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भगवती वंदना
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भगवती वंदना

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मां भगवती सदैव आपकी शरण रहूँ भले दुखों का प्रहार हो भले सुखों की बाहर हो। मां भगवती सदैव आपकी चरणवन्दना करुँ भले लोग मेरे खिलाफ़ हो भले लोग मेरे साथ हो। मां भगवती सदैव आपका चिंतन मनन करुँ भले नर्क की यातना झेलू भले स्वर्ग के आमोद-प्रमोद में रहूँ। मां भगवती सदैव आपके उन्माद में रहूँ। भले मुझ में सिद्धि वास करें भले मुझ में रिद्धि उल्लास करें। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छाय...
बांके बिहारी की महिमा
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बांके बिहारी की महिमा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** मेरे बांके बिहारी दयालु बहुत, दर बुलाकर है दर्शन का अवसर दिया। वो हैं करुणामई, भक्तवत्सल भी हैं, जिसने जो कुछ भी मांगा, वही दे दिया। मेरे बांके... आप यों ही बुलाते रहोगे अगर, मेरे पहले के सब पाप, कट जाएंगे। दरस पाकर तो, निर्मल बनेगा ही मन, पाप की राह पर,फिर नहीं जाएंगे। तेरी औरा की डोरी से यदि बंध गए, फिर कहीं भी लगेगा, न मेरा जिया। मेरे बांके... तुम बुलाते जिन्हें, वो ही आ पाते हैं, पा के दर्शन, छवि मन को भा जाती है। जाते घर को तो, मन छूट जाता यहां, सोते जगते, तेरी याद ही आती है। तुम सलोने हो, करुणामई हो बहुत, खुद बतादो, कि क्यों ऐसा जादू किया। मेरे बांके... तेरे महिमा को, लिखने का मन कर रहा, भाव दोगे तुम ही, तो ही लिख पाऊंगा। तेरी वंशी की धुन है मधुर, कर्णप्रिय, दोगे स्वर ज्ञान, तो ही तो गा पाऊं...
शिव भक्ति
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शिव भक्ति

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** सावन का महीना अति पावन करते सब भोले का वंदन, श्रद्धा विश्वास के प्रतीक है शंकर शक्ति के आराध्य है शंकर। अमर कथा के व्यास हे शंकर, गोरा को कथा सुनाएं शंकर, पार्वती ने तब किया सावन मैं, "श्रावणे पूजयते शिवम्" दान धर्म का फल है सावन अविरल भक्ति का महीना है सावन। समुंद्र मंथन हुआ सावन में, विष का पान किया शंकर ने, नीलकंठ प्रभु नाम धराया, जग को विष से बचाए शंकर, चंद्रमा शिव शीश सुहाय, जटा में गंगा हे लिपटाए, गले मुंड की माला सुहाय, शेषनाग धारे शिव शंकर। त्रिनेत्र त्रिशूल हाथ में अंग भस्म लगाए शंकर, बेलपत्र शिव शंकर प्यारा, सत रज तम का प्रतीक हे न्यारा। सौम्य रूप कभी हे प्रलयकर, रौद्र रूप धारी शिव शंकर, हाथ में डमरू जटा सजाए, तांडव नृत्य करे शिव शंकर, त्रिनेत्र प्रलयंकरकारी पल में प्रलय करे शिव श...
मॉं कुष्मांडा
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मॉं कुष्मांडा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** नवरात्र चतुर्थ दिवस, मॉं कुष्मांडा आती हो, भक्तों को हर्षाती हो, जय हो कुष्मांडा। गंभीर रोगों से मुक्त कराती हो, ग्रहों के अशुभ प्रभाव से बचाती हो, राग,द्वेष,दुख की देवी हो, भक्तों को देती हो सहारा। तेरे दर्शन पाकर, खुल जाता किस्मत का ताला, भय दूर करती हो माता, सृष्टि की रचना तुम ही तो करती हो। मंद मुस्कान से ही की, समस्त ब्रह्मांड की रचना, जीवन समृद्ध-सुखी बनाती हो, भक्त करे मॉं तेरा पूजन अर्जन। गुड़हल पुष्प अर्पित करें, मालपुआ का भोग लगावे, हाथ जोड़ संगीता सूर्यप्रकाश, शीश झुकावे वंदन, अभिनंदन प्रणाम करें बारम्बार। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
हे महागौरी माता
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हे महागौरी माता

