पानी ही पानी है
गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण"
इन्दौर (मध्य प्रदेश)
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धरती से अम्बर तक, एक ही कहानी है।
छाई पयोधर पै, कैसी जवानी है।।
सूखे में पानी है, गीले में पानी है ।
आँख खोल देखो तो, पानी ही पानी है।।
पानी ही पानी है, पानी ही पानी है।।
नदियों में नहरों में, सागर की लहरों में।
नालों पनालों में, झीलों में तालों में।।
डोबर में डबरों में, अखबारी खबरों में।
पोखर सरोबर में, खाली धरोहर में।।
खेतों में खड्डों में, गली बीच गड्ढों में।
अंँजुरी में चुल्लू में, केरल में कुल्लू में।।
कहीं बाढ़ आई है, कहीं बाढ़ आनी है।
मठी डूब जानी है, बड़ी परेशानी है।।
सोचो तो पानी है, घन की निशानी है।
जानी पहचानी है, यही जिन्दगानी है।।
पानी ही पानी है, पानी ही पानी है।।
हण्डों में भण्डों में, तीर्थ राज खण्डों में।।
कुओंऔर कुण्डों में, हाथी की शुण्डों में।
गगरी गिलासों...