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कविता

आंसू
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आंसू

अर्पणा तिवारी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** नयनों का श्रंगार हुए हैं जब, खुशियों का संदेश सुनाते हैं। दृग कोरो का भार हुए हैं जब, व्यथा हृदय की बतलाते हैं। झरते है मोती बन कर नैनो से, जाने कितने शोक मिटाते हैं। मन की सीपी के मोती है जो, यदा कदा अखियों में लहराते है। पीड़ा की अभिव्यक्ति है आंसू, बहकर मन निर्मल कर जाते है। खुशियों का उपहार भी आंसू, अधरों की मुस्कानों संग आते हैं। पावनता का पर्याय बने है आंसू, इसीलिए गंगाजल कहलाते हैं। . परिचय :- अर्पणा तिवारी निवासी : इंदौर मध्यप्रदेश शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में ट...
दिवास्वप्न
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दिवास्वप्न

सरिता देराश्री पिपलोदा, रतलाम, मध्य प्रदेश ******************** जीवन एक दिवास्वप्न सा है, खुली आंखों से देख कर भी, सब कुछ अनदेखा सा है। जीवन एक दिवास्वप्न सा है।। मचलती आशाएं, बहती भावनाएं, पल-पल निश्चल झरने सा है। जीवन एक दिवास्वप्न सा है।। दर्द है, तड़प है, वीरह है, फिर भी अल्हड़ बचपन सा है। जीवन एक दिवास्वप्न सा है। सुख-दुख, सम्मान और अरमान, कुछअधूरी कुछ पूरी उम्मीद सा है। जीवन एक दिवास्वप्न सा है।। कभी उतार-चढ़ाव कभी मोड़ है, कभी उलझन कभी सुलझा सा है। जीवन एक दिवास्वप्न सा है।। ऊंचे पहाड़, गहरी घाटी, मैदान, सागर सा गहरा कभी चंचल सरिता सा है। जीवन एक दिवास्वप्न सा है।।   परिचय :-  सरिता देराश्री पति : मंगलेश देराश्री जन्म : ३/५/७९ शिक्षा : बी. एस . सी , एम . ए निवासी : पिपलोदा, रतलाम, मध्य प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फ...
कर्ज प्यार का
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कर्ज प्यार का

ममता रथ निवासी : रायपुर ******************** सूरज की किरणें आई तो फूलों की पंखुड़ियों को खोला धरती का रस पी फूलों ने ये बोला कर्ज तुम्हारे स्नेह का वापिस किस्तों में देंगे हम खुशबु से अपने इस गुलशन को महकाते रहेंगे हम धीरे से मुस्कुरा कर धरती बोली बेटे बहुत बड़ी बात कही तेरी इसी सोच ने कर्ज प्यार का चुका दिया सभी तेरे ही कारण तो मुझे मिलता है रंग बिरंगे लिबास सभी   परिचय :-  ममता रथ पिता : विद्या भूषण मिश्रा पति : प्रकाश रथ निवासी : रायपुर जन्म तिथि : १२-०६-१९७५ शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य सम्मान व पुरस्कार : लायंस क्लब बिलासपुर मे सम्मानित, श्री रामचन्द्र साहित्य समिति ककाली पारा रायपुर २००३ में सांत्वना पुरस्कार, लोक राग मे प्रकाशित, रचनाकार में प्रकाशित आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्...
मुझे शर्म आती है
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मुझे शर्म आती है

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** कितने कितने फरेब देखे इस दुनिया के इस दुनिया के हालात पे मुझे शर्म आती है बादशाहत से जीने वाले वो बुजदिल ही होंगें उन बेदर्द बुजदिल-ए-हयात पे मुझे शर्म आती है कपड़ों से नहीं वो चमरी से चिथड़े पहने थे आलिशान महलों के सजाने पे मुझे शर्म आती है लाखों लाख बेघर जब भूखे बिलख रहे थे झूठी आस्था के उन खजाने पे मुझे शर्म आती है मंदिरों के नाले में बहा दी गई दुध की नदियाँ बेबस माँ के बिलखते लाल पे मुझे शर्म आती है सड़क पर भागती वो कार जब रोके न रुकी थी उस बेबस लड़की की बलात्कार पे मुझे शर्म आती है . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय ए...
अभी तो सवेरा हुआ है
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अभी तो सवेरा हुआ है

