म्हारो मालवो
सुषमा दुबे
इंदौर
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छाई बसंती बयार झूमे-झूमे म्हारों मालवों
म्हारा मालवा को कई केणों, यो तो है दुनिया को गेणों
इका रग रग मे बसयो है दुलार, झूमे झूमे म्हारों मालवों।
छाई बसंती बयार ....
मालव माटी गेर गंभीर , डग डग रोटी पग पग नीर
यां की धरती करे नित नवो सिंगार , झूमे झूमे म्हारों मालवों
छाई बसंती बयार ....
यां की नारी रंग रंगीली, यां की बोली भोत रसीली
इका कण कण मे घुलयों सत्कार, झूमे झूमे म्हारों मालवों
छाई बसंती बयार ....
नर्बदा मैया भोत रसीली, सिप्रा मैया लगे छबीली
चंबल रानी करे रे किलोल, झूमे झूमे म्हारों मालवों
छाई बसंती बयार ....
मालवा को रंग सबके भावे, जो आवे यां को हुई जावे
पुण्यारी धरती करे रे पुकार , झूमे झूमे म्हारों मालवों
छाई बसंती बयार ....
मिली जुली ने तेवर मनावे, जो आवे उखे गले लगावे
यां तो अन्न धन का अखूट भंडार, झूमे झूमे म्हारों मालवों
छाई बसंती बय...