देवी-वंदना
प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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अम्बे मैया करूँ वंदना, शांति-सुखों का वर दे।
भटक रहा मैं जाने कब से, मुझको अब तू दर दे।
जीवन में अब खुशहाली हो, हरियाली हो, मंगल हो,
मैं बन जाऊँ सच्चा मानव, मेरे सिर कर धर दे।।
सद् विवेक अब रहे नित्य ही, जीवन सुमन खिलें।
कभी न विपदा आये मुझ पर, कंटक नहीं मिलें।
मैं तो तेरा लाल लाडला, अम्बे करो दया तुम,
पर्वत जो भी हैं राहों में, वे सब आज हिलें।।
सुखद चेतना के पल पाऊँ, कभी नहीं क्षय हो।
हे अम्बे माँ ! सच तू देना, करुणा की लय हो।
कभी कपट मैं ना लिपटूँ मैं, लोभ से दूरी पाऊँ,
सदा मनुजता के पथ जाऊँ, माँ तेरी जय हो।।
करूँ कामना शुभ की नित ही, मंगल को सहलाऊँ।
गरिमा से माता में रह लूँ, सब पर प्यार लुटाऊँ।
इस जग में अब तो हे माता!, तेरा ही शासन है,
मन की पावनता से महकूँ, गंगा रोज़ नहाऊँ।।
मानव दीन हो गया म...