दर्शन लाड बुरहानपुर (मध्य प्रदेश) ******************** हर क़दम, हर पल, मत भाग हर जगह, हर राह को मत समझ अपना, निश्चित कर, संकल्प कर, अनुमान लगा, फिर देख खुशियों की बारिश, हर क़दम, हर पल, हर जगह, अभी तो सवेरा हुआ है थोड़ा ठहर... मत भाग हर राह पर एक साथ, हो जाएगी नफरत हर राह से एक साथ, मत बन अपनी नफरत का कारण, रुक जा...... अभी तो सवेरा हुआ है थोड़ा ठहर... मत भाग इतना कि ज़िन्दगी थम जाए, मत सोच इतना कि समय निकल जाए, क्यों कि....... जीतता वो नही जो तेज चलता है, जीतता वो है जो लंबे समय तक चलता है, अभी तो सवेरा हुआ है थोड़ा ठहर... हर मोड़ पर नई उम्मीद आयेगी, हर कदम पर नई राह आयेगी, हर अंधेरे में फिर एक प्रकाश होगा, हर हवा में खुशियों का पैगाम होगा, बस.... थोड़ा ठहर अभी तो सवेरा हुआ है थोड़ा ठहर.... अभी तो सवेरा हुआ है.... . परिचय :- दर्शन लाड निवासी : बुरहानपुर (म.प्र.) शिक्ष...
कि वक्त ठहरा सा है
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कि वक्त ठहरा सा है

अभिषेक खरे भोपाल (म.प्र.) ******************** कि वक्त ठहरा सा है जिंदगी फिर से मुस्कुराएगी धीरे-धीरे ही सही गाड़ी फिर पटरी पर आईगी मेहनत रंग दिखा रही है जिंदगी फिर से सबकी संभल जाएगी अभी अंधेरा बहुत घना है लेकिन सूरज को भी तो निकलना है। भरोसा रख अपने आप पर के जिंदगी फिर से दौड़ जाएगी। कि वक्त ठहरा सा है जिंदगी फिर से मुस्कुराएगी। . परिचय :- अभिषेक खरे सचिव - आरंभ शिक्षा एवं जनकल्याण समिति, भोपाल (म. प्र.) कोषाध्यक्ष - ओजस फाउंडेशन, भोपाल (म.प्र.) निवास - भोपाल (म.प्र.) शिक्षा - एम कॉम बी.यू. भोपाल पीजीडीसीए, एमसीयू भोपाल आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindiraksh...
लेखक की कलम
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लेखक की कलम

डॉ. रश्मि शुक्ला प्रयागराज उत्तर प्रदेश ******************** बहुत खुशियाँ और गम बाटा कलम ने बहुत मित्रऔर दुशमन बनाएँ कलम ने जीना और मरना सीखाया कलम ने शिक्षा का पाठ पढाया कलम ने व्यक्तित्व बनाया कलम ने मान सम्मान दिलाया कलम ने कवि कविता से मिलया कलम ने रिश्ते बनाये और चलाये कलम ने आजादी दिलाई कलम ने रोना और हँसना सीखाया कलम ने वतन पर मिटना सीखाया कलम ने रस में रंगना सीखाया कलम ने पर्व मनाना सीखाया कलम ने छल कपट धोखा से बचाया कलम ने मीलों का सफ़र तय किया कलम ने जीवन सफर पर साथ दिया कलम ने मातृ को नमन करनासीखाया कलमने देश विदेश को मिलाया कलम ने अनपढ़ से पढ़ा लिखा बनाया कलमने संवेदना को सजोना सीखाया कलम ने शक्ति भक्ति को सीखाया कलम ने सभी कवी सम्मेलन किया कलम ने रश्मि को जीवन दिया कलम ने . परिचय :- डॉ. रश्मि शुक्ला निवासी - प्रयागराज उत्तर प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानिय...
नज़रिया
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नज़रिया

