अमृत बरसाओ त्रिभुवन
सरला मेहता
इंदौर (मध्य प्रदेश)
********************
बीत गई है अब सहर
आ गया अंतिम प्रहर
मचा है चहुँ ओर कहर
नीलकंठ पधारो अब
करो पान प्रभु ये ज़हर
आतंक की फैली लहर
धरा भी गई अब दहल
ये पसर रहा है खलल
अखिलेश्वर पधारो अब
शांति की करो पहल
बुद्धिप्रदाता तेरे गणपति
रिद्धि सिद्धि हो प्राप्ति
शुभ लाभ वैभव सम्पति
देवाधिदेव पधारो अब
हर क्षेत्र में हो क्षतिपूर्ति
सरहदों पे मच रहा शोर
दुश्मनों का बढ़ रहा जोर
टूट गई रिश्तों की डोर
हे परमेश्वर पधारो अब
लाओ इक नई भोर
पर्वतों के ध्वस्त आवरण
नदी ताल झेले प्रदूषण
त्रस्त हरीतिमा पर्यावरण
शिव शंम्भू पधारो अब
अमृत बरसाओ त्रिभुवन
परिचय : सरला मेहता
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
आप भी अपनी ...