बिगड़ना मेरा जायज़ है
दामोदर विरमाल
महू - इंदौर (मध्यप्रदेश)
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लगता हूँ जिसको मैं कुंठित,
वजह उन्ही का साथ है।
खुद ने मुझको सरपे चढ़ाया,
तभी तो यह हालात है।
जब मानते हो मुझको बेटा,
तो बिगड़ना मेरा जायज़ है।
क्या इस हक को भी छीन लिया,
अब बताओ ना फिर क्या बात है?
बन जोहरी की मेरी परख तो,
में हीरा था पत्थर का।
जब तराशना शुरू किया तो,
प्रश्न मिला मेरे उत्तर का।
रहा ढूंढता जिसे जहाँ में,
वो गुरु आपमे पाया है।
नही भान था लिखने का,
अब जाके लिखना आया है।
क्या बीच राह में छोड़ मुझे,
अब इतनी बड़ी सज़ा दोगे।
अब तो कर दो क्षमा मुझे,
क्या और परीक्षा भी लोगे।
बिना आपके कुछ नही मैं,
दिन काले अँधेरी रात है।
खुदी ने मुझको सर पे चढ़ाया,
तभी तो यह हालात है।।
लगता हूँ जिसको मैं कुंठित,
वजह उन्ही का साथ है।
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परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर जिला राजगढ़ के निवासी होकर इंदौर में निवास करते है। मध्यप्रदेश...