Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

दोहा

दीपावली पर्व पर
दोहा

दीपावली पर्व पर

रजनी गुप्ता 'पूनम चंद्रिका' लखनऊ ******************** धन की सुखवर्षा सदा, करना आप कुबेर। प्रभु मेरी विनती सुनो, लगा रही हूँ टेर।। पूज रहे सब संग में, लक्ष्मी और गणेश। हो वर्षा सौभाग्य की, करें कुबेर प्रवेश।। नरक चतुर्दश पर रहें, दुख कोसों ही दूर। माँ लक्ष्मी की हो कृपा, हम सब पर भरपूर।। हनुमत का है अवतरण, नरक चतुर्दश- वार। बल विद्या अरु बुद्धि के, भरते हनु भण्डार।। दुःख सहें कन्या बहुत, थीं षोडशः हजार। नरकासुर को मार कर, दिया कृष्ण ने तार।। शिव चतुर्दशी पर मनुज, शिव को करो प्रणाम। पंचामृत अर्पण करो, गौरा का लो नाम।। मना रहे दीपावली, गणपति का ले नाम। नारायण के संग में, रमा विराजें धाम।। महामयी ममतामयी, माँ की कृपा महान। आओ घर में आप माँ, देने को वरदान।। परिचय : रजनी गुप्ता 'पूनम चंद्रिका' उपनाम :- 'चंद्रिका' पिता :- श्री रामचंद्र गुप्ता माता - श्रीमती र...
मिट्टी मेरी शान
दोहा

मिट्टी मेरी शान

गाज़ी आचार्य 'गाज़ी' मेरठ (उत्तर प्रदेश) ******************** भारत मेरा देश है, मिट्टी मेरी शान । कहो गर्व से देश की, हिन्दी है पहचान ।। एक देश है विश्व में, भारत जिसका नाम । बसते धर्म अनेक है, सबको करूँ प्रणाम ।। हिन्दी आत्मा है यहाँ, संस्कृत सबका साज़ । पावन धरती देश की, हिन्दी है आवाज़ ।। पग-पग बदले बोलियां, कदम-कदम पर रूप । एक समय में सब मिले, कहीं छाँव तो धूप ।। परिचय :- गाज़ी आचार्य 'गाज़ी' निवासी : मेरठ (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hin...
साईं दोहावली
दोहा

साईं दोहावली

अरविन्द सिंह गौर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** श्री गणेश को नमन कर श्री साईं का ले नाम। श्रध्दा-सबूरी मन में रखो पूरन होगे सब काम।। कलयुग के अवतार है साईंनाथ हमारे करतार है साईंनाथ। करते उपकार है साईंनाथ पतित पावन साईंनाथ।०१। कष्ट बडे जब दास पूकारे दूर करो साईं दुख हमारे। नीम तले प्रकटे साईंनाथ पतित पावन साईंनाथ।०२। ________ चांद ने अपनी घोडी को बहुत तलाशा पता बताकर साईं ने जगाई आशा। चांद के साथ चले साईंनाथ। पतित पावन साईंनाथ।०३। बारात में फकिर शिर्डी पधारे माल्सापति ‘‘आओ साईं‘‘ पूकारे द्वारकामाई मसिद में निवासे साईंनाथ। पतित पावन साईंनाथ।०४। भक्तो ने खोदा नीम स्थान नीचे जल रहे चार दिए महान। यही लगाते समाधी साईंनाथ। पतित पावन साईंनाथ।०५। द्वारकामाई मसिद में होता साईं का दर्शन साईं करते दूर बाहरी आकर्षण। यही निवासे साईंनाथ पतित पावन साईंनाथ।०...
दोहे
दोहा

