, अकड़कर फिर से तूर की तरह तनकर खड़े हो जाते हैं । ...
भारत की आबादी
हास्य

भारत की आबादी

अर्चना "अनुपम क्रान्ति" जबलपुर (मध्यप्रदेश) ******************** पेट में ना हो दाना फिर भी है ईमान जियादी (विकासवादी) हम नेक काम करते हैं करके बाली उमर में शादी। बढ़ियां लगती सुकुमार सी बाला छः-छः बच्चे लादी, भैया दुनिया में सबसे अच्छी भारत की आबादी।। हम दो और दो से चार भले फिर चार से हो गए चौदह। कुछ प्यारे बच्चे पढ़ गए अपने कुछ रह जाते बोदा, हम फैल रहे हैं ऐंसे जैंसे 'कोविड' और मियादी। भैया दुनिया में सबसे अच्छी भारत की आबादी।। हम रख कानून को ताक पे अब नियमों को सारे तोड़ चले बस पाँच और दस सालों के भीतर चीन को पीछे छोड़ चले, चाहे ना पूजे रेडीमेड ना! गांधी जी की खादी, भैया दुनिया में सबसे अच्छी भारत की आबादी ।। हम भले रहे भूखे-नंगे पर पक्की बात हमारी। चाहे कितनी ही बेटी हों वो लगें न हमको प्यारी, दो बेटे होना बहुत जरूरी बोलें सबकी दादी। भैया दुनिया में सबसे अच्छी भारत की आबादी।। ...
एक वाक्या
हास्य

एक वाक्या

माधवी तारे इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** गंगाराम का बुड्ढा लोगों, यकायक गया और सारे गाँव में एक ही हल्ला हुआ ऐसा कैसे गया कल तो देखा था सिपहिया के डर से लोगों ने फटाफट बाँध-बूँध के शमशान घाट लाया वहाँ एक ने पूछा अरे टोकन लिया कि नहीं जाओ पहले टोकन ले आओ यह अंतिम संस्कार का मामला है ये राशन की दुकान है या वैक्सीन के लिए जैसे लगी लाईन हैं अरे देखो ना कितनी लंबी कतार लगी है आपके नाम की पुकार होगी तो लाश को अंदर ले आना जैसे ही गंगाराम की पुकार हुई उसने लाश अंदर लाई जैसे ही लकड़ी की आँच लगी लाश उठके बैठ गई भूत-भूत कहकर जनता भाग गई किसी की चप्पल निकल गई किसी की धोती काँटों में अटक गई भूत ने है पकड़ी समझ कर वो आदमी वैसे ही गाँव की तरफ आ गया बुड्ढा भी उसके पीछे-पीछे गाँव आ गया दूर एक पेड़ के नीचे बुढिया आँसू बहा रही थी बुड्ढा उसके पास आया बोला अब...
भैया बोल कर चली गई
कविता, हास्य

भैया बोल कर चली गई

डॉ. सर्वेश व्यास इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** कविता की प्रेरणा- बात उन दिनों की है, जब मैं दसवीं कक्षा में पढ़ता था। परीक्षा के दिन चल रहे थे, रात में महत्वपूर्ण प्रश्न मॉडल पेपर बांटे जाते थे। जब लड़कियों को पेपर की जरूरत होती थी, तो वह लड़कों से हंसकर बात करती थी, उन्हें बुलाती थी। लड़के समझते थे, हंसी मतलब........! बेचारे लड़कियों के पेपर के इंतजाम के चक्कर में रात भर जागते थे, पेपर पहुंचाते थे और खुद का पेपर बिगाड़ते थे। लड़कियों को प्रथम लाने में वे नींव का पत्थर बनते थे। यह क्रम आखरी पेपर तक चलता था। परीक्षा पूर्ण होने के पश्चात लड़की उन्हें घर बुलाती, नाश्ता करवाती, चाय पिलवाती और विदाई समारोह स्वरूप (फेयरवेल) अंत में धन्यवाद भैया कह कर विदा कर देती। बेचारा लड़का शब्द-विहीन, अपनी सी सूरत लेकर विदा हो जाता। उसी घटना को स्मरण कर आज यह कविता लिखने की प्रेरणा हुई। अचानक व...
प्रसाधन
हास्य

