परशुराम चालीसा
डाॅ. दशरथ मसानिया
आगर मालवा म.प्र.
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भृगुकुल वंश शिरोमणी, विप्र रूप अवतार।
परशुराम को नमन करूं, कहत है कवि विचार।।
जय-जय परसुराम अवतारी।
तुम्हरी महिमा जगत विचारी।।१
पितृ भक्त संतन सुख दाता।
सब जग गावे तुम्हरी गाथा।।२
मालव भूमी जन सुखकारी।
लीला धारी प्रभु अवतारी।।३
माटी उपजउ फसल अनेका।
सादा जीवन सब ने देखा।।४
इंदौर मुंबई रोड सुहाई।
सरपट वाहन चलते भाई।।५
रेणुक पर्वत पाव पहाड़ी।
कलरव पंछी हरिया झाड़ी। ६
पर्वत फोड़ निकलते झरना।
उद्गम चंबल जीवन तरना।।७
तनया गाधि सत्यवति देवी।
पतिव्रतधारी भृगु की सेवी।।८
ताके सुत जमदग्नी नामा।
तेजवान सुंदर गुणधामा।।९
रेणूका संग ब्याह रचाये।
जासे पांच पुत्र जग पाये।।१०
पंचम पूत गरभ में आया।
सुंदर समय जगत को भाया।।११
बैसख शुक्ला तीज सुखारी।
प्रथम पहर में भै अवतारी।।१२
मंद पवन चल धूप न छाया।
पावन बेला प्रभु की माया।।१३
नैन विशाल धरम...