विध्वंकमाला छंद
आचार्य नित्यानन्द वाजपेयी “उपमन्यु”
फर्रूखाबाद (उत्तर प्रदेश)
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पानी बचाओ न फेंको बहाओ।
मानो कहा आप हे! मित्र आओ।।
पृथ्वी हमारी तभी ही बचेगी।।
सातों अकूपाद धारे रहेगी।।
रोपो नए वृक्ष प्यारे सखाओं।
वर्षा करें मेघ न्यारे सखाओं।।
पर्याप्त वर्षा से भूमि प्यारी।
फूले फले हो नई पुष्प क्यारी।।
मित्रों यही धर्म भी है हमारा।
सच्चा सही कर्म भी है हमारा।।
आओ उठो बाल वृद्धों युवाओं।
व्याही कुवाँरी धरित्री सुताओं।।
मैं आपको धर्म सच्चा बताऊँ।
दो हाथ से वृक्ष बीसों लगाऊँ।।
लो आपभी धर्म का मर्म पाओ।
दो-चार-छः वृक्ष नए उगाओ।।
नीरांजली तृप्त पृथ्वी बनेगी।
वृक्षाम्बरी नृत्य न्यारा करेगी।।
ऊर्जा धरा में है नीर लाता।।
माँ मेदिनी को सुधा है पिलाता।।
सौभाग्य से मानवी देह पाई।
निष्णात है कर्म की कौशलाई।।
क्या द्वंद क्यों आप नहीं बताते।
आनंद क्यों 'नित्य' तु...