रिमझिम-रिमझिम
प्रीति शर्मा "असीम"
सोलन हिमाचल प्रदेश
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रिमझिम-रिमझिम
आओ फूहारों,
मीठे गीत सुनाओं फुहारों।
प्यारी-प्यासी इस धरती पे।
प्रेम का जल बरसाओं फूहारों।।
रिमझिम-रिमझिम
आओं फूहारों।
धान के खेत की आस पूजादों।
पपीहे-चातक की प्यास बुझादों।
प्रेमी-मन भीगे संग-संग।
पुलकित सपनों को,
आस बंधा दो।
रिमझिम-रिमझिम
आओं फूहारों।।
मिलन के राग,
सुनाओं फूहारों।
सा-रे-गा-मा को
सुरों में भरके।
मचले मन में,
तरंग उठाओं।
बचपन भी,
भूलकर सारे बंधन।
कहों .......आ के
कागज़ की नाव चलाओं।
सबकी आंखों में,
उल्लास बन छा जाओं।
सूखी धरा हरी-भरी कर जाओं।
रिमझिम-रिमझिम
सावन आओं।।
परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम"
निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश
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