“मैथिली” पथ प्रदर्शक
विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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दशा दिशा समाज सुधार जगत की
बहुधा टूटी बिखरी है हर बार
भूतल को ही स्वर्ग सदृश्य बनाने
'मैथिली' स्वप्न भूल चुके हैं यार
मत भूलो इस देश समाज का
तब तलक ना होगा पूर्ण उद्धार
जलन स्वार्थ विवादों का पूर्ण अंत
जड़ सहित मिटाना अबकी बार।
दायित्वों का कैसा उपभोग किया
अधिकारों का मनमाना उपयोग किया
सामाजिक पद और रिश्तों को
कटुता कलंक के पन्नों का रोग दिया
पदों की गरिमा का हासिल क्या था
जो पाया वो भी डूबा मझधार
जलन स्वार्थ विवादों का पूर्ण अंत
जड़ सहित मिटाना अबकी बार।
सप्तम स्वर में स्व महिमा गुणगान
लेकिन नेतृत्व क्षमता का अधकचरा ज्ञान
लकीर घटाने की ओछी फितरत ने
दिखलाई समाज को झूठी शान
खोए संस्कारों को अब गली-गली
पुनः रोपण कर खूब बढ़ाएं पैदावार
जलन स्वार्थ विवादों का पूर्ण अंत
जड़ सहित मिटाना अबकी बार।
रौशन चिराग सम प्रतिभाशाली बच्चा
समाज आधार औ...