हिंदी की महिमा
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रचयिता : श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि'
संस्कृत की संतति है संस्कारों की यह धानी
इतिहास बताता है इसकी स्वर्णमयी कहानी
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अलंकार से युक्त अप्सरा जब बन कर ये आती
वशीकरण कर लेती इसकी शब्दावली निराली
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वेदों और पुराणों की बनी यही दृष्टा सृष्टा
राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत ये राष्ट्रगीत की भाषा
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हिंदी के हैं गीत निराले सारा जग है गाता
युग परिवर्तन करने वाली यह है चिंतन धारा
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ममता प्यार की मीठी सोंधी ,गंध इसी में आती
संवाद कड़ी, मां की लोरी, यह दादी की कहानी
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सूर तुलसी मीरा कबीर की यह है मधुर वाणी
चुनौतियां आ जाएं, पर इसका नहीं कोई सानी
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महिमा जो इसकी पहचाने बन जाए वो ज्ञानी
लाज जिसे आती है वह है कैसा स्वाभिमानी
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नदी किनारे बैठा प्यासा मांगे पानी पानी
हिंद देश का हिंदी न जाने वो कैसा हिंदुस्तानी
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हर प्रदेश की बोली अपनी पाती रहे सम्मान
पर अनिवार्य हो हिंदी पढ़ना सबको एक समान
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हिंदी...