आया महीना फ़ागुन का
गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी"
बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश)
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अंतर्मन में जगाए आकुलता,
शीत सयानी फागुनी।
अमराई में छुपकर कोयलिया,
छेड़ रही मृदु रागिनी।।
पवन वाबरी मदहोश हुई है,
छू किसलय कपोल।
उर आलिंद हर्षित अतिशय,
सुनक़े मिश्री-से बोल।।
मन मोहक महुआ की महक,
करे मतवाला अंग-अंग।
नव यौवना-सा निखरा पलाश,
समेट बासंती रंग-रंग।।
निपर्ण तरुवर का तन लगता,
मानो हो निष्प्राण देह।
कर रहे चाकरी हवाओं की,
शायद सोनपरी के गेह।।
ढल गया फ़िर ये दिन दीवाना,
तेरा ही इंतज़ार लिए।
सारी रानी बरसी ये अखियां,
तेरा ही इनकार लिए।।
आया महीना फ़ागुन का प्रिय!
ले करक़े रंग हज़ार।
आभी जा ओ हरजाई अब तो,
रहता जिया बेकरार।।
परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी"
निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं म...