नापी है जमी
मनीषा व्यास
इंदौर म.प्र.
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नापी है जमी
अभी छूना आसमा,
अपने हुनर से,
है अपनी पहचान।
जागते चलो उठो,
लक्ष्य ये महान,
महज कल्पना नहीं,
हकीकत की है उड़ान।
कर्म का है विधान
सफलता की है शान,
हौसलों की यह उड़ान,
खुशी का ये जहान।
जिंदगी कर्मपथ है
राह भी है आसान
उठो, जागो, बढ़े
चलो ले मशाल।
लेखिका परिचय :-
नाम :- मनीषा व्यास (लेखिका संघ)
शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत)
रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐंकर, लेख, लघुकथा, लेखन आदि का पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन एवं विधालय पत्रिकाओं की सम्पादकीय और संशोधन कार्य
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