दोहे

नितिन राघव बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश) ******************** सच राम आज भी राम, ना हुए प्राचीन। बोलने से राम राम, रंक भी नामचीन।। घायल कि सब चोटों पर, तुरन्त कर दो लेप। नहीं सोचो अच्छा है, या बुरा हस्तक्षेप।। उठता बादल देखकर, मोर करते नाचे। पक्षी बनाते घोसलें, लकडियाँ है जांचे।। परिचय :- नितिन राघव जन्म तिथि : ०१/०४/२००१ जन्म स्थान : गाँव-सलगवां, जिला- बुलन्दशहर पिता : श्री कैलाश राघव माता : श्रीमती मीना देवी शिक्षा : बी एस सी (बायो), आई०पी०पीजी० कॉलेज बुलन्दशहर, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से, कम्प्यूटर ओपरेटर एंड प्रोग्रामिंग असिस्टेंट डिप्लोमा, सागर ट्रेनिंग इन्स्टिट्यूट बुलन्दशहर से कार्य : अध्यापन और साहित्य लेखन पता : गाँव- सलगवां, तहसील- अनूपशहर जिला- बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश)। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एव...
श्री गोवर्धन चालीसा
दोहा

श्री गोवर्धन चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* गोवर्धन गौआ चरण, घांस पात भंडार। कणकण में राधारमण, कहे मसान विचार।। जय जय गोवर्धन महराजा। ग्वालबाल के तुम ही राजा।।१ छप्पन भोग तुम्हें लगाऊं। नित उठ पूजा कर गुण गाऊं।।२ गौ माता के पालन हारा । घांस पात के तुम भंडारा।।३ पर्यावरण के हो तुम रूपा। छाया फल दे संत स्वरूपा।।४ जीव जन्तु के तुम रखवारे। पंछी करते कलरव सारे।।५ सात कोस की करे चलाई। कोई चलते दंडवत जाई।।६ लाल लंगुरों की चपलाई। फल फूलों को लेत छुडाई।।७ लाला ने जब तुम्हे उठाये। तब से गिरधारी कहलाये।।८ जय गिरधर जय पर्वत राजा। माथमुकुट भौ तिलक विराजा।।९ जतीपुरा अरु मानस गंगा। दान घाटी से धरम प्रसंगा।।१० नंगे पैर अरु हाथन माला। मुख में नाम भजें गोपाला।।११ हर पाथर है सालग रामा। तेरी रज मे बसती श्यामा।।१२ सात दिनों की बरसा भारी। हा हा...
अष्टांग योग पर दोहे
दोहा

अष्टांग योग पर दोहे

अख्तर अली शाह "अनन्त" नीमच (मध्य प्रदेश) ******************** चंचल मन को रोकना, लोगों योग महान। स्थिर चित्त से ही मिला, करते हैं भगवान।। योग भोग में एक ही, अंतर जान सुजान। जाना आना एक को, मुक्ति एक की जान।। मन शरीर को शुद्धकर, कर लो तुम उद्धार। योग करो निशिदिन यहां, भवसागर हो पार।। प्रकृति, पुरुष भेद का, हो जाता है ज्ञान। तम के गम का योग से, होता रहा निदान।। आठ मंजिली योग की, कर बिल्डिंग में वास। रोग नहीं फटके कभी, मानव तेरे पास।। 'यम ''नियम''आसन' हो या, करें' समाधि' ध्यान। आठ अंग के योग में, है इनका अवदान।। 'प्राणायाम' हम करें, या हो 'प्रत्याहार'। करें 'धारणा' योग तो, तन में रहे निखार।। यम (सामाजिक नैतिकता) 'सत्य' 'अहिंसा' धार ले, 'ब्रह्मचर्य' ले ठान। 'अपरिग्रह' 'अस्तेय' से, होते लोग महान।। नियम (व्यक्तिगत नैतिकता) 'स्वाध्याय' 'तप '...
रोटी के नाम
दोहा

रोटी के नाम

विकास सोलंकी खगड़िया (बिहार) ******************** डिजिटल के इस दौर में, लाख करें अपलोड । गूगल से होता नहीं, रोटी डाउनलोड ।। रोटी मिलती है नहीं, हम मुफलिस को एक । जनम दिवस के नाम पर, काट रहे वो केक ।। होते होते हो गई, रोटी ज्यों ही गोल । तपते ताबे पर चढ़ा, अनगढ़ सा भूगोल।। युद्ध अमन की कामना, जब भी करते खास । दुहराना पड़ता सदा, रोटी का इतिहास ।। देना पड़ता सूर्य को, सच में तब धिक्कार । पा लेता है चाँद जब, रोटी का आकार।। परिचय :-विकास सोलंकी निवासी : खगड़िया (बिहार)) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रक...
मां शबरी चालीसा
दोहा

