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गीत

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गीत रचयिता : मोहम्मद सलीम रज़ा ===================================================================================================================== हँस दे तो खिले कलियाँ गुलशन में बहार आए वो ज़ुल्फ़ जो लहराएँ मौसम में निखार आए oo मदहोश हुआ दिल क्यूँ बेचैन है क्यूँ आँखें रंगीन ज़माना क्यूँ महकी हुई क्यूँ सांसें हूँ दूर मय-ख़ाने से फिर भी क्यूँ ख़ुमार आए oo बुलबुल में चहक तुम से फूलों में महक तुम से तुम से ये बहारे हैं सूरज में चमक तुम से रुख़्सार पे कलियों के तुम से ही निखार आए oo बस इतनी गुज़ारिश है बस इतनी सी चाहत है जिन जिन पे इनायत है जिन जिन से मोहब्बत है उन चाहने वालो में मेरा भी शुमार आए oo गुलशन में बहारों की इक सेज लगाया है फूलों को सजाया है पलकों को बिछाया है ऐ बाद-ए-सबा कह दे अब जाने बहार आए oo मिल जाए कोई साथी हर ग़म को सुना डालें जीवन के हर इक लम्हें खुशिओ...
हिस्से में माँ
गीत

हिस्से में माँ

रचयिता : शिवम यादव ''आशा'' अब मुझे किस बात, की तन्हाई है जब मेरे हिस्से में, मेरी माँ आई है जब भी कोई मुसीबत मुझे सताने लगे माँ के चरणॊ में मेरा ध्यान जाने लगे, घर का कोना-कोना मेरी माँ से सजा देखकर मेरे मन ने ये खुशी से अँगड़ाई ली है अब मुझे किस बात, की,तन्हाई है जब मेरे हिस्से में मेरी माँ आई है आसमाँ भी खुशी और जहाँ भी खुशी मस्ती में झूमे पवन और रवि अब फिर माँ की चर्चाएं दुनियाँ में शुरू हुई हैं अब मुझे किस बात, की तन्हाई है जब मेरे हिस्से में, मेरी माँ आई है लेखक परिचय : नाम शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ''आशा'' है इनका जन्म 07 जुलाई सन् 1998 को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं रुचि :- अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !! काव्य संग्रह :-...