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कविता

जीवन एक उत्सव
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जीवन एक उत्सव

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** जीवन एक उत्सव, इसे क्षण-क्षण, उत्सव कर जायें। जीवन के लक्ष्य को, अक्षय कर जायें।। युगों युगों से चल रही। अनन्त अमर जीवन धारा को, प्रेम से संचित कर। नित-नित उत्सव हम मनायें।। जीवन एक उत्सव, इसे क्षण-क्षण, उत्सव कर जायें।। जीवन का संचार उत्सव। मन का हर्षोल्लास उत्सव। चेहरों का निखार उत्सव। मेलजोल की बात उत्सव। खुशियों का विस्तार उत्सव। शुभता का संचार उत्सव। प्रेम का आलाप उत्सव। नव्यता का इंतजार उत्सव। सोचियें....! बिना उत्सव के.....? सब बेकार हो जायेंगा। आस कहा रहेंगी। जीवन निरसता से, निराश हो जायेंगा।। आईयें.....! एक उल्लास भर कर। जीवन को, हम उत्सव बनायें। जीवन की, जीवंत महिमा को, नये-नये उत्सवों से भर जायें। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी...
दीप
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दीप

डॉ. चंद्रा सायता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** दीप तुम जलाओ,या फिर मैं जलाऊं। उजाला तुम्हारा न मेरा होता है। दीप हम जलाएं कि जलते रहें दीप। वो तो हथेली पे उगा सूरज होता है। वह तमस की सूनी-सूनी देहरी पर, गश्त लगाता इक प्रहरी होता है। सच कहें अंधेरों में बसने वालों का, उत्साह-सुरक्षा का विश्वास होता है। किसी अकिंचन के स्वप्न का आधार। किसी बेबस कश्ती की पतवार होता है। बिन प्रकाश दीप का अस्तित्व केसा? वह तो आस्था-प्रेम का पर्याय होता है। दीप-दान करते रहें, प्रीत-दान होगा। शनै:-शनैः मानव संस्कारी होता है। दीप कभी विद्युत का पूरक नहीं होता। वह तो संस्कृति का आधार होता है। परिचय :- डॉ. चंद्रा सायता शिक्षा : एम.ए.(समाजशात्र, हिंदी सा. तथा अंग्रेजी सा.), एल-एल. बी. तथा पीएच. डी. (अनुवाद)। निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश लेखन : १९७८ से लघुकथा सतत लेखन प्रकाशित पुस्तकें : १- गिरहे...
मतलब की नदी
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मतलब की नदी

विजय गुप्ता दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** नकारात्मक कविता का पक्षधर नहीं व्यवहारिक जीवन अनुभव बड़ा महती है क्योंकि तारीफों के पुल के नीचे से तो मतलब की नदी ही बहती है। हर आँगन लोग पलते पनपते हैं कितने रिश्ते समाज परिवार में गढ़ते हैं उपलब्धियों पर तारीफों में कहे लफ्ज़ निश्चित ही सुंदर भविष्य रचते हैं। पर वाकिफ होंगे जनाब आप भी निश्फिकरी मय बोली रद्दी रहती है क्योंकि तारीफों के पुल के नीचे से तो बस मतलब की नदी ही बहती है। लोक प्रदर्शन कार्य भी अति जरूरी होते दिनचर्या के उचित वक़्त में सम्पादित होते उन्हें पालने स्थल पर जब जाते हैं उत्सर्ग भाव का एहसास कर जाते हैं जन्म लेता तब एक व्यक्तित्व यहां पर अपनत्व से भरी राह खुदी बनती है क्योंकि तारीफों के पुल के नीचे से तो बस मतलब की नदी ही बहती है। राजनीति गलियारों को समझ चुके मोटी चर्बी बेशर्मी बोली से कान पके पक्ष-विपक्ष का जोर खत...
करवाँ चौथ
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करवाँ चौथ

