होली है
जनार्दन शर्मा
इंदौर (म.प्र.)
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बुरा ना मानो होली है।
ढोलक कि मादक थाप पर, हाथो में रंग लिये चली टोली हैं
टेसू के फुलो से रंगी ये धरती, ठंडी बयार की ठिठोली है।
प्रेम के रंगो से रंग दो आज कान्हा प्यार की होली है।
उड़े रंग गुलाल कहे सखी सबसे, बुरा ना मानो होली है।
पत्नी होती गुस्से में लाल, पीली ,पति चढ़ाये भांग गोली
बच्चे करते मस्ती पास, पड़ोस के चेहरे गुस्से से लाल
हो,हो,हाहा अआ कि आवाजो पे नचवाए ढोली हैं
बुरा ना मानो होली है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
ससुराल में गये जमाई, सालीया देख हैं मुसकाई,
जिजाजी की रंगो से, सब करती पुताई, हैं
बरबस ही देती गारी, नही निकलती बोली है।
बुरा न मानो होली है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,।
दल बदल का खेल बुरा है, नेताओ का हाल बूरा हैं
बातो का किचड़ उछाले, सत्ता हथियाने कि होड़ में
अब तो खुलेआम, लगती नोटो कि बोली है।
बुरा न मानो होली है....
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पर...