रूपेश कुमार चैनपुर (बिहार) ******************** हे महागौरी माता, चार भुजा धारिणी माँ, वृषभ की सवारी करती, अभय मुद्रा धारिणी, दाहिने भुजा त्रिशूल, बाएँ मे डमरू,वर धारिणी, तेरी महिमा है अपरम्पार, तू सबको देती आशीर्वाद। श्वेतांबर धारण करतीं, गौर वर्ण से प्रसिद्ध है तू, भगवान शिव की तू अर्धांगिनी से जानी जाती माँ तू, धवल चाँदनी की छाया में, माँ तुम्हारा स्थान है अनमोल, शांति, सौम्यता का प्रतीक, तू करती है सबका कल्याण। माँ तेरे मस्तक पर सजा है, चंद्रमा की तेज आभा, दुष्टों का नाश करती, देती भक्तों को जीवन की राह, कमल पर बैठी है तू, सौम्य और नीरस तेरा है शैली, भक्तों के दिल में बसी, तेरा अद्भुत अलौकिक चमत्कार। शक्ति और भक्ति का संगम तू है साक्षात स्वरूप माँ, हर दुख-दर्द को मिटाती तू है, सच्ची आस्था का धूप माँ, तेरे चरणों की धूल से माँ, मिलता मन मस्ति...
जगदंबा स्तुति
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जगदंबा स्तुति

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** सदा प्रसन्ना मां जगदंबा मम ह्रदय तुम वास करो। लेकर खड़ग त्रिशूल हाथ में मम शत्रुदल संहार करो। चड-मुंड के मुंड धारण कर्ता मम संकट का भी हरण करो। तंत्र विद्या की प्रारंभा देवी शत्रु तंत्र, मंत्र, यंत्र का शमन करो। चौसठ योगिनी संगी कर्ता मम योग विद्या उत्थान करो। रक्तबीज का रक्त पान कर्ता मम शत्रुदल रुधिर पान करो। भैरव के संग नृत्य कर्ता मम शत्रुदल अटहा्स कर ध्वंस करो। जय जय जय मां जगदंबा काली मम ह्रदय तुम सदैव वास करो। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी ...
बृज का उलाहना कान्हा को
भजन, स्तुति

बृज का उलाहना कान्हा को

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** कान्हा, तुम गये तो लौट न आए राह तकें गोकुल, वृंदावन नंदलाल को तरसे हर मन नंदगांव, बरसाना व्याकुल गउएं मुरली सुनने को आतुर घर से न निकलें, टेर लगाएं। बोलीं राधा - आए कन्हैया धरती पर अपना कर्तव्य निभाने को उनका सारा जग अपना तुम पहचान न पाए कान्हा को। जिस धरती ने उन्हें पुकारा दौड़ वहीं कान्हा आए पूतना, तृणावर्त, बकासुर वध कर बृज के रक्षक कहलाए। बृज की मइया, बृज की गइयां बृज के गोप, बृज की गोपियां बृज में कान्हा रास रचाएं बृज ने गीत भक्ति के गाए बहा स्नेह की निर्मल धारा तम का बंधन काटा सारा। बढ़ा कंस का अत्याचार मथुरा की धरती करे पुकार प्रलोभन प्रवृत्ति, राक्षसी बल अनाचार का प्रचंड प्रसार आर्तनाद सुन पहुंचे कान्हा मथुरा की धरा को पहचाना। हुई राक्षसों की भारी‌ हार मिटा कंस, किया उद्धार ...
विनती हनुमान जी से
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विनती हनुमान जी से

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** मेरे हनुमान जी है तुमसे विनती मेरी, शक्ति मोदी की हरदम बढ़ाते चलो जो हैं हिंदू मगर हैं विमुख देश से, उनको निज कर्मों का फल चखाते चलो मेरे हनुमान जी... मोदी सनातनी हैं, और राम भक्त हैं वो हैं शिव जैसे फक्कड़, न आसक्त हैं उनकी निष्काम सेवा को आशीष दे, जग को मोदी ही मोदी रटाते चलो। मेरे हनुमान जी... आज दुश्मन सब थर्राएं इनके नाम से हैं खड़े सीना तानें दुनिया के सामने अब बजा है बिगुल आर्थिक तेज़ी का इस प्रगति पथ पर भारत चलाते रहो मेरे हनुमान जी... मोदी परिवार मानें, अखिल राष्ट्र को, हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, प्रिय आपको सबका परिवार सुख से रहे देश में, ऐसी अपनी कृपा को बरसाते चलो मेरे हनुमान जी... भ्रष्ट और भ्रष्टतम उनके पीछे पड़े उनको पथ से हटाने पर हैं सब अड़े आज भारत को उनकी ज़रूरत बड़ी, बनके रक्...
हे राम मेरे
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हे राम मेरे

