मॉब लीचिंग
धैर्यशील येवले
इंदौर (म.प्र.)
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घर की जरूरतों की
जुगाड़ के लिए
घर से निकला था वो
रोटी, कपड़ा, बच्चों की किताबें
और कुछ मामूली सपनो की
ताबीर चाहता था वो।
दरवाज़े की दहलीज पर देख
बीवी की आँखों मे डर के साये
उसके हाथ पे अपना हाथ रख
हल्के से मुस्कुराया था वो।
अपने शहर की मिट्टी
तंग गलियों, आबोहवा
और बदलते मौसम से
भली भांति वाकिफ़ था वो
कई गलियों का चक्कर लगाते
काम की तलाश में
शहर के उस छोर पर
पहुंच गया था वो।
किसी ने पांच सौ रुपये का
नोट थमाते कहा
मेरी मवेशी चरनोई तक छोड़ आ
हथेली में पांच सौ का नोट भींचे
घर का चूल्हा जलता देख
बच्चों को किताबें पढ़ता देख
मवेशी हाँकने लगा था वो।
अचानक न जाने क्यों कैसे
सैकड़ो की भीड़ में वो घिर गया
जिस्म का पोर पोर तार तार हो
बेजान जमी पर गिर गया था वो
हथेली में अब भी नोट भिंचे
दहलीज़ पर मुन्तज़िर दो आंखों
घर की जरूरतों, किताबो की
फिक्र से दू...