प्रियंका पाराशर भीलवाडा (राजस्थान) ******************** सिर्फ आपके लिए इबादत में मुहब्बत का इक विस्तार रह कर निराहार कर के सोलह श्रृंगार करूँ जमीं से उस चाँद का दीदार जो है इस पवित्र रिश्ते का आधार आया करवाँ चौथ का त्यौहार सिर्फ आपके लिए पूजा-थाल, करवाँ लिए हाथ में करूँ पूजन माँगू अखण्ड सौभाग्यवती का वरदान एक झलक पाने को पल-पल उत्सुक मन है प्रेम, श्रद्धा का यह उत्सव पावन सिर्फ आपके लिए ना करना कभी मेरे प्रेम का उपहास चाहे हो ना हो आपको मेरे प्रेम का आभास हर वर्ष आस्था से रखती हूँ आज के दिन उपवास सिर्फ आपके लिए चाहे कैसी भी रहे मजबूरी करूँ कामना कभी ना आए हमारे बीच दूरी माथे पर अपनी भरूँ माँग सिंदूरी सिर्फ आपके लिए करती हूँ इंतजार आपका हर क्षण-क्षण बसे इस रिश्ते में प्यार और विश्वास का कण-कण आपके जीवन में हो अपार खुशियाँ अर्पण सिर्फ उपवास नहीं, यह है मेरा एक समर्पण सिर्फ आपके लिए ...
अपनत्व की पंखुड़ियां
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अपनत्व की पंखुड़ियां

मीना सामंत एम.बी. रोड (न्यू दिल्ली) ******************** चलता है वह खूबसूरत एहसास लेकर, कीचड़ के छीटे गिरते उसी पर! चलता है वह रंगों का गुलाल लेकर, कालिख के रंग उड़ते उसी पर! चलता है वह भरोसे के रोशन दिए लिए, षड्यंत्रो की आंधियां रहती उसी पर! चलता है वह अपनत्व की पंखुड़ियां लिए कांटे बिखेर दिए जाते हैं उसी पर! चलता है वह मुस्कुराहटों की चादर ओढ़कर, कड़वाहटें उड़ेल दी जाती है उसी पर! चलता है वह एक अलग तस्वीर का सपना लिए, धमकियां देकर कैनवास गिरा दिया जाता, क्यों उसी पर! परिचय :- मीना सामंत निवासी : एम.बी. रोड (न्यू दिल्ली) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अ...
सत्य की जीत है
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सत्य की जीत है

विकाश बैनीवाल मुन्सरी, हनुमानगढ़ (राजस्थान) ******************** सत्य सुन्दर है, सौम्य सुदर्शन है सत्य खुद्दार, सत्य की जीत है, सरसता, कोमलता सत्य वाणी में सौहार्द, सत्य के प्रेम की प्रीत है। सत्य ईमान है, इज्जतदार है हर इक प्राणी का श्रृंगार है। सत्य में लाज़ है, लिहाज़ है ज़िंदगी जीने का आधार है। सत्य में संस्कारों की संहिता भारतीय समाज की संस्कृति है, चाँद-सूरज, नभ-धरा सत्य सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड, सत्य प्रकृति है। पवित्र गुरु-ग्रंथ साहब है सत्य सत्य है रामायण और पुराण, ऋषि-मुनियों, की वाणी सत्य सत्य है वास्तविक पाक कुरान। सत्य अहिंसा, पुण्य कर्म है अखंड-अमिट, सत्य अटल है, राजा हरिश्चन्द्र जी है सत्य युगांतर है सत्य, आज-कल है। सत्य पथ पर चलना सदैव सत्य हमारे पूर्वजों की रीत है, वक़्त लगता है सत्यता को हाँ धर्म और सत्य की जीत है। परिचय :- विकाश बैनीवाल पिता : श्री मांगेराम बैनीवाल निवासी...
दिवाली के दीप जलाये
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दिवाली के दीप जलाये

मनीषा जोशी खोपोली (महाराष्ट्र) ******************** आओ मिलकर दीप जलाये। हर घर आँगन मै रंगोली सजाये। वनवास पूरा कर आये भगवन। अयोध्या के मन भाये भगवन। लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती का करे पूजन। घर घर जाये करने मिलन। हम अपने दिलों से नफरतों को मिटायेँगे! अपने घरों में हम आज स्नेह के दीप जलाएंगे! मन के अँधेरो को दूर कर खुशियों के बादल बरसायेंगे। दीए की ज्वाला में छल कपट ईर्ष्या को जलायेंगे। हम एकता ओर सदभावना का सबक सिखायेंगे। आज रात हम सब दिव्य दीप जलायेंगे। परिचय : मनीषा जोशी निवासी : खोपोली (महाराष्ट्र) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवान...
ठंडी-ठंडी हवा
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ठंडी-ठंडी हवा