प्रसाधन

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** हैरान है, परेशान है क्या करें, क्या न करें इसी ऊहापोह में कुछ सहायता मिल जाये लगाया फोन साहब को जवाब मिला साहब बाथरूम में है। छोटे लोगो की छोटी समस्याएं लगती उन्हें पर्वत सी हो निदान शीघ्रता से इसी आशय से लगाया फोन साहब को जवाब मिला साहब बाथरूम में है। सीमांत किसान अंत के करीब दिहाड़ी मजदूर दहाड़े मारता जिनके आँसू छुप जाते है पसीने में, मिले कुछ राहत लगाया फोन साहब को जवाब मिला साहब बाथरूम में है। जिले से शुरू परिक्रमा राजधानी तक पोहच कर भी, अंतहीन है करने अंत उसका लगाया फोन साहब को जवाब मिला साहब बाथरूम में है। इन्हें सुना, उन्हें सुना सुना-सुना कर काम भले ही न हुआ पर मन हल्का हो गया बताने ये बात लगाया फोन साहब को जवाब मिला साहब बाथरूम में है। कितनी भग्यशाली व ऐश्वर्य लिए है साहब की बाथरूम जो निरंतर उन्हें सुख दे सानिध्य पाती है साहब क...
चने का झाड़
हास्य

चने का झाड़

अर्चना अनुपम जबलपुर मध्यप्रदेश ******************** समर्पित-अनायास ही तनिक-अधिक उन्नति पाकर मनः स्थिति में उपजित परोक्ष निर्मूल अभिमान को।   मैं चने का झाड़ हूँ नहीं कोई ताड़ हूँ। बावजूद इसके मेरी घनघोर छाया क्योंकि फैली दुनिया में बेपनाह माया हर किसी को सुलभ कराता भरपूर 'लाड़ हूँ' मैं 'चने का झाड़' हूँ। कुछ तो उपलब्धि पाता है, यूँ ही नहीं हर कोई मुझमें बैठ अन्य को धता बताता है । "चढ़ गए चने के झाड़ में" ये तंज मुस्कुराकर झेल जाता है। मिली ज़रा सी शोहरत इज्ज़त दौलत तब उसका ना कोई अपना ना ख़ूनी ना जिगरी रिश्ता काम आता है। सिर्फ़ एक 'चने का झाड़' ही तो दुलरता है। ऐंसा मैं नहीं मानता पर दुनियां में ही तो कहा जाता है। ज़नाब, तब तो कंधे पर बैठाकर घुमाने वाले, मां-बाप भी छूट जाते हैं। (व्यंग्य का तड़का) मेरी मजबूत टहनियों में लटककर ही तो आदमी और मजबूती पाते हैं। उत्तरोत्तर उन्नति की मिसाल हूँ, ब...
ये पब्लिक हैं, सब जानती है…
हास्य

ये पब्लिक हैं, सब जानती है…

विमल राव भोपाल म.प्र ******************** विशेष :- पुरानी कहावतों व गीतों का व्यंग में समावेश एक छोटे बच्चे से हमनें पूछा ? बेटा कविता आती हैं क्या ? प्रति उत्तर में इस बच्चे की प्रतिक्रिया देखे - बच्चा बोला श्रीमान जी - कविता आती नही, सविता जाती नही, सुषमा बुलाती नही। नीतू आंटी नें पापा कों बुलाया हैं, बस इतनी सी बात पर मम्मी नें मुँह फुलाया हैं, मेरे समझ में नही आता माँ मान क्यों नही जाती कुछ दिन शर्मा जी के सांथ क्यों नही बिताती इस तरहा बार बार रूठने से अच्छा हैं माँ एक बार रुठे ! साँप भी मर जायें, और लाठी भी ना टूटे... आज कल में इनकी समस्याओ का समाधान कर रहा हूँ, दिन रात इन्हें एक करने की कोशिश कर रहा हूँ मेरे लाख समझानें पर भी, इन्हें कुछ समझ नही आयें, पिताजी का तों अब भी, यही कहना हैं ! दुल्हन वहीं जो, पिया मन भाए... इनकी हर रोज़ लड़ने की आदतों से, मैं पक चुका हूँ ! समझ...