विमल राव भोपाल म.प्र ******************** शहर में नया मकान किसका हैं पुराना तों गिरा दिया था ये नया बसेरा किसका हैं। रोशनी कों बंद दरवाजो से रोकने वालों क्या भूल गए ये नया सवेरा किसका हैं। सुना हैं घर बसानें से पहले हीं उजाड़ दिये जाते हैं तों संवरता हुआ ये परिवार किसका हैं। वो आग लगाने कि फिराक में घूमा करते हैं अकसर उन्हें पता नही बगल में तालाब किसका हैं। पौधो में कांटे कों देखकर कोसने वालों ये महकता हुआ गुलाब किसका हैं। . परिचय :- विमल राव "भोपाल" पिता - श्री प्रेमनारायण राव लेखक, एवं संगीतकार हैं इन्ही से प्रेरणा लेकर लिखना प्रारम्भ किया। निवास - भोजपाल की नगरी (भोपाल म.प्र) कवि, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रदेश सचिव - अ.भा.वंशावली संरक्षण एवं संवर्द्धन संस्थान म.प्र, रचनाएँ : हम हिन्दुस्तानी, नई दुनिया, पत्रिका, नवभारत देवभूमि, दिन प्रतिदिन, विजय दर्पण टाईम, म...
चलते रहो
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चलते रहो

निर्मल कुमार पीरिया इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हैं सामने, खुला नील गगन, फिर क्यों हैं तू, थमा हुआ? खोल अपने अरमानों को, ले भर, आसमा, फैला हुआ... जब राह तन्हा, संग तेरे तो, क्यो तुझें, मंजिल की फ़िकर, हैं सूल भरी, पगडंडी तो क्या, तू चल, एकाकी, काहे का डर.. तेरे वजुद की, तुझको तलाश हैं, तेरा जमीर ही, तेरा नफ़स हैं चलते रहो, ना देख कदमों को, तेरा सफ़र, तुझ तक ही खत्म हैं... . परिचय :- निर्मल कुमार पीरिया शिक्षा : बी.एस. एम्.ए सम्प्रति : मैनेजर कमर्शियल व्हीकल लि. निवासी : इंदौर, (म.प्र.) शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी मे...
कान्हा
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कान्हा

शालिनी सिंह जिला गोंडा (उ.प्र.) भारत ******************** मेरे आये प्रभु नंदकिशोर धाम मधुवन में। भाद्रपदा की आधी रात अंधेरी।। घन-घन-घन-घन बादर घेरी।। बिजुरी चमके चहुँ-ओर धाम मधुवन में। मेरे आये.... वह देवकी माँ आठवे लाला। कारागार का खुल गया ताला।। माया ने अस खेला खेला। बंधन मुक्त हुए वसुदेव धाम मधुवन में।। मेरे आये.... पितु वासुदेव प्रभु गोकुल लाये। देवन सज्जन के काज संवारें।। दुष्टन के जे मारन वारे। यशुमति के प्राणाधार धाम मधुवन में। मेरे आये.... यशुमति लाला पालने पौढे़। देखि-देखि यशोदा नंद हर्षे। नारद शारद शेषहि गावै। मेरे आये घन-आनंद श्याम धाम मधुवन में।। मेरे आये.... मेरे कान्ह बकईया चलन जे लागे। मोर पंख सिर शोभन लागे।। पीताम्बर तन पहिरे मुरारी। पहिरे गले गजमुक्तन माल धाम मधुवन में। मेरे आये.... अंग आभूषण पहिरे गिरधारी। लाल विशाल अंखियां कजरारी।। धनुष भौह लाल मधुराधर। अरे घुघराल...
एक एहसास ऐसा भी
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एक एहसास ऐसा भी

