योगेश्वर श्रीकृष्ण
निरुपमा मेहरोत्रा
जानकीपुरम (लखनऊ)
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हे परम ब्रह्म श्री कृष्ण!
गोलोक त्याग धरा पर आए;
जगत कल्याण हेतु,
असुर विनाश हेतु,
ज्ञान भक्ति कर्म का मार्ग दिखाने,
एवं धर्म संस्थापना हेतु।
अवतरित हुए तुम,
कारागार के बंधन में;
फिर अशेष संघर्ष यात्रा,
कंटकपूर्ण रहा हर पग;
और आसुरी शक्तियों का आतंक,
जिससे आर्तनाद कर उठा जग।
बाधाओं का अतिक्रमण कर,
हे कृष्ण! सफल योद्धा बन तुम,
जीत गए हर युद्ध,
जाना विश्व ने तुम्हें अपराजेय, प्रबुद्ध।
प्रेम की कोमलता तथा उसकी शक्ति को,
कण-कण में फैलाकर,
प्रेम भाव से सराबोर संसार किया;
प्रेम के शाश्वत तत्व को,
मानव मन का आधार दिया।
ब्रह्म और जीव की एकात्मता को,
राधा संग रास रचाकर,
कण-कण में विस्तार दिया।
सोलह कला संपूर्ण तुम,
योगेश्वर, पुरुष पूर्ण तुम।
दीन सुदामा के परम सखा,
भक्त के भगवान हो,
गीता ज्ञान सुना...