प्रतिभा दुबे "आशी" ग्वालियर (मध्य प्रदेश) ******************** हे राम मेरे तुम्हें धन्य कहूं, या तेरी भक्ति की प्रशंसा कहूं।। मैं नर हूं तुम नारायण हो, में दास हूं तुम हो प्रभु मेरे हे नाथ सकल संपदा सभी, हे भगवान तुम्हारे चरणों में।। जब जब नाम लेती हूं मैं प्रभु स्मरण तब करती हूं भक्ति में तेरे हैं सच्चा धन राम नाम का मनका जपती हूं।। है कठिन समय यदि जीवन में, तो सरल राम का नाम भी है क्यों तड़प उठाइए मानव मन हां जब जाना राम के धाम ही है।। परिचय :-  श्रीमती प्रतिभा दुबे "आशी" (स्वतंत्र लेखिका) निवासी : ग्वालियर (मध्य प्रदेश) उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छा...
आज महानिशि पुण्य प्रदायक
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आज महानिशि पुण्य प्रदायक

अंजनी कुमार चतुर्वेदी "श्रीकांत" निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** हे देवों के देव, सदाशिव तुम हो सृष्टि का आधार। हे त्रिनेत्र, हे महाकाल प्रभु, कृपा करो हे जगदाधार। भूत नाथ, भोले भंडारी, कोर कृपा की तुम कर दो। पार्वती पति, महाकाल तुम, खुशियाँ जीवन में भर दो। है शिव रात्रि परम सुखदायी, चहुँ दिशि मंगल छाया है। पाणिग्रहण माँ पार्वती सँग, शिव शक्ति की माया है। पाश विमोचन, हे शशि शेखर, दया दृष्टि हम पर कर दो। सूख गई निष्प्राण देह में, प्राण पिनाकी तुम भर दो। सात्विक, अष्टमूर्ति, गिरिधन्वा, मन उमंग खुशियाँ भर दो। अंधकार हट जाए उर से, कोर कृपा की तुम कर दो। आज 'महा निशि' पुण्य प्रदायक, गौरी,शंकर व्याहेंगे। मधुर कंठ से गीत ब्याह के, सभी भक्त मिल गाएंगे। हो आधार सृष्टि के तुम ही, जग के पालनहार तुम्हीं। बीच भँवर हिचकोले खाता, कर दो बेड़ा पार तुम्ही...
तुम शिव बन जाओ
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तुम शिव बन जाओ

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** तुम शिव बन जाओ जग के गरल को ग्रीवा में ग्रस लो नागों की फुफकार पर, नागेश्वर बन जाओ। अपनी परिधि से दूर कर दो कुत्सित समर को मन: अजिर में शीतलता दो तुम सोमनाथ बन जाओ। दैत्यराज भी आएँ लक्ष्य से भटकाने तुम्हें अडिग रहकर उसके लिए तुम महाकाल बन जाओ। जो आए विनती लेकर दर पर तुम्हारे, उसके लिए तुम भोलेनाथ बन जाओ। हर साँस में भटकते, तड़पते प्यासे की तुम आस बन जाओ उनके तुम विश्वनाथ बन जाओ तुम शिव बन जाओ। परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश) वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका) शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान सर्टिफिकेट कोर्स : फ़्रेंच व गुजराती। पुनः मैं अपने देश को बहुत प्यार करती हूं तथा प्राय...
शिव स्त्रोत
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शिव स्त्रोत