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** क्या देंगे साथ जीवन भर, जो पल भर में उब जाते है। जनाब आप समंदर की बात करते है, यहाँ तो लोग आँखों मे डूब जाते हैं। आशा नही अब आश की, और कद्र नही विश्वास की, कीमत पानी की नही, बल्कि कीमत होती हैं प्यास की जीना मरना ये सब तो महफूज बाते हैं। जनाब आप समंदर की बात करते है, यहाँ तो लोग आँखों मे डूब जाते हैं। खुशियों की दामन छोड़कर, रिश्तों का बंधन तोड़कर, अब तो बताइये, क्या मिला अपनों की संगत छोड़कर जीने मरने की कसमें तो खूब खाते हैं। जनाब आप समंदर की बात करते है, यहाँ तो लोग आँखों मे डूब जाते हैं। क्या देंगे साथ जीवन भर, जो पल भर में उब जाते है। जनाब आप समंदर की बात करते है, यहाँ तो लोग आँखों मे डूब जाते हैं।   परिचय :- विशाल कुमार महतो, राजापुर (गोपालगंज) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अप...
मैं इंसान होना चाहती हूँ
कविता

मैं इंसान होना चाहती हूँ

डाॅ. अहिल्या तिवारी रायपुर (छत्तीसगढ़) ******************** मैं इंसान होना चाहती हूँ न हिन्दू न मुसलमान, दुनिया के दिलों की मैं ईमान होना चाहती हूँ। दुनिया मेरी दौलत नहीं हक़ नहीं टुकड़ों पर, चार दिनों की दुनिया में मैं मेहमान होना चाहती हूँ। मिट गए जो अमन पर हो कर परे जग से, हर जन्म में दिल का मैं अरमान होना चाहती हूँ। दे सके जो दान जीवन को जीवन का, ऐसे धरा के लाल पर मैं कुर्बान होना चाहती हूँ। जाने कैसे सीख जाते कुछ लोग आग का खेल, जलाते घर भाई का, यहाँ मैं नादान होना चाहती हूँ। जगह नहीं फूलों के लिए दिलों में एकत्र हो गए पत्ते, स्वार्थ के सूखे पत्ते उड़ाने मैं तूफान होना चाहती हूँ। बिकती ज़िन्दगी पलों की मौत दुआएँ देता है, हर साँस होती दर्द भरी मैं बेजान होना चाहती हूँ। दे दस्तक धरती तले थाम सीने में गगन, प्यार बो कर यहाँ मैं आसमान होना चाहती हूँ। क्यों बने कहानी मेरी हँसने हँसाने के...
कहीं दूर चलें
कविता

कहीं दूर चलें

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** चलो कहीं चलें दूर सड़क के किनारे, किसी मोड़ पर, रौशनी के किसी खंभे के नीचे बैठकर मन की बातें करें। अपने अपने अतीत के, नुचे घुटे घरौदें से दूर, किसी सूखें हुऐ नाले की पुलिया, पर बैठकर बातें करें। चलो कहीँ दूर चलें। डरावने घने जंगलों की अंधेरी पगडंडियों पर रतजगा मनाएं जिन्दगी के हर मसलें पर बहस करें झगड़े, ढेर सारी सुख दुखः के अतीत को दोहराये और खो जायें । कुछ सुकून पायें, कहीं दूर। . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्...
आक्रोश
कविता

