प्यासा
मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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कहीं कोई मिलता है
बिछड़ जाने के लिए
क्यों हूक सी उठती है,
फिर मिलने के लिए
तमाम शबखोया रहा
खयाल में उसके
जो खो जाता है
चांद घटाओं में
न जाने कब तक
रोती रहीं, आंखें बेदर्द।
हाल मेरा देखकर
दीवारें भी शिकवे
करने लगी उसके।
कहीं कोई बिता लम्हा,
बीता अरसा,
सावन बीता,
भादो बिता
हर कोई था यहां
सब का अपना-अपना
नदी किनारे मैं ही था,
सिर्फ, प्यासा, प्यासा।
कई-कोई मिलता है
बिछड़ जाने के लिए।
परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत ...