जागो तो
धैर्यशील येवले
इंदौर (म.प्र.)
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जागो, जागो अब तो जागो
मंदिर के घंटा घड़ियालों से
नही जागे,
न जागे गुरुजन की वाणी से
अब तो जागो
अधर्म के बढ़ते भीषण कोलाहल से
जागो जागो अब तो जागो।
सोते को जगाना सरल है
पर तु तो पलके मूंदे लेटा है
कब खोलेगा आँखे अपनी
रिपु घर की चौखट से आ सटा है
अपने लिए न सही
संतानों के लिए तो जागो
जागो ,जागो अब तो जागो।
सोते रहने में घर गया था
चला गया देश था
डिगते ही स्वधर्म से
सर्वस्व जाता रहा
स्वामी से हो गया चाकर
चाकरी करता रहा
जगा रही वेदों की ऋचाएँ
स्वर्णिम इतिहास की गाथाएं
कह रही माटी भारत की
अब तो जागो
जागो, जागो अब तो जागो।
हिमालय के मान के लिए
गंगा के सम्मान के लिए
ब्रह्मपुत्र की आन के लिए
कश्मीर के वरदान के लिए
कन्याकुमारी की शान के लिए
मेवाड़ के अभिमान के लिए
देवालयों के उत्थान के लिए
अधर्म पर धर्म के रण के लिए
गुरुगोविंद के बलिदान के लिए
प्र...