दुनियादारी
शैल यादव
लतीफपुर कोरांव (प्रयागराज)
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सामाजिक संबंधों से
जब मैं,
हो जाऊंगा निराश
और हताश,
तब मेरे मुंह से
निकलेगा अनायास,
कि धोखे की नींव पर,
टिकी है यह सारी दुनिया,
कि जिसकी नींव ही धोखा हो,
हकीकत हो सकती है,
भला उसकी मंजिल कभी?
फिर मैं कहूंगा,
चिरस्थाई नहीं है,
इस संसार के लिए जो,
वह मेरे लिए कैसे
स्थाई हो सकता है,
जो भी आया है
जीवन में किसी के,
जाएगा तो अनिवार्यतः ही,
यह परम सत्ता,
तो प्रतिपल
परिवर्तनशील है,
उसने कहा था कि,
परिवर्तन प्रकृति का
शाश्वत नियम है,
और जो शाश्वत होता है,
वह कभी भी अशास्वत
कैसे हो सकता है?
इसलिए उसका बदलना,
उसके भीतर के
दोषों को नहीं दिखता,
बल्कि दिखाता है,
उसके भीतर की
दुनियावी सास्वतता...!!
परिचय :- शैल यादव
निवासी : लतीफपुर कोरांव (प्रयागराज)
सम्प्रति : शिक्षक- जीआईसी
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