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परशुराम चालीसा
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परशुराम चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* भृगुकुल वंश शिरोमणी, विप्र रूप अवतार। परशुराम को नमन करूं, कहत है कवि विचार।। जय-जय परसुराम अवतारी। तुम्हरी महिमा जगत विचारी।।१ पितृ भक्त संतन सुख दाता। सब जग गावे तुम्हरी गाथा।।२ मालव भूमी जन सुखकारी। लीला धारी प्रभु अवतारी।।३ माटी उपजउ फसल अनेका। सादा जीवन सब ने देखा।।४ इंदौर मुंबई रोड सुहाई। सरपट वाहन चलते भाई।।५ रेणुक पर्वत पाव पहाड़ी। कलरव पंछी हरिया झाड़ी। ६ पर्वत फोड़ निकलते झरना। उद्गम चंबल जीवन तरना।।७ तनया गाधि सत्यवति देवी। पतिव्रतधारी भृगु की सेवी।।८ ताके सुत जमदग्नी नामा। तेजवान सुंदर गुणधामा।।९ रेणूका संग ब्याह रचाये। जासे पांच पुत्र जग पाये।।१० पंचम पूत गरभ में आया। सुंदर समय जगत को भाया।।११ बैसख शुक्ला तीज सुखारी। प्रथम पहर में भै अवतारी।।१२ मंद पवन चल धूप न छाया। पावन बेला प्रभु की माया।।१३ नैन विशाल धरम...
राणा प्रताप चालीसा
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राणा प्रताप चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* मेवाड़ राज शिरोमणि, राणा वीर प्रताप। सूखी रोटी खाय के, धरम संभाला आप।। जय हो राणा जय महाराणा। जय मेवाड़ा राजपुताना।।१ धीर वीर प्रण के रखवारे। मा भारत के राज दुलारे।।२ राजस्थाना बसते भूपा। दिखते वैभव किला अनूपा।।३ जौहर पद्मा जगत बखानी। राणा वंशी वीर कहानी।।४ बलिदानी ममता की माता। पन्नाधाया जग विख्याता।।५ उदयपुर उदेसिंह बसाया। गढ़ चित्तोड़ा दुर्ग बनाया।।६ मातु पिता तुम्हरे जस पाई। उदय सिंह जसवंता बाई।।७ नौ मई पंद्रह सौ चालीसा। जन्में राणा हिन्दू ईशा।।८ कुंभलगढ़ में बजी बधाई। महलों में भी खुशियां छाई।।९ पूत अमरसिंह अजबद नारी। चेतक घोड़ा करी सवारी।।१० लम्बी भुजा लोह शरीरा। माथे तिलक मिवाड़ी वीरा।।११ तन अंगरखा लम्बी धोती। सुंदर सूरत ध्वजा करोती।।१२ तुम्हरा भाला ढाल कृपाणा। हरते रण में अरिदल प्राणा।।१३ दो तलवारे कटि सुहाती। भा...
व्याकरण चालीसा
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व्याकरण चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* अनुस्वार अनुनासिका, सदा राखिये ध्यान। अनुनासिक में लघु लखो, अनुस्वार गुरु जान।। अनुनासिक में एक है, अनुस्वार दो होय। हँसते-हँसते जानिये, हंस हँसा नहि कोय।। भाषा का संविधान बनाया। परिभाषा व्याकरण कहाया।।१ व्याकरणा के तीन हैं भेदा। वर्ण शब्द अरु वाक्य सुभेदा।।२ पाणिनि मुनि ने बहु तप कीना। हो प्रसन्न शिव ने वर दीना।।३ डिम डिम डमरु नाद सुनाया। शिव ने चौदह बार बजाया।।४ देव नागरी ध्वनी सुनाई । यही वर्णमाला कहलाई।।५ नागरि लिपि है ज्ञान की धारा। समय समय विज्ञान विचारा।।६ वर्णों के दो भेद बताये। स्वर व्यंजन में रहे समाये।।७ दीरघ लघु दो स्वर के भेदा। अइउऋ लगति मात्रा एका।।८ ए ऐ ओ औ ऊ अरु आ ई। सातों दीरघ दो कहलाई।।९ अं अः तो आयोग कहाते। ये भी मात्रा दो लगाते।।१० स्पर्श उष्मा अरु अंतस्था। व्यंजन संयुक्त अरु है रुढ़ा।।११ अष्टाध्यायी ग...
हिन्दी चालीसा
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हिन्दी चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* तैंतिस व्यंजन को गिने, ग्यारह स्वर पहिचान। अं अः है आयोगवह, चार संयुक्त जान।। ड़ ढ़ को मत भूलिये, हिंदी अक्षर ज्ञान। बावन आखर जानिये, कहत हैं कवि मसान।। जय कल्याणी हिंदी माते। तुमको नित विज्ञानी गाते।।१ व्याकर तीनों भाग बताये। वरण शब्द अरु वाक्य कहाये।।२ वर्णों का जब होता मेला। संधि का है यही झमेला।३ तीन भेद संधी है भाई। स्वर व्यंजन विसर्ग कहाई।।४ बहु तत् द्विगु अरु कर्मधराये। अव्यय द्वन्द्व समास बनाये।।५ उपसर आगे प्रत्यय पीछे। तत्सम मूला तद्भव रीझे।।६ वाक्य की परिभाषा जानो। सरल संयुक्त मिश्रा मानो।।७ सकल नाम संज्ञा कहलाते। सर्वनाम बदले में आते।।८ किरिया कर्म करत है भाई। विशेषण रंग रुप गहराई।९ अल्प अर्द्ध अरु पूर्ण विरामा। योजक कोष्ट प्रश्न निशाना।।१० गुरु कामता व्याकरण दाता। भाषा नियमा रचा विधाता।।११ नागरी देव लिपि है आली...
व्यक्ति वही धनवान है….
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व्यक्ति वही धनवान है….

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** सिर पर मेरे है बहुत मित्रों का एहसान करूँ शुक्रिया किस तरह मैं ठहरा नादान व्यक्ति वही धनवान है मिलते जिसे सुमित्र जीवन को दोजख समझ, साथी अगर कुमित्र। तन,मन रहता है मगन, साथी अगर उदार, संकट के हर दौर में, करता बेड़ा बार मित्रों से मत कीजिए, दगा और फौरेब, वरना जग तुमको कहे, कातिल औरंजेब। कृष्ण.. सुदामा मित्रता देते लोग मिशाल, पर कलियुग में पड़ गया, इसका सहज अकाल। धैर्य,धर्म और मित्रता, है जीवन का सार, रखिए सदा संभाल के, देते ख़ुशी अपार। साहिल अनुपम मित्र है, कभी न टूटे आस,ल होने मत देना कभी, रिश्तों का परिहास परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी :जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कविता, ग़ज़ल, १०० शोध पत्र प्रकाशित,...
बेटी चालीसा
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बेटी चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* बेटी तीनो तीनों देव हैं, ब्रह्मा विष्णु महेश। बेटी धरती की धुरी, धारे रूपहि शेष।। जय जय जय बेटी महरानी। लछमी दुर्गा शारद जानी।।१ उल्लू सिंह है वाहन तेरे। हंस सवारी विद्या मेरे।।२ सरस्वती बन विद्या देती। लक्ष्मी बन भंडारे भरती।।३ अंजनि बन हनुमान पठाये। जग में सबके काम बनाये।।४ वेद पुराण सदा जस गावे।। ब्रह्मा विष्णु पार न पावे।।५ रिद्धि सिद्धि गणराज बखानी। बेटी शक्ती रूप भवानी।।६ जब वह रणचंडी बन जाती। दुर्गा बनके शस्त्र चलाती।।७ दुर्गावती झांसी की रानी। इतिहासों ने कही कहानी।।८ बेटी गंगा बेटी जमना । बेटी रेवा कृष्णा सपना।।९ बेटी काली जग कल्याणी। सीता उमा अरु ब्रह्माणी।१० मंदोदरी कुंती अरु तारा। अहिल्या द्रोपति है पंचारा।।११ बेटी करुणा बेटी माया। सारे जग को पार लगाया।।१२ दुख तारा दमयंती रानी। लीलावत ने सत्य बखानी।१३ धरती जै...
मजबूर शव-यात्रा
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मजबूर शव-यात्रा