आक्रोश

ओमप्रकाश सिंह चंपारण (बिहार) ******************** अधिकांश युवा मानस की पटल से उभर रही है आक्रोश की गुबार। क्योकि आजकल की युवाओ को सही पहचान बनाए रखने के लिए। न तो कोई मार्गदर्शक हैं न कोई मानदंड सिर्फ भौतिकता की दौड़। उदंडता से पीड़ित सुकुमार सपने को साथ बिन्दीया सी चमकती। तुच्छ सफलताओ को चूमने पुचकारने में व्यस्त। खाशकर माध्य्म वर्गीय पिछड़े परिवार के किशोर और युवा अपनी मनोवृत्तियों में। छेड़ रखा है आक्रोश की धुंआ जो गुबार बनता जा रहा है। इस जीवन की निरस्त उत्कण्ड़ाओ को एक आकलन की सूत्र लिए। अपनी पहचान बनाए रखने की लिए भ्र्ष्टाचार की गर्माहट में भइए भतीजावाद में। जो नाजीवाद से छह गया है इस आजाद हिंदुस्तान में। अपने आपको चर्चित तस्वीरों में उवभारने के लिए आक्रोशो को साथ लिए। कानूनी अपराधों की संगीनों में बेध रहा है अपने आपको। अगर यह आक्रोश रोजगार की मरहम से बन्द न हुआ तो शांति का नब्ज डु...
पहुँचा देना मधुशाला
कविता

पहुँचा देना मधुशाला

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** घर घर गैस नही पहुँचाओ बस पहुँचा देना हाला जीतोगे झकझोर इलेक्शन देगा दुआ पीने वाला होश में आ जाता है पीकर एक पेग हर दीवाना मुझसे पूछो उसकी ताक़त क्या होती है मधुशाला बादल बरसें बिजली तड़के या आँधी तूफ़ाँ आए क्या मजाल की पीने वाला ख़ाली हाथ चला जाए पिया नहीं इसको जिसने वो क्या क़ीमत समझेगा तुम्हें पढ़ाएगा गुण इसका एक प्याला पीने वाला देखा होगा तुम लोगों ने मेरे जलवे का जलवा लम्बी लम्बी लगी क़तारें बटता ज्यों पूड़ी हलवा पी लो एक पेग फिर जन्नत का होगा दीदार तुम्हें दिखेगी प्यारे तुम्हें मसाना भी प्यारी सी मधुबाला चिंता औ अवसाद तुम्हारे सब के सब मिट जाएँगे जो भी ग़म होंगे जीवन में ख़ुशियों में ढल जाएँगे ग़म की ऐसी तैसी करती एक खुराक करो सेवन ऊँच नीच हिंदू मुस्लिम का भेद मिटाती मधुशाला जब तक सूरज चाँद रहेगा मधुबाला का ना...
विन्ध की पहाड़ी
कविता

विन्ध की पहाड़ी

तेज कुमार सिंह परिहार सरिया जिला सतना म.प्र ******************** विन्ध की पहाड़ी फैली मेखलाकार केहेजुआ पर्वत के फैला विस्तार है ता समीप नद सोनभद्र भवरसेन नामक सुरम्य स्थान हैं वही बाण भट्ट तपोस्थली कादम्बरी ग्रंथ वाको साक्ष्य हैं केहेजुआ के सौंदर्य वर्णन करू जह विविध भांति के तरु वृक्ष हैं आमा अमरोला अमरबेली अमलतास शोभित अपार है उमरि करौंदा कहुआ कटैया कुल्लू कारी कैमा कठमहुआ भरमार हैं कैथा कोसम कुम्भी कया खैर घोटहर घुघुची खनकदार है गुरुचि ऑउ खरिहारी गुलमेंहदी फूलै छिऊला की कतार है जामुन कठ जामुन अमला ऑउ प्रसूतिहा मुरुलू सहिजन जरहा ऑउ बतिलहा बबूर सेम नीम बेल बेर बरारी सेमर गावड़ी पेड़ सुकुमार है बॉस बेर्री बनचूक बरसज बरगद तेंदू शाल सगमन गुर्जा की कतार हैं शीशम हेरुआ रोरी रेऊजा सरई धवा धवाई दे जंगल गुलजार हैं हर्रा ऑउ बहेरा औषधीय पेड़ चिरचिरी अमृत समान है पारिजात को कहत सेहरूआ यहाँ बन ...
बदली है सोच
कविता