बबली राठौर पृथ्वीपुर टीकमगढ़ (म.प्र.) ******************** ठंडी-ठंडी हवा चले तुम्हारे लेकर दिल का पैगाम मस्ती में झूमें लहरा तुम्हारे लेकर दिल का पैगाम समा और है सुहावना ये जो भा रहा है दिल को मेरे कुछ पलों के लिए दिलबर आज जागे हैं अरमान मेरे नाचूँ और झूमूँ नहीं हैं ये पैर आज जमीं पर मेरे देखती हूँ जब उड़ते बादलों को लेकर दिल का पैगाम ठंडी-ठंडी.... आज इस दिल के फूल खिले हैं सनम मुहोब्बत के मेरे छेड़े दिल के तान दिल ये यादों के फसाने लिए मेरे जो बीते लम्हों की भरते हैं इस तन्हा दिल को मेरे देखती हूँ भँवरों को गाते गीत लेकर दिल का पैगाम ठंडी-ठंडी.... ये प्यार मेरा ना कम होगा जीवन में महबूब मेरे नाम हम लेते रहेंगे जब तक साँसे दिल में हैं मेरे जज्बात दिल ये समझेगा जब तक दिल में आशा है मेरे देखती हु मन अंतिष में जब कभी लेकर दिल का पैगाम ठंडी-ठंडी.... परिचय :- बबली राठौर निवासी - पृथ्वीपु...
बचपन का जमाना
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बचपन का जमाना

सपना मिश्रा मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** याद आता है। वो गुजरा जमाना, बहुत याद आता है। मिट्टी की सोंधी खुशबू, वो गांवों की हरियाली, वो पेड़ों की डाली, बहुत याद आता है। वो खेती और बारी, फसलों पर बैठ, चिड़ियों का चहचहाना, मचान पर चढ़कर जोर-जोर से चिल्लना, बहुत याद आता है। बारिश का पानी, वो कागज के नाव, उसमें चींटी की सवारी, बहुत याद आता है। वो पत्थर और पानी, वो गुल्ली और डंडा, वो छुप्पम-छुपाई, बहुत याद आता है। ऊंचाई से तालाबों में कूदना और छपाक की आवाज़ आना, वो झुंडो की मस्ती, एक अलग सा याराना, बहुत याद आता है। दादी नानी की कहानी, मां का लोरी सुनाना, स्कूल ना जाने का, हर रोज एक नया बहाना बनाना, बहुत याद आता है। याद आता है, वो बचपन का जमाना बहुत याद आता है। परिचय :- सपना मिश्रा निवासी : मुंबई (महाराष्ट्र) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं...
मैं बच्चा हूँ
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मैं बच्चा हूँ

डॉ. रश्मि शुक्ला प्रयागराज उत्तर प्रदेश **************** आज कल बहुत मजा आ रहा है, बहुत आनन्द ही आनन्द आ रहा है । दिन भर खुब शोर मचाया जाता है , मौज मस्ती से दिन बिताया जाता है । दादीदादा पापामम्मी दीदी चाचाचाची, सम्पूर्ण भारतबन्द घर में हुड़दंग मची। न स्कुल, बस्ते का बोझ न उठाएगें, सुहावन प्यारे दिन हम भुल न पायेगें । होली से दीपावली मैंने छुट्टी मनाई है, आप बड़ो ने यह खुशियाँ नहीँ पाई है। करोना सेअब सबकी नहीं मजबूरी, सेनेटाईजर, साबुन, मास्क, दो गज दुरी। परिचय :- डॉ. रश्मि शुक्ला निवासी - प्रयागराज उत्तर प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak1...
दीवाली उसे भी मनानी है
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दीवाली उसे भी मनानी है

अभिषेक शुक्ला सीतापुर (उत्तर प्रदेश) ******************** "दीवाली उसे भी मनानी है, दीपक भी उसे जलाने है। पिछ्ले साल न बिके थे दिये, इस साल भी दुकान सजा ली है। चका चौंध की इस दुनिया में, कौन पूछता है मिट्टी के दीपो को। सब मस्ती मे झूम रहे है, कौन पूछेंगा फिर इन गरीबो को। बीच बाज़ार मे है दुकान उसकी, वह तो अरमान सजाये बैठा है। आशा है बिकेंगे दीप भी उसके, वह तो टकटकी लगाये बैठा है। दीवाली उसे भी मनानी है। दीपक भी उसे जलाने है।।" परिचय : अभिषेक शुक्ला निवासी : सीतापुर (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवान...
सुरूर और गुरुर
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सुरूर और गुरुर

