प्रीति गगरिया
मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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प्रीति गगरिया छलक रही है,
भटक रहा उर बंजारा।
चातक मन निष्प्राण हुआ है,
मरुथल है जीवन सारा।।
प्रीत घरौंदा टूट गया है,
करें चूड़ियाँ हैं क्रंदन।
मौन पायलों की रुनझुन है,
भूल गया है उर स्पंदन ।।
कैद पड़ी पिंजरे में मैना,
दूर करो अब अँधियारा।
अवसादों में प्रीत घिरी अब,
सहमी तो शहनाई है।
कुंठित हुई रागिनी सरगम,
प्रेम-वलय मुरझाई है।।
अवगुंठन में छिपा चाँद है,
पट खोलो हो उजियारा।
जर्जर ये जीवन की नैया,
हिचकोले पल-पल खाती।
बहती हैं विपरीत हवाएं,
भूले प्रिय लिखना पाती।।
गूँगी बहरी दसों दिशाएँ,
बहे आँसुओं की धारा।
परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. ...