गौरव श्रीवास्तव अमावा (लखनऊ) ******************** ठंडी ये पवन कहें, ये बारिशों की छन कहें, नमो नमः भी बोल दो ये दिल कहें या मन कहें।। हरा भरा गगन हुआ, चली पवन सुखन हुआ। अवलोक दृश्य का किया प्रसन्नचित्त मन हुआ।। जिनके शीश गंग है, लिपटा गले भुजंग है। भस्म से सजा हुआ ही जिनका अंग-अंग है। नैना बने विशाल हैं, मस्तक पे चन्द्र भाल है। मन्त्र मुग्ध कर रहा, शिव रूप ही कमाल है।। त्रिनेत्र धारणी शिवा, हैं मोक्ष दायनी शिवा। विष का पान करनें वालें शोध दायनी शिवा।। एक हस्त डमरु साजे, दूसरे त्रिशूल हैं। त्रिनेत्र धारणी शिवा हरते सबके शूल है।। वो राक्षसों को मारते, वो संकटों को तारते। अधर्मियों को धर्म के त्रिशूल से जो मारते।। चरित्र भी विचित्र है, शिव रूप ही पवित्र हैं। शिव रूप की ये सौम्यता, हृदय में एक चित्र है।। शिव देखते जहां कहीं, ये जग चले वही वहीं। वो ...
संपूर्ण दर्शन हो तुम
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संपूर्ण दर्शन हो तुम

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** तुम पूर्ण दर्शन हो कन्हैया दर्शन के दर्शन करवाते हो तुममें डूब सकें हम तो जीवन नौका पार कराते हो। जो न समझा तुमको हमने काया नगरी न सुधरेगी ऊबड़-खाबड़ पगडंडी सी प्राणों की लकीर उभरेगी। शिशु काल में रिपु पहचाना बाल्यकाल में प्रेम दिखाया संपूर्ण स्नेह के संपूर्ण विरह को तुमने हमको सब समझाया। किशोरकाल के पहले पग पर समरनाद कर युद्ध किया अगणित कंसों को मारा मथुरा को नव जन्म दिया। समयानुसार आन पड़ी तो रण छोड़ गए, द्वारिका बसाई कर्म-क्षेत्र में जो बाधा बन आया यह तन छोड़ा, परमगति पाई। कब क्या करना है, मानव को तुमने हर पल सिखलाया सीमा‌ पार करें यदि कोई तुरत सुदर्शन चक्र चलाया। सखा बने तो तुमसा कोई मित्र सुदामा के जीवनदाई सारथि बनकर पार्थ संभाला यज्ञ राजसूय में पात उठाई। गुरु बन तुमने गीता गाई जीवन पक्...
हे द्वारिकाधीश, तुम आ जाओ
भजन, स्तुति

हे द्वारिकाधीश, तुम आ जाओ

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** कहां छुपे हो कान्हा तुम कहां सुदर्शन चक्र तुम्हारा कहां तुम्हारी गीता है क्यों चुप पांचजन्य तुम्हारा। क्यों इतने दुर्योधन पलते हैं क्यों शिशुपाल दिनों दिन सीमा पार किया करते हैं सख्यभाव है कहां तुम्हारा। न्याय दिलाने पांडव को तुम बने सारथी, गीता गाई आज पुकारे भारतमाता मन क्रंदन, अंखियां भर आईं। द्रोपदियों का नित चीरहरण कैसे यह तुम सहते हो छत्तिस टुकड़े हो जाएं क्यों न न्याय दिलाते हैं। कबतक मन को थीरज दें हे कान्हा तुम आ जाओ फिर से गीता आन रचो हर भारतवासी के मन आन बसो। सबके मन को स्वछ बनाओ पुनः जीवन का अर्थ बताओ सबको धुन बंसी की सिखाओ हे कान्हा, तुम आ जाओ हे द्वारिकाधीश, तुम आ जाओ। (बंसीधुन=प्रेमधुन) परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर निवासी : सिलिकॉन सिट...
हें अनादि परमेश्वर मेरे
कविता, स्तुति

हें अनादि परमेश्वर मेरे

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** जिसका आदि अंत न होता, वह अनादि कहलाता। अंत रहित, प्रभु सदा सर्वदा, हैं अनंत फल दाता। जो शाश्वत हैं, सदा सनातन, वह अनादि भगवन हैं। गर्भवास से मुक्त रहें जो, बसते जो जन मन हैं। आदि अंत से रहित अविद्या, दोष न जिसको होता। नस-नाड़ी बंधन से विलगित, कोई जनक न होता। जो प्रारंभ नहीं होता है, सदा सनातन रहता। आदि रहित उस परम तत्व को, मानव भगवन कहता। जिसकी प्रकृति अनंत अनादी, परमात्मा है प्यारा। सदा अजन्मा, शाश्वत है जो, सारे जग से न्यारा। प्रकृति, जीव, परमात्मा तीनों, आदि अंत से ऊपर। नाशवान वह है दुनिया में, जो आया है भूपर। हैं अनादि परमेश्वर मेरे, अंत रहित हैं स्वामी। सारे जग के पालन कर्ता, हैं प्रभु अंतर्यामी। रूप, रंग, आकार रहित प्रभु, हैं अनादि कहलाते। प्रभु से सब जन्मे, सब जाकर, प्रभु ...
हे! कृष्ण-कन्हैया
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हे! कृष्ण-कन्हैया

