मातृभूमि
रीना सिंह गहरवार
रीवा (म.प्र.)
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है धन्य धरा ये मातृभूमि
जिसके आंचल मे है विश्व पला।
तृण-तृण नग-पग विशाल धरा,
शीतल भू-जल जग जीत रहा,
सागर पग पृच्छाल रहा,
नग शीष धरा मुकुट पहनाय रहा,
षड़ ऋतु शोभित गीतों की गुंजान यहाँ,
रंग-बिरंगे पुष्पों से शोभित है ऋतुराज यहाँ,
गंगा-यमुना की निर्मल धार यहाँ,
ब्रहमपुत्र की झंकार यहाँ,
इसकी रक्षा करने को,
हो रहे नित नए आविष्कार यहाँ,
कोटि-कोटि कर प्रणाम इसे,
तन पुलकित मन हर्षाय रहा।
है धन्य धरा ये मातृभूमि
जिसके आंचल में है विश्व पला।
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परिचय :- रीना सिंह गहरवार
पिता - अभयराज सिंह
माता - निशा सिंह
निवासी - नेहरू नगर रीवा
शिक्षा - डी सी ए, कम्प्यूटर एप्लिकेशन, बि. ए., एम.ए.हिन्दी साहित्य, पी.एच डी हिन्दी साहित्य अध्ययनरत
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