विजय गुप्ता दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** कलयुग को कोसा बहुत, संकट में हर बार। सीमा पार युद्ध संग, कोविड की भी मार ।। महामारी ग्रहण में, बहुत विरोधी तंज। कलयुग की इस दशा पे, घोर त्रासदी रंज।। द्वापर काल कृष्ण से, मिला खूब संदेश। छल कपट से लूट भाव, होगा हर परिवेश।। घरों घर रावण बैठे, लाते कितने राम। कोविड छाए हर गली, नहीं शेष अब धाम।। विरोध सहमत फेर में, सतत बढ़े प्रभाव । महामारी फंद कहे, खेलो अपने दांव।। परे हुए माया मोह, अब जीवन की चाल। हाल बिगाड़े बुरी तरह, सपने सब विकराल ।। धन-बल के तमाशबीन, जड़ बुद्धि के अधीन। सुरक्षा साधन भूलकर, हो गए अति मलीन।। बिंदास जीने वाले, बुरी तरह लाचार। कोविड डर आतंक से, भूले निज आधार।। अंतिम पथ प्रस्थान में, मात्र जरूरी चार। शव-यात्रा भी मजबूर, सूनी बिन परिवार।। परिचय :- विजय कुमार गुप्ता जन्म : १२ मई १९५६ निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़ उद्योगपति :१९७...
दक्ष चालीसा
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दक्ष चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* ब्रह्म कमल से ऊपजे, प्रजापति महाराज। चार वरण शोभित किया, करता नमन समाज।। जय जय दक्ष प्रजापति राजा। जग हित में करते तुम काजा। वेद यज्ञ के तुम रखवारे। कारज तुमने सबके सारे।।२ दया धरम का पाठ पढाया। जीवन जीनाआप सिखाया।३ प्र से प्रथम जा से जय माना। अति पावन है हमने जाना।४ पूनम गुरू असाड़ी आना। जा दिन को प्रगटे भगवाना।५ पीले पद पादुका सुहाये। देह रतन आभूषण पाये।।६ रंग गुलाबी जामा पाई। पीतांबर धोती मन भाई।।७ कनक मुकुट माथे पर सोहे। हीरा मोती माला मोहे।।८ सौर चक्र भक्ति का दाता। पांच तत्व में रहा समाता।।९ चंदन तिलक भाल लगाई। कृष्ण केश अरु मूंछ सुहाई।१० बायें भुजा कृपाण को धारे। दाहिने हाथ वेद तुम्हारे।११ ब्रह्मा आपन पिता कहाये। विरणी से तुम ब्याह रचाये।१२ पुत्र सहस दस तुमसे आये। कन्या साठ रही हरषाये१३ हरिश्चंद्र ने सत को साधा। प...
गुरु महिमा
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गुरु महिमा

डॉ. भगवान सहाय मीना बाड़ा पदम पुरा, जयपुर, (राजस्थान) ******************** गुरु ओजस्वी दीप है, नव चेतन हर ओर। अपने गौरव ज्ञान का, मनन करें हर छोर। गुरु वितान नव ज्ञान के, गुरु पावन परिवेश। हर युग के महानायक, आप मूर्ति अनिमेश। गुरुवर जागरूक हैं, गुरु करें नवाचार। आप गोविंद से बढ़े, बोलें सच विचार। गुरु भाषा का मर्म है, गुरु वाणी भंडार। आप अनुभूत सत्य है, गुरुवर सरल विचार। गुरु विशेष की खान है, गुरु कोमल अहसास। गुरु अज्ञान विनाशक है, गुरु नायक विश्वास। अभिनंदन गुरुदेव का, है सादर सत्कार। नव ज्ञान मिलें शिष्य को,करते नित उपकार। विद्यास्थली मंदिर है, गुरु मेरे भगवान। करता नित मैं वंदना, गुरुवर का सम्मान। गुरु संस्कृति की रोशनी, गुरु विशेषण विशाल। आप समान सगा नहीं, गुरु अनमोल मिशाल। नित गुरु शिष्य भला करें, जीवन रचनाकार। संस्कार की विशेषता, गुरु सफल सरक...
श्री राम चालीसा
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श्री राम चालीसा

  डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* रघुकुल वंश शिरोमणी, मनुज राम अवतार। मर्यादा पुरुषोत्तमा, कहत है कवि विचार।। जै जै जै प्रभु जय श्रीरामा। हनुमत सेवक सीता वामा।।१ लछमन भरत शत्रुघन भ्राता। मां कौशल्या दशरथ ताता।२ चैत शुक्ल नवमी सुखदाई। दिवस मध्य जन्में रघुराई।।३ नगर अवध में बजी बधाई। नर नारी गावे हरषाई।।४ दशरथ कौशल्या के प्राणा। करुणा के निधि जनकल्याणा।।५ श्याम शरीरा नयन विशाला। कांधे धनुष गले में माला।।६ काक भुसुंड दरश को आते। शिव भी जिनकी महिमा गाते।।७ विश्वामित्र से शिक्षा पाई। गुरु वशिष्ठ पूजे रघुराई।।८ बालपने में जग्य रखवाये। ताड़क बाहू मार गिराये।।९ गौतम नारी तुमने तारी। चरण धूल की महिमा भारी।।१० मुनि के संग जनकपुर जाई। शिव का धनुष भंग रघुराई।।११ सीता के संग ब्याह रचाया। जनक सुनेना के मन भाया।।१२ मिथिला नगरी दरशन प्यारे। नर नारी सब भये सुखारे।।...
बिन बोले कुछ, चल दिए
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बिन बोले कुछ, चल दिए

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** खल जाता है कुछ लोगों का इस दुनिया से जाना यादें इतनी मन में ताज़ा मुश्किल बहुत भुलाना बिन बोले कुछ चल दिए मन कर गए उदास अभी तो आकिल आप से हमें बहुत थी आस इतनी जल्दी क्या थी भाई छोड़ गए क्यों साथ ताक़त दुगुनी हो जाती थी मिलता था जब हाथ राष्ट्रवाद सद्भाव समन्वय के थे प्रबल समर्थक कर्तव्यों प्रति सदा समर्पित बातें सदा सार्थक हर मज़हब से देश बड़ा है था उनका आदर्श राष्ट्र प्रेम पर उनकी बातें करती दिल स्पर्श सरल सहज इंसान कहाँ मिलते है दुनिया में ग़ैरों का दुःख देख द्रवित हो आँसू नयनन में डाकी नही लक्ष्मण रेखा निज सुख की ख़ातिर प्यार मोहब्बत की भाषा सद्भाव प्रेम में माहिर परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी :जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश रुचि ...
गणनायक गणराज
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गणनायक गणराज

डॉ. भगवान सहाय मीना बाड़ा पदम पुरा, जयपुर, (राजस्थान) ******************** एकदंत मूषक वाहन, गणनायक गणराज। गणपति वंदन आपको, सकल सुधारों काज। बुद्धि विधाता कृपाशर, गजानन महाराज। महागणपति लम्बोदर, गौरीसुत अधिराज। विघ्न विनाशक उमापुत्र, शुभ गुणकानन कविश। सिद्धि विनायक चतुर्भुज, भालचंद्र अवनीश। मंगलकरण क्षेमकरी, विघ्नहर विघ्नराज। प्रथम निमंत्रण नाथ को, पूरे करना काज। बाल गणपति महाकाय, बुद्धिनाथ गणराज। पहला वंदन आपको, विनायक विघ्नराज। विद्यावारिधि हेरम्ब, मंगलमूर्ति प्रमोद। वीरगणपति सिद्धिदाता, भीम भूपति सुबोध। रिद्ध-सिद्ध के दातार, नाव लगा दो पार। कृपा कर नाथ दीन पर, हो भवसागर पार। परिचय :- डॉ. भगवान सहाय मीना (वरिष्ठ अध्यापक राजस्थान सरकार) निवासी : बाड़ा पदम पुरा, जयपुर, राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना...
श्री रामदेव चालीसा
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श्री रामदेव चालीसा

  डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. *******************      रामदेव जयंती पर विशेष २०/८/२० कलि काल प्रभु जन्म लिया, राम देव अवतार। जन जन के तो दुख हरे, दुष्टन को संहार।। जब जब होय धरम की हानी। करते रक्षा प्रभु जग आनी।। जय जय रामा पीड़ा हारी। भक्तन के तुम हो हितकारी।। भादो शुक्ला दूज सुहाई। संवत चौदह बासठ भाई।। बाड़मेर में उण्डू ग्रामा। जन्मे रामदेव भगवाना।। राजा रुणिचा मनुज सुधारक। दीन दुखी के पीड़ा हारक।। मैना देवी राज कुमारा। अजमल जी के घर अवतारा।।। अजमल मैना तप को जाई। पुरी द्वारका अरज लगाई।। कृष्ण मुरारी दे वरदाना। ईश अंश जन्में भगवाना।। बहिना सुगना लाछो बाई। वीरमदेवा थे बड़ भाई।। पांच पीर मक्का से आये। बाबा से परचा करवाये।। मांगे बर्तन निज के अपने। भाजन पाये जैसे सपने।। अमरकोट की राजकुमारी। बेटी थी नेतलदे प्यारी।। राजा ने पंडित भिजवाया। पाती राम ब्याह की लाया।। अ...
राम नाम में
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राम नाम में

बबली राठौर पृथ्वीपुर टीकमगढ़ (म.प्र.) ******************** होत है राम नाम में,  जग के सारे धाम। घबरा न तू तो बन्दे, जापो हरि का नाम॥ गौरा जब क्रोधित भई, मनावें हैं सब गण। जब वो चण्डी बन गईं, सभी पखारें चरण॥ खड़े ईश्वर के द्वार, जोड़े दोनों हाथ। काले धन जमा कारण, हुए कि फकीर आज॥ जब माँ की ज्योतें जलें, जगमग हो संसार। तब आशीर्वाद मिलते, मंगल होते द्वार॥ थाल सजाए सब खड़े, माँ होय तेरी जय। कि हाथ जोड़े सब खड़े, माँ टारो सबै भय॥ जो करते मेहनत हैं, होते सबके मीत। कि लिखना नहीं सरल है, दोहा गजलें गीत॥ लाज गहना औरत का, कि जिन्दगी ससुराल। बच्चे उसका खजाना, जीवन है खुशहाल॥ है चरणों में राम के, सारे चारो धाम। और मिट जाते दुख वो, जब वे थामे हाथ॥ कृष्ण का अपमान किया, दिया नहीं सम्मान। है दुर्योधन पछताया, जब लौट गए अमर (देव)॥ ठौर ठिकाने ना रहे, मइया खाओ तरस। सबै दर्शन को बैठे, मइया दे दो दरस॥ पर...
सूर्यकांत निराला चालीसा
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सूर्यकांत निराला चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* शारद सुत को नमन करुं, कीना जग परकाश। सूर अनामी गीतिका, परिमल तुलसीदास। अणिमा बेला अर्चना, चमेली अरु सरोज। गीत कुंज आराधना, सूरकांत की खोज।। हिन्दी कविता छंद निराला। सूर्यकांत भाषा मतवाला।। बंग भूमि महिषादल भाई। मेंदनपुर मंडल कहलाई।। पंडित राम सहाय तिवारी। राज सिपाही अल्प पगारी। इक्किस फरवरी छन्नु आई। पंच बसंती दिवस सुहाई।। बालक सुंदर जन्मा भाई। सकल नगर में बजी बधाई।। जनम कुंडली सुर्ज कुमारा। पीछे सूर्यकांत उच्चारा।। बालपने में खेल सिखाया। कुश्ती लड़के नाम कमाया।। हाइ इस्कूल करी पढ़ाई। संस्कृत बंगला घर सिखलाई ।। धीरे-धीरे विपदा आई। संकट घर में रहा समाई।। तीन बरस में माता छोड़ा। बीस साल में पिता विछोहा।। पंद्रह बरस में ब्याह रचाया। वाम मनोहर साथ निभाया।। पत्नी प्रेरित हिंदी सीखी। सुंदर रचना रेखा खींची।। शोषित पीड़ित कृषक लड़ाई। छोड़ न...
प्रेमचंद चालीसा
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प्रेमचंद चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* उपन्यास व गद्य कथा, हिन्दी का उत्थान। प्रेमचंद सम्राट हैं,कहत है कवि मसान।। प्रेम रंग सेवा सदन, प्रेमाश्रम वरदान। निर्मल काया कर्म प्रति, मंगल गबन गुदान।। प्रेमचंद लेखक अभिनंदन। हिन्दी विद्जन करते वंदन।।१ डाक मुंशी अजायब नामा। जिनकी थी आनंदी वामा।।२ मास जुलाई इकतिस आई। सन अट्ठारह अस्सी भाई।।३ उत्तर लमही सुंदर ग्रामा । प्रेमचंद जन्मे सुखधामा।।४ धनपतराया नाम धराये। पीछे नवाबराय कहाये।।५ सन अंठाणु मैट्रिक पासा। बनके शिक्षक बालक आशा।।६ इंटर की जब करी पढ़ाई। दर्शन अरु भाषा निपुणाई।।७ सात बरस में माता छोड़ा। चौदह पिता गये मुख मोडा।।८ दर दर की बहु ठोकर खाईं। बाला विपदा खूब सताईं।।९ बाल ब्याह से धोखा खाया। पीछे विधवा को अपनाया।।१० शिवरानी को वाम बनाये।। श्रीपत अमरत कमला पाये।।११ सन उन्निस शुभ साल कहाया। सोजे वतन देश में छाया।।१२...
अंधा बाँट रहा गर  सिन्नी
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अंधा बाँट रहा गर सिन्नी

