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हाइकू

शरद पूर्णिमा
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शरद पूर्णिमा

प्रतिभा दुबे "आशी" ग्वालियर (मध्य प्रदेश) ******************** श्री राधा कृष्ण महारास रचावे बृंदावन में! गोपियों संग खेले नाच नाचवे बृंदावन में! माता अमृत, महाखीर बनावे वृंदावन में! भोग लगा के, अन्नपूर्णा ख़िलावे वृन्दावन में! पूजा उत्सव खूब मैया को भावे वृंदावन में! शरद ऋतु, चंदा चकोरी भावे, बृंदावन में! करत लीला, श्याम राधा संग बृंदावन में! खेले चंद्रमा चंचल किरणों से, वृंदावन में।। परिचय :-  श्रीमती प्रतिभा दुबे "आशी" (स्वतंत्र लेखिका) निवासी : ग्वालियर (मध्य प्रदेश) उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते है...
व्याकुल नर
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व्याकुल नर

तुकाराम पुंडलिक खिल्लारे परभणी (महाराष्ट्र) ******************** व्याकुल नर - उजड़ी शाख पर गिरते पर हुई सुबह - रातरानी की गंध चूसती धूप चारसू फैला कोहरा ही कोहरा - सवेरा गिला रंग होली का - मकान में बिखरा गंध कितना दानापानी ले पंछी घोंसले लौटा - चूजे गायब निर्जन ताल पंछी स्नान करते - फूल गिरते वर्षा में धूप - चला रहा मनुष्य इंद्रधनुष्य लो लौट आयी गरीब की खुशीयाँ - बासी रोटीयाँ सो गई रात - चुलबुलाते पत्ते चाँद का पाँव लाॅकडाऊन - सडक पर आये वन के जीव शिशू का स्पर्श जाग उठी ममता - सँभाले आँसू परिचय :-  तुकाराम पुंडलिक खिल्लारे निवासी : लोकमान्य नगर, परभणी (महाराष्ट्र) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्ष...
नशा
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नशा

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** नशा धुंए का तम्बाखू से है भरा भस्माने वाला फैशन बनी जहरीली धौंकनी सेहत हानि जले फेफड़े केंसर के दुखड़े नुक्सान बड़े धुँआ फैलाते संगी साथी भोगते गन्दी आदतें परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻 आप...
गणतंत्र दिवस
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गणतंत्र दिवस

डाॅ. कृष्णा जोशी इन्दौर (मध्यप्रदेश) ******************** भारत देश गणतंत्र दिवस है सभी मनाओ भारत देश गणतंत्र हुआ रे ध्वजा मंगाओ। भारत देश गणतंत्र हुआ रे खुशी मनाओ। भारत देश गणतंत्र हुआ रे ताली बजाओ। भारत देश गणतंत्र हुआ रे लड्डू बटाओ। भारत देश गणतंत्र हुआ रे गीत गाओ रे। परिचय :- डाॅ. कृष्णा जोशी निवासी : इन्दौर (मध्यप्रदेश) रुचि : साहित्यिक, सामाजिक सांस्कृतिक, गतिविधियों में। हिन्द रक्षक एवं अन्य मंचों में सहभागिता। शिक्षा : एम एस सी, (वनस्पति शास्त्र), आई.आई.यू से मानद उपाधि प्राप्त। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, ले...
धरती माता
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धरती माता

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** सुनों धरती माता क्या है कहती आँसू बहाती.... लाशों का बोझ अब ना मैं सहती खफ़ा रहती.... सहनशील धरती माता मत कर प्रलय.... अब तो शवों को गोद में लेने से किया इंकार.... संतान हम तेरी ही है जननी सुरक्षा कर.... परिचय :- कु. आरती सुधाकर सिरसाट निवासी : ग्राम गुलई, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने...
मैं गौरैया नन्ही जान
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मैं गौरैया नन्ही जान

संजू "गौरीश" पाठक इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** आधुनिकता परवान चढ़ी है तरु गुम हैं। पर्यावरण हुआ संतप्त गौरैया अस्त। कटते वृक्ष बनती इमारतें क्या करें हम? छीन ली मेरी चहचहाती सी धुन क्यों न तू सुन? हौंसले मेरे आसमान से ऊंचे समझ ले तू। रूठी प्रकृति ढहेगा तेरा नीड मिटाया हमें। आया समय कर तू संरक्षण मैं भी सृष्टि का अंग।। परिचय :- संजू "गौरीश" पाठक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, ...
कोरोना हल
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कोरोना हल

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, जिला-गोण्डा, (उ.प्र.) ******************** कोरोना हल आपके हाथ में है, बस बचाव। भूखा मरता गरीब रोता भी है, दुआ भी देता। जीवन क्या? जीवन मूल्य बन, खुद लड़ना। आवाज मंद बुढ़ापे का संकेत, मान लीजिए। रोता रहता ठोकरें खाता जीता, सच्चा इंसान। परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव जन्मतिथि : ०१.०७.१९६९ पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव माता : स्व.विमला देवी धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव पुत्री : संस्कृति, गरिमा पैतृक निवास : ग्राम-बरसैनियां, मनकापुर, जिला-गोण्डा (उ.प्र.) वर्तमान निवास : शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव जिला-गोण्डा, उ.प्र. शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई.,पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार) साहित्यिक गतिविधियाँ : विभिन्न विधाओं की कविताएं, कहानियां, लघुकथाएं, आलेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि का १०० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प...
तम अंधेरा
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तम अंधेरा