मां शबरी चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* भक्ति शिरोमणि मातु है, शबरी सुंदर नाम। रामनाम सुमिरन किया, पाया बैकुंठ धाम।। सीधी साधी भोली-भाली। दंडक वन में रहने वाली।।१ सबर भील की राजकुमारी। करुणा क्षमा शीलाचारी।।२ बेटी श्रमणा सबकी प्यारी। सुंदर रूपा बढ़ व्यवहारी।।३ बीता बचपन भइ तरुणाई। समय देख कर भई सगाई।।४ फिर पिता ने ब्याह रचाये। जाति भाई सभी बुलाये।।५ मंडप बंदन खूब सजाये। बेलें बूटे फूल लगाए।।६ नगर गांव में बजी बधाई। नाचे गावे लोग लुगाई।।७ समझ पाए बरात बुलाई। बूढ़े बालक सबमिल आई।।८ भोज रसोई मेढा़ लाई। दृष्य देख शबरी घबराई।।९ करुणा से आंखे भर आई। उपाय कोई समझ न पाई।।१० सौ जीवों की जान बचायें। कोई बात सुझा ना पाये।।११ मंडप छोड़ा शबरी भागी। प्रभु की भक्ती मन में लागी।१२ गुरु मतंग के आश्रम आई। चरण छुए फिर आशीष पाई।।१३ श्र...
घर में बैठी ईद
दोहा

घर में बैठी ईद

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** तालाबन्दी हो गई, घर में बैठी ईद। कोरोना ने कर दिए, लाखों लोग शहीद। कोरोनावश हो गया , मेले पर प्रतिबंध। चिमटे का कैसे करे, बालक महा प्रबंध। मुनिया रोती ही रही, सिले नहीं परिधान। कोरोना से ईद पर, लुप्त हुई मुस्कान। सन्नाटा पसरा रहा, घर-आँगन के पास। आया कोई भी नहीं, परिजन रहे उदास। एक अकेली ईद क्या, मौन सभी त्योहार। कोरोना के वार से, पीड़ित है संसार। कोरोना में ईद है, बंदिश है हर देश। मोबाइल द्वारा सभी, भेज रहे संदेश। घर सूना-सूना लगे, बिटिया बिना 'रशीद'। बिटिया है तो पर्व है, बिटिया है तो ईद। परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी...
श्री राम चालीसा
दोहा

श्री राम चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* रघुकुल वंश शिरोमणी, मनुज राम अवतार। मर्यादा पुरुषोत्तमा, कहत है कवि विचार।। जै जै जै प्रभु जय श्रीरामा। हनुमत सेवक सीता वामा।।१ लछमन भरत शत्रुघन भ्राता। मां कौशल्या दशरथ ताता।२ चैत शुक्ल नवमी सुखदाई। दिवस मध्य जन्में रघुराई।।३ नगर अवध में बजी बधाई। नर नारी गावे हरषाई।।४ दशरथ कौशल्या के प्राणा। करुणा के निधि जनकल्याणा।।५ श्याम शरीरा नयन विशाला। कांधे धनुष गले में माला।।६ काक भुसुंड दरश को आते। शिव भी जिनकी महिमा गाते।।७ विश्वामित्र से शिक्षा पाई। गुरु वशिष्ठ पूजे रघुराई।।८ बालपने में जग्य रखवाये। बाहु ताड़का मार गिराये।।९ गौतम नारी तुमने तारी। चरण धूल की महिमा भारी।।१० मुनि के संग जनकपुर जाई। शिव का धनुष भंग रघुराई।।११ सीता के संग ब्याह रचाया। जनक सुनेना के मन भाया।।१२ मिथिला नगरी दर्शन प्यारे। नर नारी सब भये सुखारे।।१३ म...
नल दमयंती चालीसा
दोहा