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** द्वापर के है! कृष्ण-कन्हैया, कलियुग में आ जाओ। पाप बढ़ रहा, धर्म मिट रहा, अपना चक्र चलाओ।। अर्जुन आज हुआ एकाकी, नहीं सखा है कोई। राधा तो अब भटक रही है, प्रीति आज है खोई।। गायों की रक्षा करने को, नेह-सुधा बरसाओ। पाप बढ़ रहा, धर्म मिट रहा, अपना चक्र चलाओ।। इतराते अनगिन दुर्योधन, पांडव पीड़ाओं में। आओ अब संतों की ख़ातिर, फिर से लीलाओं में।। भटके मनुजों को अब तो तुम, गीतापाठ सुनाओ। पाप बढ़ रहा, धर्म मिट रहा, अपना चक्र चलाओ।। माखन, दूध-दही का टोटा, कंसों की मस्ती है। सच्चों को केवल दुख हासिल, झूठों की बस्ती है।। गोवर्धन को आज उठाकर, वन-रक्षण कर जाओ। पाप बढ़ रहा, धर्म मिट रहा, अपना चक्र चलाओ।। अभिमन्यु जाने कितने हैं, घिरे चक्रव्यूहों में। भटक रहा है अब तो मानव, जीवन की राहों में।। कपट म...
आओ माँ कुष्माण्डा
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आओ माँ कुष्माण्डा

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** काषाय कल्मष सब जिनसे हैं हारे हे कुष्माण्डा देवी, आओ हमारे द्वारे नवरातों में तेरे भक्त लगाते गुहारे शैलजा भवानी आओ हमारे द्वारे कर जोड़ करें हम‌ विनती तिहारे दु:ख क्लेश सब मिटा दे तू हमारे जय माता दी, कह, भक्त बुलाते सारे गिरिजा भवानी, आओ हमारे द्वारे शक्ति, स्फूर्ति, ज्योति तेरे ही सहारे क्षमा ज्ञान, दया मातु तेरे ही आधारे शत्रु-दल का करे तू ही तो संहारे हे माता पार्वती, आओ हमारे द्वारे स्वागत हेतु लाये हैं नैवेद्य हम सारे आकर बढा जगदम्बिके मान हमारे करुणामयी ! हम हाथ हैं देखो पसारे मातेश्वरी!आ भी जाओ हमारे द्वारे। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर...
द्रोपदी
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द्रोपदी

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** क्या दोष मेरा था पांडु पुत्र, जो दांव पर मुझे लगाया है, क्या अबला समझकर मुझको तुमने दाँव पेच पर लगवाया है, क्यों मौन बैठे तुम रहते हो, कहा गया गांडीव धनुर्धर? भीम की गदा की शक्ति कहा, तलवार क्यों पडी धरा पर आज। क्यो झुका हुआ हे मस्तक पितामह का? अधर्म की ओर आज झुका हुआ? बंधे राजधर्म की जंजीरो से है, एक लाज द्रोपदी की लगी है आज। पासो मै हारी है द्रोपदी, द्रुत क्रीड़ा की पासे हे वो बनी, दुर्योधन अधर्मी बुद्धि, दुशाशन निर्वस्त्र करो तुम आज दुशाशन साडी तुम खिंचो निर्वस्त्र करो द्रोपदी को तुम, पाँचो पाँडव हारे बैठे, द्रोपदी ने जब सबको पुकारा है, नही गांडीव चला अर्जुन का है, नही गदा चली भीम की है। अधर्म के आगे धर्मराज, आज मौन हुये भीष्म पितामह है, द्रोपदी की लाज पे आच आज दुसाशन खींच रहा साडी, अबला ...
लक्ष्मी का अवतार राधिका
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लक्ष्मी का अवतार राधिका