बदली है सोच

राम प्यारा गौड़ वडा, नण्ड सोलन (हिमाचल प्रदेश) ******************** कहां गये वो जंत्र-तंत्र ? कहां गए वो जादू मंत्र ? पाखंडों ने था डाला डेरा, अंधविश्वासों ने था घेरा...। भूत भगाओ ... चुड़ैल छुड़ाओ.... सौतन से निजात पाओ, व्यापार में वृद्धि लाओ। घर में सुख समृद्धि पाओ। बंद हुआ व्यपार ठगों का.... भ्रमित करके लूटा खूब। गई ...अब इनकी लुटिया डूब। बिरला ही कोई झांसे में आएगा जरूर करोना ने नुकसान पहुंचाया। पर सही मायनों में जीना सिखाया। तन -मन -आत्मा की शुद्धि, अब आई जीवन जीने की बुद्धि। आहार-विहार, आचार-विचार, वैदिकता से था जिन का प्रचार.... पुनःहुआ इनका प्रसार... जीवन सिद्धांत जो भुुलाएगा,, कोरोना जैसे राक्षस से मारा जाएगा।।   परिचय :-  राम प्यारा गौड़ निवासी : गांव वडा, नण्ड तह. रामशहर जिला सोलन (सोलन हिमाचल प्रदेश) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परि...
मन के अँधेरे में
कविता

मन के अँधेरे में

नरपत परिहार 'विद्रोही' उसरवास (राजस्थान) ******************** छिपा पडा़ हैं अपार खजाना, मन के अँधेरे में। ढुंढ़ सको तो ढुंढ़ लेना, मन के अँधेरे में। वहीं मिलेंगे राम-रहीम, वहीं मिलेगा कान्हा कन्हैया। छिपे पडे़ हैं , मन के अँधैरे में। हे! बन्धे मन-मंदिर की बत्ती जला दे, तेरा मन अमृत का प्याला, यहीं काबा, यहीं शिवाला। न मिलेगा मंदिर-मस्जिद, न मिलेगा गिरजाघर में। सब कुछ तुझे मिल जाएगा, मन के अँधेरे में।। . परिचय :- नरपत परिहार 'विद्रोही' निवासी : उसरवास, तहसील खमनौर, राजसमन्द, राजस्थान आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने क...
माँ
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माँ

अन्नपूर्णा जवाहर देवांगन महासमुंद ******************** ईश्वर का वरदान है माँ, धरती पर भगवान है माँ कोई उपमा न दे पांऊ मैं, ऐसी महान् आत्मा है माँ। माँ से पाया उजास सूरज ने, माँ से पाई उंचाई आकाश ने और गहराई प्रेम की सागर ने, पाया है उसने भी दुलार माँ से। बीजों में फूटते अंकुर में, अग्नि से उठती ज्वाला में पतझर में भी सावन का, सा एहसास करातीं है माँ। तुझे शब्दों में न बांध पाऊँ मैं, क्योंकि तू ही पूर्ण शब्द है माँ . परिचय :- अन्नपूर्णाजवाहर देवांगन जन्मतिथि : १७/८/१९७६ छुरा (गरियाबंद) पिता : श्री गजानंद प्रसाद देवांगन माता : श्रीमती सुशीला देवांगन पति : श्री जवाहर देवांगन शिक्षा : एम.ए हिंदी, बी.एड., पी.एच.डी सम्प्रति : शोधछात्रा निवासी : राजेन्द्र नगर, महासमुंद प्रकाशन : आंचलिक पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित सम्मान : श्रेष्ठ सृजक सम्मान, साहित्य साधना सम्मान अन्य : समाजसेव...
गुजरात गौरव और वॉरियर्स
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गुजरात गौरव और वॉरियर्स

