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कही-मुकरी

रोज़ रात की नींद चुरावे
कही-मुकरी

रोज़ रात की नींद चुरावे

गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश) ******************** १ रोज़ रात की नींद चुरावे, आंख लगे आंखों में आवे। लगता जैसे कोई अपना, क्या सखि साजन? ना सखि सपना।। २ बिन काटे मज़ा नही आए, काटें तो नैना भर आए। समझ ना आये उसका राज, क्या सखि साजन? ना सखी प्याज।। ३ बढ़ाए जग में सदा सम्मान, कर सकता न कोई अपमान। लगे उसके बिन जीवन व्यर्थ, क्या सखि साजन? ना सखी अर्थ।। परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी" निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं,...