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** लक्ष्मी का अवतार राधिका, बरसाने में आई। विष्णु स्वयं, अवतार कृष्ण हैं, गोकुल बजे वधाई। राधा बिना,कृष्ण आधा है, राधा ही कान्हा है। कान्हा बिना,अधूरी राधा, राधा बिन कान्हा है। राधा-माधव, युगल मनोहर, झाँकी सुंदर, प्यारी। करती हैं निर्मूल दुखों को, श्री वृषभानु दुलारी। हैं बड़भाग, राधिका रानी, कृष्ण बने अनुगामी। तीन लोक आधीन आपके, बारंबार नमामि। लीला मधुर,राधिका जी की, अविरल गंगा धारा। सुखद छटा, राधा-मोहन की, मनमोहन अति प्यारा। चरण शरण जो रहे युगल की, पाप, ताप मिट जाते। जनम-मरण के भव बंधन से, सब छुटकारा पाते। विष्णु रूप में जन्मे कान्हा, लक्ष्मी रूप में राधा। युगल रूप जो दर्शन करता, हट जाती है बाधा। देह रुप हैं कृष्ण कन्हाई, बनी आत्मा राधा। कृष्ण अधूरे हैं राधा बिन, बिन कान्हा के रा...
सोलह कलाओं के अवतार
स्तुति

सोलह कलाओं के अवतार

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** रमा विष्णु के तुम अवतार, राधाकृष्ण तुम्हें प्रणाम। जब जब नाश धर्म का होता, तब-तब जन्म सुरेश का होता सोलह कलाओं के अवतार, राधाकृष्ण तुम्हें प्रणाम।। बने राम अहिल्या तारी, रूप कृष्ण में पूतना मारी तुम अवतारी गोकुल धाम, राधा कृष्ण तुम्हें प्रणाम।। बंसी बजाएँ सबको बुलाएँ, राधा के मुरलीधर घनश्याम बैरन मुरली छीन लई, राधा कृष्ण तुम्हें प्रणाम।। रास रचाएँ, गोपी नचाएँ, गोपों के तुम मितवा श्याम जय-जय कृष्ण राधे श्याम, राधा कृष्ण तुम्हें प्रणाम।। वृंदावन की कुंज गलिन को, छोड चले तुम राधा के श्याम मथुरा में जा कंस संघारे, यशोदा नंदन तुम्हें प्रणाम।। रणछोड़ भए द्वारिका बसाई, अर्जुन सम्मुख गीता रचाई जय सुखधाम, जय सुखधाम, देवकीनन्दन तुम्हें प्रणाम।। सोलह कलाओं के अवतार, राधाकृष्ण तुम्हें प्रणाम ...
श्याम पधारो
गीत, स्तुति

श्याम पधारो

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** रक्षक बनकर श्याम पधारो, ले लो फिर अवतार। पावन भारत की धरती पर, अब जन्मो करतार।। घोर निराशा मन में छाई, मानव है कमजोर। काम क्रोध मद मोह हृदय में, थामो जीवन डोर।। शरण तुम्हारी कान्हा आए, तिमिर बढ़ा घनघोर। अब भी चीर दुशासन हरते, दुष्टों का है जोर।। सतपथ में बाधक बनते हैं, बढ़ते अत्याचार। गीता का भी पाठ पढ़ा दो, व्याकुल होते लाल। नैतिकता की दे दो शिक्षा, बन कर सबकी ढाल।। आनंदित इस जग को कर दो, चमकें सबके भाल। धर्म सनातन हो आभूषण, बदले टेढ़ी चाल।। राग छोड़कर पश्चिम का हम, रखें पूर्व संस्कार। त्याग समर्पण पाथ चलें नित, हमको दो वरदान। शील सादगी को अपनाकर, नित्य करें उत्थान। सत्य निष्ठ गंम्भीर बनें हम, दे दो जीवन दान। जीवन सार्थक कर लें अपना, कृपा करो भगवान।। मर्यादा के रक्षक प्रभु तुम, ज...
गणेश-वंदना
स्तुति