नल दमयंती चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* युधिष्ठिर के दुख देख के, वृहदश मुनि समझाय। नल दमयंती कथा कहि, सुन पांडव हरषाय।। वीर सेन थे निषद नरेशा। सुंदर पूत भये नल एका।।१ वीर उदार पराक्रम भारी। एक बुराई कभी जुआरी।।२ एक दिना की सुनो कहानी। उपवन में नल घूमन आनी।।३ सुंदर जोड़ा हंसन देखा। चितवन चंचल रूप विशेषा।।४ दमयंती की करी बड़ाई। सुनके नल मन में हरषाई।।५ भीम नाम कुंडनपुर भूपा। जिनकी कन्या सुंदर रूपा।।६ दमयंती बेटी है नामी। सुघर सलोनी जगत बखानी।।७ सुता स्वयंवर भीम रचाये। राजा मानव देव बुलाये।।८ वरुण इन्द्र अग्नि यम आये। चारों ने नल रूप बनाये।।९ जब कन्या ने नल नहिं जाना। देवों से की विनती नाना।।१० प्रसन्न हो दो दो वर दीना। फिर कन्या ने नल वर लीना।।११ इंद्रसेन सुत सुता कहाये। रानी दम ने गर्भन जाये।।१२ खुशी खुशी कछु समय बिताई। नर नारी सब भये सुखाई।।१३ काल समय ने पलटा ...
सुदामा चालीसा
दोहा

सुदामा चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* कृष्ण सुदामा प्रीत को, जाने सब संसार। नाम प्रेम से लीजिए, होवें भव से पार।। मित्रों की जब होती बातें। कृष्ण सुदामा नही भुलाते।।१ जात पांत ना दीन अदीना। खेलत संगे प्रेम अधीना।।२ बाल पने में करी पढ़ाई। सांदीपन के आश्रम जाई।।३ बालक से फिर बन तरुणाई। छोड़ खेल गृहस्थी सिर आई।।४ नाम सुशीला भोली भाली। आज्ञाकारी थी घर वाली।।५ रुखी सूखी रोटी खाती । गीत भजन में समय बिताती।।६ फिर घर में बच्चे भी आये। भक्त सुदामा मांगत खाये।।७ जो भी मिलता करे गुजारा। घर का मिटता नही दुखारा।।८ एक दिना पति से बतराई। भूखे बच्चे दिल भर आई।।९ मैं नहि मांगू दाख मिठाई। पेट भरण का करो उपाई।।१० बाल सखा हैं कृष्ण मुरारी। जो दीनन के पीड़ा हारी ।।११ तुम भी जाओ करो याचना। मागों भिक्षा दरद बांटना।।१२ सच्चा सच्चा हाल सुनाओ। घर के दुखड़ा सभी बताओ।।१३ भगत सुदामा को ...
महाभारत चालीसा
दोहा

महाभारत चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* महभारत महकाव्य है, वेद व्यास का गान। एक लाख इश्लोक हैं, कहत हैं कवि मसान।। वेद व्यास ने ग्रंथ बनाया। महभारत जब नाम धराया।।१ एक लाख सब श्लोक रचाये। संत मुनी सबके मन भाये।।२ पर्व अठारह सकल कहानी। कौरव पांडव कथा बखानी।।३ आदि सभा आरण्य विराटा। करण उद्योग भीषम द्रोणा।।४ शल्य सौप्तिकआश्रम वासिक। स्वर्गारोहण महप्रस्थानिक।।५ इस्तरि शांति अश्वामेधिक। पर्व अठारह अनुशासनइक।।६ ब्रह्मा से मुनि अत्रि आये। चन्द्र बुध पुरुवा कहलाये।।७ आयु नहुष ययाति राजा। पुरुभरत कुरु शांतु समाजा।८ शांतनु गंगा भीषम जाये। सत्यवती से ब्याह रचाये।९ चित्रांगद विचित्र वीरा। भ्राता गंगासुत मति धीरा।।१० भीषम काशीराज हराये। अंबे अंबिक कन्या लाये।।११ व्यास दृष्टि धृतराष्ट्र बुलाये। अंबालिक ने पांडू जाये।।१२ फिर दासी हॅंस आगे आयी। विदुर मुनी सा बेटा पाई।।१३ राजा ...
रामायण चालीसा
दोहा