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** अंधा बाँट रहा गर सिन्नी घरे घराना खाएँगे जूठ काट जो बच गया उसको चिमचे पाएँगे स्वार्थ में अंधा हो जाते हैं जब भी ऐसे लोग कदम कदम पर हैंकड़ी उल्लू सदा बनाएँगे घुटने पर चलने को अक्सर करता है मजबूर दुश्मन मित्र नज़र आते हैं मित्र शत्रु बन जाएँगे बाहर से तो संत दीखता अंदर अहंकार भारी तजिए ऐसा साथ अन्यथा पिछलग्गू कहलाएँगे मतलब की बातें करता है धर के रूप प्रच्छन्न बचना है मारीचि से तो सोच के कदम बढ़ाएँगे अपना घर तो करेगा रोशन दूजे के घर अंधेरा अपनी धपली अपनी राग़ गाथा निजी सुनाएँगें थोथा थोथा जेब में अपने पइया ग़ैरों के हक़ में स्वाँग भरेंगे हर पल लेकिन साहिल सा दर्शाएँगे परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी :जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश रुचि...
वारिस
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वारिस

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** वारिस बुद्धू सिद्ध हो गया माता जी भी फेल सभी सूरमा हाथ मल रहे ख़त्म हो रहा खेल फूट डाल गद्दी हथियाना रही सर्वदा नीति सब के सब हैं भारतवासी नहीं चलाया रीति तख़्त ताज की अभिलाषा में भारत हुआ विभक्त लाखों लोग शहीद हो गए बहा असीमित रक्त हिंदी चीनी भाई भाई का लगवाया नारा लूट लिया इज़्ज़त ड्रैगन ने नेहरू हुए बेचारा चीन ने हड़पा तिब्बत कश्मीर को पाकिस्तान दंश झेलता आज भी इसका अपना हिंदुस्तान माया ममता और मुलायम ने जो तीर चलाया धीरे धीरे दुर्ग ढह गए हाथ काम न आया चेता नहीं अभी तक कुनबा गई भैंस मँझधार सारे साहिल ध्वस्त हो गए हो कैसे बेड़ा पार . परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी :जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कव...
आठ तरह के प्राणियों से
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आठ तरह के प्राणियों से

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** आठ तरह के प्राणियों से रहिए सदा सतर्क किसी के दुःख या दर्द का पड़े न जिन पर फ़र्क़ राजा नियमों में बंधा ख़ुद में रहता मशगूल मदद करे क्या आप की बाधा बनें वसूल वैश्या से उम्मीद मत करिए कभी जनाब अर्थ चाहिए बस उसे क़ायम रहे शबाब जीवन में यमराज से मत चाहो उपकार जब चाहेगा ले जाएगा सुने न चीख पुकार अग्नि ख़ाक कर डालती मुश्किल बहुत बचाव लोगों के दुःख दर्द से रखती नहीं लगाव चोरों को होता नहीं किसी के कष्ट का एहसास चोरी करना फ़ितरत उनकी रखिए मत कुछ आस निज इच्छा पूरी रहे है बच्चों की रीति इच्छित ही बस चाहिए बेमतलब सब नीति भिक्षु को भिक्षा चाहिए कुछ भी रहे अभाव कभी किसी के कष्ट का पड़ता नही प्रभाव कंटक का उद्धेश्य है देना कष्ट अनंत बन सकता सुखकर नहीं वह साहिल सा संत . परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी : जौ...
विरहन की पीर
गीत, दोहा

विरहन की पीर

प्रवीण त्रिपाठी नोएडा ******************** पिया बसे परदेश में, हिय में उपजी पीर। साजन की नित याद में, नयनन बहता नीर। राधा सी बन बाँवरी, भटकूँ वन दिन-रैन। कहीं नहीं मन अब लगे, हृदय न पाये चैन। अपलक राह निहार कर, थकतीं आंखें रोज। मुख सीं कर बैठी रहूँ, नहीं निकलते बैन। चिट्ठी तक आती नहीं, ह्रदय न पावे धीर। पिया बसे परदेश में, हिय में उपजी पीर।1 जिन राहों से तुम गये, देखूँ नित उस ओर। भटकूँ बन पागल पथिक, चले न दिल पर जोर। अंतहीन विरहाग्नि में, झुलस रहीं हूँ नित्य।, हृदय दग्ध अब हो रहा, पीड़ा मन में घोर। लहरों को बस गिन रही, बैठी नदिया तीर। पिया बसे परदेश में, हिय में उपजी पीर।।2 साजन की नित याद में, नयनन बहता नीर। खटका हो जब द्वार पर, रुक जाती है साँस। द्वारे पर प्रियतम न हों, चुभती दिल में फाँस। साँसों की सरगम सधे, यदि लौटे निज गेह। दरवाजे यदि अन्य हो, लगती मन को डाँस। वापस अब आओ पिया, व्य...
मां और ममता
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मां और ममता

शुभा शुक्ला 'निशा' रायपुर (छत्तीसगढ़) ******************** माता ऐसी छावनी जा में कुटुंब समाए अपने बच्चो के गुण अवगुण छाती में लेत बसाय माता ऐसी शख्सियत जिसके सामने कुछ भी नहीं सारी दुनिया चूक करे पर मां कभी गलती करती नहीं सबसे पहले जन्म देकर लाती हमे इस दुनिया में कैसे कैसे कष्ट भोगकर पालती हमें इस दुनिया में बच्चे उसके कैसे भी हों होते उसकी आंख के तारे बेटी हो या फिर हो बेटा दोनों उसको जान से प्यारे यशोमती मैया बनकर कान्हा को माखन रोटी खिलाती महिषासुरमर्दिनी बनके फिर भक्तों को दुष्टों से बचाती लाख बुराई हो औलाद में पर वो किसी की नहीं सुनती उसकी अंधी ममता के आगे किसी की नहीं चलती मां का है अद्भुत दरबार जिसमें त्याग प्रेम और बलिदान जिसने जो चाहा वो पाया मिलता उसे पूरा सम्मान मदर टेरेसा भी इक मां थी करुणामयी ममता की मूरत कितने भूखे नंगों ने देखी इनमें अपनी मां की सूरत अपनी मां की क...
पुस्तक
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पुस्तक