आकाश प्रजापति मोडासा, गुजरात ******************** गुजरातने तो बड़ी से बड़ी, मुसीबतों का सामना किया है। सब एकजुट होकर मुसीबतों को, दूर कर जीत को हासिल किया है।। आज एक बार फिर गुजरात पर, एक नई मुसीबत आई है। कोरॉना नामकी महामारी सब पे, डर बन के छाई हैं।। ये वाइरस ने गुजरात पर, ऐसा प्रभाव डाला है। खाना-पीना तो छोड़ो, जीना भी मुश्किल कर डाला हैं।। भैया ये चीन का वाइरस है वाईरस, इसे तो कुछ पता नहीं। इसका सामना गुजरातवालों से पड़ा हैं ये अभी जानता नहीं।। यहां के डॉक्टर्स, नर्स, पुलिस, सफाई कामदारों में वो ताकत है। इस वाईरस को जड़ से निकाल देने में, ये सब सक्षम है।। हम भी अपना पूरा, सहयोग इनको देंगे। इनकी हर बात मानकर, इनकी मदद करेंगे।। ये तो हमारे लिए, गुजरात के कॉरोना वॉरियर्स हैं। ऐसी मुश्किल समय में भी हमारे बारे में, सोचते ये ही हमारे रियल हिरोज हैं।। ग...
प्यार का सिलसिला
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प्यार का सिलसिला

डॉ. प्रतिमा विश्वकर्मा 'मौली' आमानाका कोटा रायपुर (छत्तीसगढ) ********************** एक छोड़ता दूसरा पाता है प्यार सिलसिले बनाता है। अँधेरा छाता,उजाला आता है जीवन यही कहलाता है। जलजला जब आता है कश्ती से साहिल छूट जाता है। बहुत आसान है विखर जाना जुड़ने में जीवन निकल जाता है। टुकड़ों में भी मुस्कुराता है खिलौना फलसफे सिखाता है। अजब बस्ती है ये शायरों की जिसे देखो ग़ालिब कहलाता है। है सांस सांस मौली पली डोर से डोर का नाता है। . परिचय :-  डाँ. प्रतिमा विश्वकर्मा 'मौली' जन्म : २० अप्रैल माता : श्रीमिती रामदुलारी विश्वकर्मा पिता : श्री रामकिशोर विश्वकर्मा निवासी : आमानाका कोटा रायपुर (छत्तीसगढ) शिक्षा : ऑनर्स डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन (एक वर्षीय कंप्यूटर डिप्लोमा) बी. एड., एम. ए.(भूगोल), एम. फिल. (नगरीय भूगोल), पी-एच. डी.(कृषि भूगोल)। प्रकाशन : राष्ट्रीय एवं अंतरास्ट्रीय शोध-पत्रिकाओं ...
इतना मुश्किल भी नहीं है
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इतना मुश्किल भी नहीं है

गीतांजलि ठाकुर सोलन (हिमाचल) ******************** इतना मुश्किल भी नहीं है अपने लक्ष्यों को पाना, उसी तरह जिस तरह चिड़िया अपना पेट भरती है चुग कर दाना दाना, पर कभी गलत राह पर मत जाना, वरना जिंदगी भर पड़ेगा तुम्हें पछताना। लेकर अपने गुरुओं का ज्ञान जिंदगी को अपनी कोहिनूर बनाना, इतना मुश्किल भी नहीं है अपने लक्ष्य को पाना। यह भी निश्चित है लक्ष्य को पाने की राह में कठिनाइयों का आना, परंतु तुम कभी मत घबराना, क्यों चुना था ये लक्ष्य अपने मन में एक बार जरूर दोहराना, फिर करना मजबूत अपनी कमजोरियां और सच्ची मेहनत को अपना मित्र बनाना। इतना मुश्किल भी नहीं है अपने लक्ष्य को पाना। . परिचय :-गीतांजलि ठाकुर निवासी : बहा जिला सोलन तह. नालागढ़ हिमाचल आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कवित...
मुस्कुराती वो
कविता