मित्रा शर्मा महू - इंदौर ******************** तम अंधेरा मिटा दो भगवान डरते जन। महामारी ने निगलता जा रहा फैला है तम। छिन रहा है मजदूर की रोटी भूखा जहान। क्रंदन भरा हतोत्साहित मन डरता जन। आखों में आते बिना नीद के ख्वाब आजमाते है। रकीब बन सता रहा है हमे यह समय। जीवन डोर छूट जाने का डर कोरोना काल। हारेंगे नहीं लड़ते ही रहेंगे थमेंगे नहीं। परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल प...
है यह जीवन छलावा
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है यह जीवन छलावा

भारत भूषण पाठक देवांश धौनी (झारखंड) ******************** धनुषाकार वर्ण पिरामिड में प्रयत्न :- विधान-यह आज हिन्दी साहित्य क्षेत्र में प्रमुखता से प्रयोग में आने वाली जापानी विधा है। यह १४ चरण वाली २८ वर्णों वाली विधा है।इसके प्रथम चरण मे १ वर्ण, द्वितीय चरण में २, तृतीय चरण में ३, चतुर्थ चरण में ४, पञ्चम चरण में ५, षष्ठ चरण में ६ तथा सप्त चरण में ७ वर्ण होते हैं, आठवें चरण में ७ वर्ण, नौवें चरण में ६ वर्ण, दसवें चरण में ५ वर्ण, ग्यारवहें चरण में ४, बारहवें चरण में ३, तेरहवें चरण में २ वर्ण तथा चौदहवें चरण में १ वर्ण होते हैं, यानि वर्ण पिरामिड की पूर्णतः उल्टी गिनती। आधे वर्णों की गिनती नहीं होती तथा किन्हीं दो चरणों में तुकांत होने से सृजन लाजवाब हो जाती है। सारांश में बोलना कम काम ज्यादा के सिधान्त का पालन करता है यह। है यह जीवन छलावा ही वास्तविकता नहीं भुलावा ये आया जो है जाएगा...
धुंध हठीली
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धुंध हठीली

अशोक बाबू माहौर कदमन का पुरा मुरैना (म.प्र.) ******************** धुंध हठीली इंसान सुस्ता रहा खामोश मन। धुआँ शहरी नखरे अजीब से झेलता कौन। कोहरा जमा छत और दीवाल दुखिया मन। सेहत कैसी मुख बाँधे रुमाल अजीब पंगा। हवा भी रूठी धुंध दिखाये आँखें ड़रते हम। . परिचय :- अशोक बाबू माहौर ग्राम - कदमन का पुरा, जिला - मुरैना (म. प्र.) प्रकाशन - हिंदी रक्षक डॉट कॉम (hindirakshak.com) सहित देश विदेश की विभिन्न साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित सम्मान - इ-पत्रिका अनहदकृति की तरफ से विशेष मान्यता सम्मान २०१४-१५ से अंलकृति। नवांकुर साहित्य सम्मान साहित्य भूषण सम्मान मातृत्व ममता सम्मान आदि। प्रकाशित साझा पुस्तक :- (१) नये पल्लव ३ (२) काव्यांकुर ६ (३) अनकहे एहसास (४) नये पल्लव ६ (५) काव्य संगम (६) तिरंगा मौलिकता - मैं अशोक बा...
नारी अस्तित्व
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नारी अस्तित्व

वन्दना पुणतांबेकर (इंदौर) ******************** बीती रात। सहसा बदले हालात। घायल जज्बात। सपने बर्बाद। अपनो की याद। कैसे हालात। कलयुगी रावण। हवस का दानव। पड़ा भारी। अबला बेचारी। मुसीबत की मारी। थी वह कुँवारी। अँधेरी रात। बिखरा अस्तित्व। टूटी आस। मन उदास। माँ की आशा। हुई निराशा। बेटियां हमारी। कैसे हो सुरक्षित। चिंता भारी। असंख्य आबादी। दुष्टों की आवारी। संकट भारी। बदला समाज। मानवता का नाश। दानव पिशाच। अकेली बाला। कोई ना सहारा। बिगड़े हालात। कानून बनाओ। उन दुष्टों को नपुंसक बनाओ। बेटीयॉ बचाकर। आने वाला कल। सुरक्षित बनाओ। . लेखिका परिचय :- नाम : वन्दना पुणतांबेकर जन्म तिथि : ५.९.१९७० लेखन विधा : लघुकथा, कहानियां, कविताएं, हायकू कविताएं, लेख, शिक्षा : एम .ए फैशन डिजाइनिंग, आई म्यूज सितार, प्रकाशित रचनाये : कहानियां:- बिमला बुआ, ढलती शाम, प्रायचित्य, साहस की आँधी, देवदूत, किताब, भरोस...
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********** रीतु देवी "प्रज्ञा" शिक्षक दीप आलोकित करते अंधेरी रात पाथर पर सुमन हैं खिलाते जीवन भर सहन कर मौसमों की मार अटल रह कर निर्माण आने वाली पीढी को लिए मुस्कान विकास दीया बिखरे नव पुंज इच्छा है हिया   लेखीका परिचय :-  नाम - रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने मोबाइल पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें...🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com  कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने मोबाइल पर प्राप्त करने हे...