रामायण चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* राम नाम उच्चारिये,छूटे भव संसार। जीवन परहित कीजिये,कहत है कवि विचार।। राम नाम जग महिमा छाई। राम कथा शिव उमा सुनाई।।१ काकभुसुंड गरुड़ समझाई। याज्ञवल्क भरद्वाज बताई।।२ रामायण के भेद अनेका। बहुभाषा में कवियन लेखा।।३ कृती वास बंग्ला में गाया। रंगनाथ को तेलगु भाया।।४ भाष तमिल में कंबन भाई। दिवाकरा कश्मीरी गाई।।५ सरलदास की उड़िया भाषा। देश विदेशा जन विश्वाशा।।६ वाल्मीकि संस्कृत में गाई। तुलसी ने फिर अवधि रचाई।।७ संवत् सोलह तैंतिस आया। रामचरित मानस जग छाया।८ सात महीना अरु दो साला। छब्बिस दिन में ग्रंथ विशाला।।९ दोहा चौपइ छंद अनेका। सात कांड में रचना लेखा।।१० बाल कांड जन्मे रघुराई । भरत शत्रुघन लछमन भाई।।११ कौशल दशरथ नंदन प्यारे। खेलें आंगन आंखन तारे।१२ विश्वामित्र गुरू रघुराई। बाल पने में शिक्षा पाई।।१३ मार ताड़का सुबाहु दानव। ...
महुए के हर अंग पर
दोहा

महुए के हर अंग पर

भीमराव झरबड़े 'जीवन' बैतूल मध्य प्रदेश ******************** महुए के हर अंग पर, चढ़ा नशीला प्यार। हुरियारा किंशुक कहे, सुंदर हो संसार।।१ श्याम राधिका की तरह,प्रीत करें नर नार। कान्हा के ब्रजधाम सा, सुंदर हो संसार।।२ इस धरती पर प्रीत की,मधुरिम बहे बयार। कष्ट रहित हो जीव सब, सुंदर हो संसार।।३ अंतस में सौहार्द का, भरा रहे उद्गार। नष्ट फसल हो द्वेष की, सुंदर हो संसार।।४ संस्कृति में सौंदर्य के, चाँद लगे हों चार। सबको दे सम्मान सब, सुंदर हो संसार।।५ सबके सपनों को मिले,उन्नति का आधार। हो कुटुम्ब वसुधैव तब, सुंदर हो संसार।।६ गया न कोई स्वर्ग में, झूठा है हरिद्वार। सच तो खजुराहो कहे, सुंदर है संसार।।७ परिचय :- भीमराव झरबड़े 'जीवन' निवासी- बैतूल मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी ...
रहो अटल चट्टान
दोहा

रहो अटल चट्टान

संजू "गौरीश" पाठक इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** संकट कितने हो बड़े, रहो अटल चट्टान। नेक कर्म करते रहो, पुनः मिलेगा मान।।(१) कभी न हिम्मत हारिए, हो मुश्किल का दौर। अंगद पाँव जमाइए, मिल जाएगा ठौर।। (२) सच्चाई की राह पे, चलता है जो कोय। दथविपदा चाहे हो बड़ी, जीत सत्य की होय।।(३) कलम दुधारू अस्त्र है , समझें असी समान। कवि लेखनी सशक्त है, पाते हैं सम्मान।। (४) कांधे पर हल जो धरे , निपट कृषक कहाय। कुछ तो कवि ऐसा लिखो, मुख मुस्कान समाय।।(५) खाली बर्तन देखिए, करता अति आवाज। तोल-मोल कर बोलिए यही सफलता राज।। (६) नफरत ऐसी आग है, सकल भस्म हो जाय। प्रेम डोर में बांधे, जन्म सफल हो जाय।। (७) चिंता से कछु ना बने, चिंतन राह दिखाय। जब भी भीर आन पड़े, शीतल मन सुलझाय।।(८) कभी हार ना मानिए, विषम काल हो पास। नियत अवधि पश्चात ही, होता सदा उजास।।(९) परिचय :- संजू "गौरीश" पाठक निवासी : इंदौर मध्...
गुरु चालीसा
दोहा