मुस्कुराती वो

विवेक रंजन 'विवेक' रीवा (म.प्र.) ******************** कुछ उदास सा मैं और मुस्कुराती वो ये वो, कोई वो (?) नहीं बल्कि मेरी ज़िन्दगी है। हाँ दोस्तों ! ये ज़िन्दगी, मुझसे ही जंग लड़ रही है। कभी कभार ही तो मैं हँस पाता हूँ खुलकर तब भी वो, मेरी ज़िन्दगी ग़मगीन गीत गाती है। मैं चलूँ जो पूरब, वह चल पड़ेगी पश्चिम । मुझको गहरी तान लुभाती, खो जाता हूँ आलापों में। वो जाने किसके विलाप में मद्धम सुर रखती थापों में। मैं प्रेम उससे करता हूँ वह भी तो मुझे चाहती है। फिर भी हैं दूर दूर हम नदी के दो किनार से। मैं आदर्शवादी हूँ तो वह मेरी अवहेलना है। जीवन भर ये आपाधापी, मुझे अकेले झेलना है। उसका रात का समझौता टूट जाता है उजाले में। वो तो जैसे सारा ही दिन, नाता तोड़ लेती है मुझसे। शाम ढले शरमाती आती रात मेरे पहलू में बिताती, नवजीवन की अलख जगा के हर रोज़ सुबह गुम जाती वो ! मेरी मुस्कुराती वो !! . परिचय ...
कान्हा
कविता

कान्हा

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** कान्हा-कान्हा बोला, सखे! पार्थ-पार्थ बोला सखे! नेहदेव की सघन छांव सा मन वृंदावन में डोला, सखे! राधे-राधे बोला सखे, मन तेरे बिन डोला सखे। प्रीत लगाकर तेरे संग, हृदय रास रचाया सखे। पीतांबर सा रास रचा कर, मुरली धुन पर नचाया सखे। प्रीत राधा कृष्ण सी, तेरी मेरी हो गई सखे। मिलन कभी ना हो पाएगा, ये हृदय से जाना सखे। कान्हा सा अपने हृदय में, प्रेम तेरा जगा रखा सखे। अमर प्रेम है तेरा मेरा, राधा कृष्णा सा होगा सखे। . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा उपनाम : साहित्यिक उपनाम नेहा पंडित जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल,हिंदी रक्षक मंच (hindiraks...
लोकतंत्र का राजा “मतदाता”
कविता

लोकतंत्र का राजा “मतदाता”

धर्मेन्द्र शर्मा "धर्म" इन्दौर (म.प्र.) ******************** लोकतंत्र की अलख जगाने सब लोगो को यह बात बताने...! लोकतंत्र के हवन कुंड मे याचक नही, तुम दाता हो...! सरकार बनाने वाले सिर्फ तुम ही तो मत+दाता हो....! राजा को तुम रंक बना दो और रंक को तुम राजा.....! कमजोर ना समझो तुम अपने को....! तुम ही तो लोकतंत्र के सुंदर, सुघड़ भाग्य-विधाता ....! जनतंत्र मे जनता का राज, जिसकी चाहे बनाऐ सरकार...! मौका अब तुम चूक गए तो, फिर पांच साल पछताओगे...! कोसोगे तुम खुद अपने को मन ही मन पछताओगे...! लालच,लोभ मे तुम मत आना, झूठे वादो पर ना तुम भरमाना...! अपनी बुद्धि तुम काम मे लाना, निर्भय होकर तुम करना मतदान...! जागो,उठो, दौडो, भागो, बाकी काम सब इसके बाद...! सबसे पहले करो ये काम, करो मतदान, करो मतदान...! इसलिए सोचो समझो करो विचार फिर करो मतदान, करो मतदान....!! परिचय :- धर्मेन्द्र कला-नारा...