माधुरी व्यास "नवपमा" इंदौर (म.प्र.) ******************** चाँद से चाँदनी जब चैन से सरसती है, निगाह ए चकोर तब चाँद को तरसती है। गरजते है बदल तो बिजली कड़कती है. हो घोर अंधेरा, तो रोशनी चमकती है। रोता है जब बदल, तो बूंदे बिछड़ती है, स्वाति की बूंद को तब सीप तरसती है। प्रचंड शीत जब धूप से पिघलती है, बुझी राख में भी चिंगारी चटकती है। दिन के उजाले पर काली चादर तनती है, जलती रहती है शमा रोशनी बिखरती है काली बदली मतवाली होकर उमड़ती है, मयूर की आँखें पाँव देखकर बरसती है। किनारे के नम्र पेड़ तो झुक जाते हैं, जब नदी सागर की तरफ उफनती है। उखड़ते है वो मगरूर दरख़्त, ऐ "नवपमा"! जिनकी गर्दने गुरुर से सदा ही तनती है। परिचय :- माधुरी व्यास "नवपमा" निवासी - इंदौर म.प्र. सम्प्रति - शिक्षिका (हा.से. स्कूल में कार्यरत) शैक्षणिक योग्यता - डी.एड, बी.एड, एम.फील (इतिहास), एम.ए. (हिंदी साहित्य) घोषणा पत्र : मैं य...
सरहद पर चाँद
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सरहद पर चाँद

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, जिला-गोण्डा, (उ.प्र.) ******************** आज करवा चौथ है मगर थोड़ा अफसोस भी है कि मेरी चाँद अपनी चाँदनी से दूर सरहद की निगहबानी में मगशूल है। फिर भी मुझे अपने चाँद पर गर्व है, माँ भारती की सेवा/रक्षा सबसे पहला धर्म है। माना कि मेरा चाँद मुझसे दूर है, तो क्या हुआ? मैं तो मन वचन कर्म से अपना कर्तव्य निभाऊंगी, खूब सज सवंर कर नई नवेली दुल्हन बन मन के भावों से अपने साजन को दिखाऊंगी, हँसी खुशी व्रत, पूजा पाठ कर सारे धर्म निभाऊंगी, माँ पार्वती, शिव,गणेश, करवा माई से अपनी अरदास लगाऊँगी, पति की सलामती का आर्शीवाद लेकर रहूंगी, चंद्रदेव का दर्शन कर अर्घ्य चढ़ाऊँगी आरती उतारुँगी, फिर अपने चाँद का चाँद में ही दीदार करुँगी, तब जल ग्रहणकर करवा चौथ का सुख पाऊंगी, खुशी से अपने चाँद की खातिर जी भरकर नाचूंगी, इतराऊँगी। परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव जन्मतिथि : ०१.०७.१९६९ पिता : ...
मुफलिसी में भी मजा है
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मुफलिसी में भी मजा है

होशियार सिंह यादव महेंद्रगढ़ हरियाणा ******************** तुलसीदास गंगा के तट पर, मुफलिसी दिन रात बिताये, उनकी सच्ची भक्ति देखकर, खुद श्रीराम मिलने को आये। मुफलिसी में नरसी भगत ने, प्रभु भक्ति का छोड़ा न साथ, श्रीकृष्ण भात भरने आये थे, आया पकड़ा नरसी का हाथ। मुफलिसी में दिन बिताये थे, गरीब सुदामा करता विनती, श्रीकृष्ण ने आकर घर भरा, दौलत नहीं, हो पाई गिनती। सबरी प्रभु भजन कर रही, मुफलिसी में बिताती दिन, ईश्वर श्रीराम, पहुंचे मिलने, झूठे बेर खिलाये गिन गिन। रैदास को कौन नहीं जानता, मुफलिसी उनके काम आई, गंगा में जब पैसा फेंका था, सुन रैदास, गंगा हाथ बढ़ाई। मन चंगा तो कटौती में गंगा, गरीबी,भक्ति दोनों ही दर्शाता, रैदास की गरीबी और भक्ति, रह-रहकर मन को तरसाता। नामदेव,कबीर और त्रिलोचन, सधना, सैनु निम्र वर्ग कहलाए, भक्तिभाव दिल में अति जागा, ईश्वर के वो बहुत पास आए। मुफलिस हो जन जन के ...
देखो वो चांद आया
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देखो वो चांद आया

