खाना बचे न थाली में
रामसाय श्रीवास "राम"
किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़)
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खाना बचे न थाली में,
ब्यर्थ बहे न नाली में।
जिसने भी ये अपनाया,
जीये वो खुशहाली में।।
खाना है जीवन दाता,
सबका है इससे नाता।
इसको ना बर्बाद करें,
हर पल इस्को याद करें।।
जिसने ये बर्बाद किया,
जीता वो बदहाली में।
खाना में है प्राण बसे,
श्रृष्टि बनी है ये जब से।
सबकी यही जरुरत है,
अच्छा खाना हसरत है।।
भूखे को प्यारा लगता,
फूल खिले ज्यों डाली में
खाना है ईश्वर का रूप,
माने इसे योगी या भूप।
खाना से ही भूख मिटे,
तन के सारे कष्ट हटे।।
करना प्यार इसे इतना,
जैसे बाग और माली में
अन्न का दाना है अनमोल,
मिले नहीं बिना ये तोल।
उगता अन्न परिश्रम से,
भूल गए हम ये कैसे।।
खाने से ही पेट भरे,
भरे नहीं ये ताली में
मीठा हो पकवान अगर,
खाओ ना उसको डटकर।
रोटी चांवल दाल बड़ा ,
क्यों खाते हो खड़ा खड़ा...