घर की शान बेटियां
दामोदर विरमाल
महू - इंदौर (मध्यप्रदेश)
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निकालिये अपने मन से हर एक बुराई को,
आजसे ही बनिये एक जासूस बिना तन्खा के,
नौकरी करिए साहब इन बेटीयो को बचाने की।
नौबत ना आये इनको भूखा सुलाने की,
नौबत ना आये इनको ज़िंदा जलाने की।।
ये बेटियां बुढ़ापे तक साथ देती है।
मांगती केवल लाड़ प्यार आपका,
इसके सिवा भला और क्या लेती है?
ये बेटियां आपके घर से निकलकर,
दुसरो के घर को खुशहाल बनाती है।
खुद तकलीफ सहकर सबको हंसाती है,
मगर अपना दर्द किसी को नही बताती है।।
कभी कूड़े के ढेर में मिलती है,
तो कभी दहेज की पीड़ा सहती है।
मां, बहन, बेटियां, बहु ही है जो देश मे,
आपके नाम को बढ़ाने में सबसे आगे रहती है।।
घर की शौभा, घर का रूतबा
घर की शान होती है बेटियां।
मजबूर पिता गरीब परिवार का,
एक अभिमान होती है बेटियां।
बहु-रूपी बेटियों से चलता है वंश आपका,
गांव नही, कस्बा नही, नगर नही, शहर नही।
अरे ...