गुरु चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* नमन करो गुरुदेव को, धर चरणों में ध्यान। ज्ञान दान के कुंभ में, सभी करें अस्नान।। जय जय जय गुरुदेव हमारे। हम आए हैं शरण तिहारे।।१ तुमसा कौन जगत में दानी। सादा जीवन मीठी वाणी।।२ गुरु बिन ज्ञान मिले ना भाई। चाहे लाख करो चतुराई।।३ मंत्री संत्री सभी गुरु से। यह परिपाटी रही शुरू से।।४ गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु कहाये। गुरु को शिव में हमने पाये।।५ गुरु ज्ञानी गुरु जग निर्माता। गुरू हमारे भाग्य विधाता।।६ गुरु ज्ञान की खानहि जानो। गुरु सम मात पिता को मानो।।७ गुरु नानक गुरु गोरख अपने। शंका मन में करो न सपने।।८ शिष को जीते प्रभु सुमरते। धन्य सभी को वे ही करते।।९ गुरुहि गोविंद तक पहुंचाये। अंधकार को दूर भगाये।।१० जिसने गुरु से लगन लगाई। नर से नारायण पद पाई।।११ सद्गुरु आये दर्शन पाये। कमल नैन देखत खिल जायें।।१२ मीरा ने रैदास हि पाया। रा...
अधरों पर मुस्कान
दोहा

अधरों पर मुस्कान

बुद्धि सागर गौतम नौसढ़, गोरखपुर, (उत्तर प्रदेश) ******************** काला तिल है गाल पर, अधरों पर मुस्कान। जीवन साथी खुश रहे, सदा रहे मुस्कान। हंसता मुखड़ा जान का, अधरों पर मुस्कान। पत्नी मेरी खुश रहे, मैं चाहूं मुस्कान। अधर गुलाबी है नरम, मुखड़े पर मुस्कान। दुल्हन ऐसी भाग्य से, पाता है इंसान। अधरों पर मुस्कान है, आंखों में है शर्म। पत्नी मेरी समझती, सदा हमारी मर्म। ममता की मूरत लगे, बोती है मुस्कान। अधरों पर मुस्कान से, खुश रहते संतान। रखने में कुछ ना लगे, अधरों पर मुस्कान। खुद को भी अच्छा लगे, मुस्काता इंसान। सुंदर मुखड़ा भीम का, अधरों पर मुस्कान। किए कर्म है नेक जो, हम पाए मुस्कान। शांति मिली है बुद्ध से, पंचशील का ज्ञान। अधरों पर मुस्कान है, मिला धम्म का ज्ञान। नमन करूं मैं भीम को, नमन तथागत बुद्ध। अधरों पर मुस्कान हो, सबका मन हो शुद्ध। परिचय :- बुद्धि सागर गौतम जन्म : १० जनवर...
‘रजनी’ के सप्तवार के दोहे
दोहा

‘रजनी’ के सप्तवार के दोहे

रजनी गुप्ता 'पूनम चंद्रिका' लखनऊ ******************** रविवार असुरारी अमरेश हरि, दिनकर रवि आदित्य। अरुण सदृश ले सारथी, प्रातः आते नित्य।। सोमवार ध्यान करे शिव नाम का, सोम दिवस जो भक्त। ओंकारा के जाप में, रहे भाव अभिव्यक्त।। मंगलवार संकट काटो हे प्रभो, मंगल मति संधान। शरण तुम्हारे आ पड़ी, रामभक्त हनुमान।। बुधवार बुद्धिप्रवर बुधवासरः, पूजूँ गणपति देव। मंगलछवि शुभदायकः, जपता उर अतएव।। गुरुवार गुरुवासर की रीति यह, जप लो गुरु का नाम।। संग विराजें हर घड़ी, नारायण उरधाम ।। शुक्रवार ध्यान रहे माँ-शक्ति पर, बाँधो वंदनवार। शुक्रवार की शुभ घड़ी, आई चल कर द्वार।। शनिवार नीलवर्ण घनरूप शनि, सुंदर पावन भव्य। भानुपुत्र सर्वेश घन, दाता अतुलित द्रव्य।। परिचय : रजनी गुप्ता 'पूनम चंद्रिका' उपनाम :- 'चंद्रिका' पिता :- श्री रामचंद्र गुप्ता माता - श्रीमती रामदुलारी गुप्ता पत...
आँखों के दोहे
दोहा

