शक्ति का त्यौहार
गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण"
इन्दौर (मध्य प्रदेश)
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गीतिका छ्न्द
शक्ति का त्यौहार है हम शक्ति का संचय करें।
शक्ति के अस्तित्व को हम भक्ति से अक्षय करें।।
लक्ष्य क्या उपलक्ष्य क्या है हम प्रथम यह तय करें।
ध्यान रखकर शुभ-अशुभ का पन्थ का निर्णय करें।।
साधना का एक ही यह मूल है निश्चय करें।
कर्म को निष्काम सेवा मानकर तन्मय करें।।
बात अनुभव सिद्ध गहरी है न कुछ संशय करें।
धर्म की बस धारणा हर कर्म है निर्भय करें।।
आइए स्वागत सहित संसार से परिचय करें।
तामसी व्यवहार को सब दम्भ तज विनिमय करें।।
द्वेष त्यागें शुभ हृदय अनुराग का आलय करें।
आपसी सम्बन्ध गाढ़े और करुणामय करें।।
आइए करबद्ध परहित के लिए अनुनय करें।
पुण्य को बोएँ परस्पर पापियों का क्षय करें।।
देश दुर्गुण से बचे अच्छाइयांँ अतिशय करें।
विश्व का कल्याण करते "प्राण" ज्योतिर्मय करें।।
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