प्रभु से विनती…
प्रेम नारायण मेहरोत्रा
जानकीपुरम (लखनऊ)
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प्रभु करो करुणा तो तेरा,
"प्रेम" भक्ति गीत गाये,
जो सुने उनको, उन्ही में डूब,
उनको गुनगुनाये।
प्रभु करो करुणा....
राम जी ने की कृपा तो,
भाव खुद बहने लगे है,
और उनकी महिमा का
गुणगान हम करने लगे हैं।
गीत हों स्वर में संजोए,
श्रेष्ठ गायक जग सुनाएं।
प्रभु करो करुणा....
तुमने की किरपा तो
तुलसीदास ने मानस लिखी है,
भाव से जिसने किया है पाठ,
तो भक्ति दिखी है।
जो करे रसपान नित,
वो इससे जीवन युक्ति पाए।
प्रभु करो करुणा....
जिस हृदय करुणा जगी,
वो श्रेष्ठ मानव ही बनेगा,
भूलकर वो स्वार्थ अपना,
दीनों के दुख को हारेगा।
हर तरफ दिखने लगे तू,
वो भी तुझमें डूब जाये।
प्रभु करो करुणा...
नाम तेरा मुक्तिदायी,
इसको बस जपता रहूँ अब,
सांसे गिनती की मिली हैं,
क्या पता रुक जायें ये कब।
"प्रेम" अब सुमिरन में तेरे,...