आँखों के दोहे

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, म.प्र. ******************** आँखों से जग देखते, हैं आँखें वरदान। आँखों में संवेदना, आँखों में अभिमान।। आँखें करुणामय दिखें, जबआँखों में नीर। आँखों में अभिव्यक्त हो, औरों के हित पीर।। आँखों में गंभीरता, और कुटिलता ख़ूब। आँखों में उगती सतत, पावन-नेहिल दूब।। आँखें आँखों से करें, चुपके से संवाद। उर हो जाते उस घड़ी, सचमुच में आबाद।। आँखें नित सच बोलतीं, दिखता नहीं असत्य। आँखों के आवेग में, छिपा एक आदित्य।। आँखों में रिश्ता दिखे, आँखों में अहसास। आँखों में ही आस हो, आँखों में विश्वास।। आँखों में संवेदना, आँखों में अनुबंध। आँखों-आँखों से बनें, नित नूतन संबंध।। आँखों से ही क्रूरता, आँखों से अनुराग। आँखों से अपनत्व के, गुंजित होते राग।। आँखें पीड़ा,दर्द के, गाती हैं जब गीत। अश्रु झलकते, तब रचे शोक भरा संगीत।। आँखें गढ़तीं मान को,...
भारतीय नववर्ष
दोहा

भारतीय नववर्ष

रजनी गुप्ता 'पूनम चंद्रिका' लखनऊ ******************** नवल किरण धारण किए, आया है नववर्ष। सदा सहायक हों प्रभो, बना रहे उत्कर्ष।। नवल वर्ष में माँ करो, हम सबका कल्याण। हरो सकल संताप-दुख, हों हर्षित मन-प्राण।। आई विपदा अब टले, भागें सारे रोग। हिल-मिल कर हम सब रहें, बना रहे संयोग।। संकट भारी आ पड़ा, सकल विश्व है त्रस्त। कोरोना की मार से, सभी हुए भय- ग्रस्त।। नवल वर्ष की माँ मिले, यह अनुपम सौगात। हम सब मिल कर दे सकें, कोरोना को मात।। करो दया हे मातु अब, सब जन हों खुशहाल। हाथ पसारे हैं खड़े, माता तेरे लाल।। परिचय : रजनी गुप्ता 'पूनम चंद्रिका' उपनाम :- 'चंद्रिका' पिता :- श्री रामचंद्र गुप्ता माता - श्रीमती रामदुलारी गुप्ता पति :- श्री संजय गुप्ता जन्मतिथि व निवास स्थान :- १६ जुलाई १९६७, तहज़ीब व नवाबों का शहर लखनऊ की सरज़मीं शिक्षा :- एम.ए.- (राजनीति शास्त्र) बीएड व्यवसाय :- गृहणी प्रकाशन :- रा...
नववर्ष पर ‘रजनी’ के दोहे
दोहा

नववर्ष पर ‘रजनी’ के दोहे

रजनी गुप्ता 'पूनम चंद्रिका' लखनऊ ******************** १ स्वागत नूतन वर्ष का, भले विदेशी चाल। वसुधा ही परिवार है, रहें सभी खुशहाल।। २ बदल गया है साल फिर, मत बदलो तुम यार। संग तुम्हारे ही बँधी, जीवन की पतवार।। ३ देते रहना तुम पिया, साथ साल दर साल। मिले तुम्हारे संग में, खुशी मुझे हर हाल।। ४ नए साल में कर रही, प्रियतम यह मनुहार। बाँह तुम्हारी थाम कर, करूँ प्रेम विस्तार।। ५ नवल वर्ष में माँ करो, हम सबका कल्याण। हरो सकल संताप- दुख, हर्षित हों मन-प्राण।। ६ आई विपदा अब टले, भागें सारे रोग। हिल- मिल कर हम सब रहें, बना रहे संयोग।। ७ संकट भारी आ पड़ा, सकल विश्व है त्रस्त। कोरोना की मार से, सभी हुए भय-ग्रस्त।। ८ नवल वर्ष की अब मिले, यह अनुपम सौगात। हम सब मिल कर दे सकें, कोरोना को मात।। ९ करो दया अब मातु तुम, सब जन हों खुशहाल। हाथ पसारे हैं खड़े, माता तेरे लाल।। परिचय : रजनी गुप्ता 'पूनम चंद्र...
रजनी के दोहे
दोहा

रजनी के दोहे

रजनी गुप्ता 'पूनम चंद्रिका' लखनऊ ******************** १ तुमसे है माँ शारदे, बस इतना- सा काम। रचना मैं करती रहूँ, लेकर तेरा नाम।। २ रचना के भीतर बसें, सदा हमारे इष्ट। चले तीव्र जब लेखनी, कटें हमेशा क्लिष्ट।। ३ रचना के भीतर बसे, ऐसा सदा विचार। जनमंगल की भावना, उर में करे विहार।। ४ रचना रसना एक- सा, करतीं सदा प्रहार। इनसे बचना है कठिन, ऐसा इनका वार।। ५ रचना रसना बन कभी, करती जब ललकार। बड़े- बड़े जो सूरमा, गिरें पछाड़ी मार।। ६ रचना की माया महा, गाते सूर कबीर। इसमें मीरा की व्यथा, झाँके बनकर पीर।। ७ रचना के हित कर दिया, रत्ना ने दुत्कार। तुलसी से हमको मिला, मानस का उपहार।। ८ रचना रचना से जले, यही आज की रीति। रचना रचना से करे, कहाँ यहाँ पर प्रीति।। ९ बैठी रचना की सभा, कविवर हाँकें डींग। घूमें सब पण्डाल में, यथा गधे बिन सींग।। १० रचना तेरी चाकरी, करते सब विद्वान। तेरी महिमा से बनें, जग ...
जीवन के हर क्षेत्र में
दोहा

जीवन के हर क्षेत्र में

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** जीवन के हर क्षेत्र में दिखने लगे दुसाध ताक रखे आदर्श सब रहे स्वार्थ बस साध अब सत्कर्मों की जगह लेने लगा जुगाड़ कुत्सित हित के वास्ते अनुचित तर्क प्रमाण रीति नीति का पड़ गया चारों तरफ़ अकाल नक़ली असली बन बैठे फैला मायाजाल समझ नही आता मुझे आया कैसा मोड़ चरण पादुका पूजकर है बढ़ने की होड़ सब मर्यादा भूलकर बदल लिए हैं चाल माननीय गिरगिट हुए निष्ठा हुई हलाल पाँच साल पूछा नहीं कभी किसी का हाल टर्र-टर्र करने लगे फिर राजनीति के लाल फँस जाती है जाल में जनता निपट गंवार साहिल तक लाते नाहीं डुबो रहे मजधार परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी :जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कविता, ग़ज़ल, १०० शोध पत्र प्रकाशित, मनोविज्ञान पर...
मां अहिल्या चालीसा
दोहा

मां अहिल्या चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* होल्करों के वंश में, अहिल्या भइ महान। भारतभूमि धन्य करि, कीना जन कल्याण।। जय जय जयति अहिल्याबाई तिहरी कीरति सब जग छाई। १ कोख सुशीला से जग पाया। पिता माणको की हो छाया। २ धनगर ग्वाला बेटी माया। इंदुर नगरी धन्य बनाया।। ३ चौड़ी गांव जनम तुम्हारा सुंदर जस छाया संसारा। ४ बालपने की कथा पुरानी। शिव को अर्पण कीना पानी। ५ राव मल्हार आपहि देखा। सादा जीवन कन्या वेशा। ६ उमा रूप पाया महरानी। गाथा आपन कवी बखानी। ७ खांडे रावा संग भवानी। चौड़ी से रथ इंदुर आनी। ८ काशी मंदिर को बनवाया। विश्वनाथ पूजन करवाया। 9 गंगा रेवा घाट बनाये। बापी कूआ बहुत खुदाये। १० इंदुर राजा की थी रानी। माहेश्वर कीनी रजधानी। ११ प्रजा कारणे कष्ट उठाया। देवी माता का पद पाया। १२ शिव का पूजन करती रानी। मां रेवा का पीती पानी। १३ चारो धाम बारह शिवालय। सात पुरी में निर्मि...