जीवनद्वंद
मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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जीवन पल... पल,
जीवन...क्षण-क्षण
जीवन मे जीवन की हलचल
जब किलकारी गूजे आगन मे
सुख पाया मा के आचल ने।
काजल का टीका लगाकर
मुस्कूराता जीवन
पल भर मे बाबा को
सम्मोहित करता
पग मे पैंजनियां पहने
ढगमग, डगमग
चलता जीवन।
तुतलाती भाषा मे बोले
केवल समझे,
जाने मा का जीवन
सरस्वती के अंक मे बैठ
संस्कार, संस्कृति का
पाठ पढता जीवन।
नई राह, नया उद्देश्य,
दृढता जीवन की
भरता उडान सोपानो
पर जीवन की
पग-पग सीढी
पल-पल संधान
यह कहानी जीवन की।
उदेश्यो मे सफल हुआ जीवन
सात बन्धनो मे बन्ध गया
कर्तव्य मे ऐसा, जकडा जीवन
उसे लगा सब कुछ आनन्द
एक क्षण गौरय्या
सा उडता जीवन।
और फिर
और सोपानों पर चढते-चढते
निढाल हो गया जीवन
कुछ अंतराल मे लाठी
पर आया जीवन
दृष्टि, गति, कर्ण साथ
छोडते जीवन का
और ... और एक दिन
अन्तिम यात्र पर जीव...