डिजीटल पर मानव अटल
ललित शर्मा
खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
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आज का आधुनिक युग
मानव कदापि रहा न रुक
बेहिसाब काम के बोझ में
डिजीटल में गया खुद झुक ।।
डिजीटल क्या आ गया
युग का दैनिक बदला काम
कर लिया सब खूब आसान
खूब बदल लिया काम ।।
डिजीटल पर भरोसा फर्स्ट
डिजीटल पर खूब है व्यस्त
डिजीटल प्यारा घर परिवार
सगे सम्बन्धी पड़ोसी का
कोरा दिखावटी है स्नेह प्यार ।।
है डिजीटल कहता है मानव
खुद खुश व्यस्त और मस्त
कौन है अपना कौन पराया
डिजीटल का है स्वाद पाया
मानव का मन डिजीटल ने
चुंबक से ज्यादा चिपकाया ।।
दुख सुख की सारी चिंता का
डिजीटल को दुख दर्द बताया
दुनिया में मानव खुद मानव से
जिंदगी को डिजीटल है बनाया ।।
शिक्षित क्या अशिक्षित
कलम कागज छोड़ा
हाथ के बजाय सबकुछ
डिजीटल के भरोसे
नोकरी व्यापार कारोबार
डिजीटल से
उपार्जन रोजगार
दो जून रोटी जुगाड़ करने
समूचा रिश्ता न...