गणेश-वंदना

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** हे विघ्नविनाशक, बुद्धिप्रदायक, नीति-ज्ञान बरसाओ । गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ।। कदम-कदम पर अनाचार है, झूठों की है महफिल आज चरम पर पापकर्म है, बढ़े निराशा प्रतिफल एकदंत हे ! कपिल-गजानन, अग्नि-ज्वाल बरसाओ । गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ ।। मोह, लोभ में मानव भटका, भ्रम के गड्ढे गहरे लोभी, कपटी, दम्भी हंसते हैं विवेक पर पहरे रिद्धि-सिद्दि तुम संग में लेकर, नवल सृजन सरसाओ। गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ ।। जीवन तो अब बोझ हो गया, तुम वरदान बनाओ नारी की होती उपेक्षा, आकर मान बढ़ाओ मंगलदायी, हे ! शुभकारी, अमिय आज बरसाओ । गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ ।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म : २५-०९-१९६१ निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश) ...
गणपति स्तुति – कुण्डलिनी छंद
स्तुति

गणपति स्तुति – कुण्डलिनी छंद

कन्हैया साहू 'अमित' भाटापारा (छत्तीसगढ़) ******************** अधिनायक अधिपति 'अमित', अभिनंदित अधिलोक। शुभदाता करिये शमन, शरणागत का शोक।। शरणागत का शोक, विश्वमुख वरदविनायक। प्रथम नमन अवनीश, अष्टमंगल अधिनायक।। गुणवंता गुणनिधि गुणिन, गौरीसुत गणराज। सुखदायक शंकरसुवन, सिद्ध कीजिए काज।। सिद्ध कीजिए काज, जयति जय जगत नियंता। 'अमित' अथक अनुनीत, गुणाकर हे गुणवंता।। मोदक, मेवा, मधु सहित, मनोभाव मनुहार। मैं मूरख मतिमंद मति, अर्चन हो स्वीकार।। अर्चन हो स्वीकार, मिले मुझको चरणोदक। 'अमित' अकिंचन भेंट, भावमय मेवा मोदक।। सदा सहायक भक्त के, स्वामी सिद्ध समर्थ। विघ्न विनाशक विघ्नहर, कर सुविमल अव्यर्थ।। कर सुविमल अव्यर्थ, आप ही हो अवधायक। 'अमित' विनय स्वीकार, रहो अब सदा सहायक।। परिचय : कन्हैया साहू 'अमित' (शिक्षक) निवासी : भाटापारा (छत्तीसगढ़) घोषणा : मैं यह शपथ पू...
सृष्टि का आधार नारी
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सृष्टि का आधार नारी

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** नारी की पूजा करिए सब, वह परमेश्वर का वरदान। तन-मन करती सदा समर्पित, जननी प्रज्ञा को दो मान।। है आधार सृष्टि की नारी, करो सदा उसका सत्कार। दुर्गा काली है रणचंडी, नारी देवी का अवतार।। रानी लक्ष्मीबाई साहस, पराक्रमी दुर्गा पहचान। त्यागमूर्ति है वह करुणा की, बसती बच्चों में है जान।। जगजननी माता है नारी, पावन गंगा की है धार। प्रेम त्याग की वह है मूरत, जीवन का अनुपम शृंगार।। नारी धरती का है गौरव, देती सबको दुर्लभ ज्ञान। शत- शत नमन करो नारी को, नित करना उसका जयगान।। लक्ष्मी देवी नारी घर की, नहीं रही वह अबला आज। पुरुषों से भी वह है बढ़कर, उससे उन्नत लोक समाज।। जान देशरक्षा में देतीं , करती रहती हैं बलिदान। राह दिखाती है विकास की, सत्कर्मों की लौकिक खान।। चीर-हरण रोको नारी का, करते क्यों ह...
शिव महिमा
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शिव महिमा

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** तुम ही आदि अनादि अनन्त हो घट-घट वासी सर्व दिग् दिगन्त हो गौरा को अमर कथा गुहा में सुनाये उभय कपोतों को भी सहज अमर बनाये सर्वत्र व्याप्त अविनाशी समान्त हो त्रिनेत्र धारी अविकल व प्रशान्त हो सहज प्रसन्न होते, हो अति ही भोले अंग भस्म रमाते, हो गले सर्प डाले सर्व हितकारी शिव सर्वत्र रमन्त हो त्रिशूलधारी डम-डम डमरू बजन्त हो हलाहल पीकर नीलकंठ कहलाये जटा बाँध गंगा, गंगाधर कहलाये भक्तन हितकारी, सदा सर्व सुखन्त हो उर्ध्व अध विराजित, नितान्त एकान्त हो। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में काव्य पाठ, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में गद्य, पद्य ...