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** पुस्तक अनुभव-कोष है, पुस्तक ज्ञानागार। जग में किस पर है नहीं,पुस्तक का उपकार। पुस्तक में इतिहास है, पुस्तक में भूगोल। पुस्तक में है सभ्यता, पुस्तक है अनमोल। पुस्तक में गुर ज्ञान है, पुस्तक में निर्देश। पुस्तक में है सम्मिलित, जीवन के संदेश। मानव के पथ-प्रदर्शक, पुस्तक हों या ग्रंथ। लाभ ग्रहण इनसे करें, जगती के सब पंथ। संस्मरण-अनुभूतियाँ, लेतीं पुस्तक रूप। सकुचातीं इस रूप से, मार्तण्ड की धूप। पुस्तक से है संस्कृति, है आचार-विचार। पुस्तक से बढ़ता सदा, जीवन-शिष्टाचार। पुस्तक है तो ज्ञान है, पुस्तक है तो शान। पुस्तक से मिलता हमें, जीवन में सम्मान। युगों-युगों से पुस्तकें, हमें दिखाएँ राह। अच्छी पुस्तक-पठन की, किसे नहीं है चाह। पुस्तक साथी है परम, परामर्श दे नित्य। जब छाए भ्रम का तिमिर, बने ज्ञान-आदित्य। शब्दों में ढलने लगें, सुन...
सेवा कर्म में राम
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सेवा कर्म में राम

नरपत परिहार 'विद्रोही' उसरवास (राजस्थान) ******************** राम नाम सेवा कर्म, सेवा कर्म में राम। राम पुण्य का हैं सुफल, राम मुक्ति का धाम।।1।। जपना राम नाम कहे, मिटते कष्ट हजार। सुख में भी सुमिरन करे, मन की इच्छा मार।।2।। मंदिर-मंदिर घुम फिरे, मिले नहि कहीं राम। बगल छुरी दबा ली, कहां से मिले श्याम।।3।। ना मंदिर-मस्जिद बसे, ना काबा कैलास। मन भीतर जाके देख , राम करे मनवास।।4।। लिये हाथ कटार फिरे, शिकार उनका काम। दुजे को उपदेश देत, बोले जयश्री राम।।5।। . परिचय :- नरपत परिहार 'विद्रोही' निवासी : उसरवास, तहसील खमनौर, राजसमन्द, राजस्थान आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindira...
तन से तन अब न सटे
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तन से तन अब न सटे

संतोष 'साग़र' महद्दीपुर, जहानाबाद (धनबाद) ******************** तन से तन अब न सटे, रहो कुछ दुरी बनाय! 'कोरोना' से मुक्ति का, मंत्र रहा हु बताय!! घर में रहिये रात - दिन, बीबी - बच्चों के संग ! तब जा कर के खिलेगा, जीवन के सब रंग !! सरकार आपके हित की,सोच रही है सोच ! फिर क्यों घर में रहने में, करते हैं संकोच !! कुछ दिन में ही टल जायेगा, 'कोरोना' का भय! इतनी सी बस बात क्यों, तुमको समझ न आये !! हमने इस से पहले भी, कितने देखे है रोग ! दुरी बना के ही रहें, जल्दी होंगें निरोग !! देश हित के फैसले को, मिल कर करें सम्मान ! तब ही बच पायेगा, मेरा प्यारा हिंदुस्तान !!   परिचय :-  संतोष 'साग़र' माता :- श्रीमति सरिता देवी पिता :- श्री कृष्णानन्दन सिंह शिक्षा :- स्नात्तक (मगध विश्वविद्यालय), औद्योगिक प्रशिक्षण (ओड़िसा), प्राथमिक स्काउट शिक्षक (बिहार ) जन्म दिनांक :- १०/०२/१९९४ सम्प्रति :- वरीय सह...
गुरुवर
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गुरुवर

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** गुरुवर ज्ञानप्रकाश है, गुरुवर अनुभव-खान। और धरा पर कौन है, कहिए मनुज महान। कृपा हुई गुरु की बड़ी, मिला ज्ञान का कोष। मेरे मन में बस गया, सुखदाई संतोष। गुरुवर ने अद्भुत किया, तन-मन पर उपकार। मैने सबकुछ पा लिया, विस्मित है संसार। गुरुवर की महिमा बड़ी, कैसे हो गुणगान। अर्जित विद्या से हुए, शिष्य महा धनवान। पथ-प्रदर्श निज शिष्य का, करते रहते नित्य। गुरुवर धुंधली राह में, बन जाते आदित्य। . परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा लेखन विधा ~ कवित...