रश्मि श्रीवास्तव “सुकून” पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** देखो वो चांद आया करवा का चांद आया कही बदलो में छुपता कही डूबता निकलता वो देखो चांद आया करवा का चांद आया खेले छुपन छुपाई देते तूझे दहाई वो देखो चांद आया इठलाता चांद आया बलखाता चांद आया उसका गुरुर देखो उसको जरूर देखो कैसा सलोना दिखता वो देखो चांद आया करवा का चांद आया साजो श्रृंगार देखो रूपसी का हार देखो वो चांद सा है दिखता पर चांद को है तकता देखो वो चांद आया करवा का चांद आया सोलह श्रृंगार करके व्रत और उपवास करके निर्जल बिताये है दिन गिन गिनकर ये पल छिन तब जाकर कहीं वो आया वो देखो चांद आया करवा का चांद आया सखियों ये अर्ध्य देकर नैवैद्य से सजाकर कर लो यही विनती सौभाग्य की हो वृद्घि कर लो ये व्रत अब पूरी सब कामना हो पूरी देखो वो चांद आया करवा का चांद आया परिचय : रश्मि श्रीवास्तव “सुकून” निवासी : मुक्तनगर, पदमनाभपुर दुर्ग ...
दीपावली त्यौहार
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दीपावली त्यौहार

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** दीपावली त्यौहार का आगमन आने वाला दीपावली का त्यौहार है, वीरेन्द्र यादव का सादर नमस्कार है। जो दीपावली का त्यौहार आ जाये, सबके चेहरे पर खुशियाँ छा जाये। दीपावली के बोनस का सबको है इन्तजार, देखों आने वाला है दीपावली खुशियों का त्यौहार। जो दीपावली का बोनस सबका आ जाये, सबका मन प्रसन्नऔर प्रफुल्लित हो जाये। दियों की रोशनी से सज जाता हमारा घर-द्वार, हम एक-दूसरे को खुशी-खुशी बांटते हैं उपहार। यह त्यौहार भाई-चारे का सौहार्दपूर्ण व्यवहार बनाये, एक-दूसरे को गले से गले मिलना सिखलाये। सब बच्चे मिल फुलझडियाँ छुडाये, खुशी-खुशी एक-दूसरे को मिठाई खिलाये। इस त्यौहार में जो करे पटाखो से मनमानी, उसको वो याद दिला दे उसकी नानी। जो पटाखे फोड़ने से पहले पास रखे पानी, वही है सच्चे व अच्छे माँ-बाप होने की निशानी। हम इस दिन बच्चों को बिल्कुल नहीं डा...
रामचरित मानस जगती पर
कविता

रामचरित मानस जगती पर

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** रामचरित मानस जगती पर, हर युग में सुखदाई है। रामकथा लिखकर तुलसी ने, जन-जन तक पहुँचाई है। रघुकुल के आदर्श पुरुष के, कोटि-कोटि अनुयायी हैं। चाहे कितने भी रावण हों, हर युग में भूशायी हैं। श्रीराम का शैशव अद्भुत, अतुलनीय तरुणाई है। रामकथा लिखकर तुलसी ने, जन-जन तक पहुँचाई है। जनकसुता भी राजमहल तज, साथ नाथ के वन आईं। रहीं सतत प्रतिकूल दशा में, कष्ट सहे पर मुस्काईं। सीता जी-सी गरिमा जग में , नहीं किसी ने पाई है। रामकथा लिखकर तुलसी ने, जन-जन तक पहुँचाई है। रही उर्मिला राजमहल में, सहती रही विरह के पल। उधर लक्ष्मण निज भ्राता की सेवा मे रत थे अविरल। दुर्लभ इस धरती पर अब तो मिलना ऐसा भाई है। रामकथा लिखकर तुलसी ने, जन-जन तक पहुँचाई है। श्रद्धावान सुखद सेवा में, नतमस्तक संलग्न रहे। दशा-दिशा भी भूल गए वे, सहज भाव में मग्न रहे। शबरी-केवट की श्र...
मेरा जिस्म
कविता

मेरा जिस्म

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** मेरा जिस्म जैसे कब्रिस्तान हो गया नश्वर शरीर मे अमर आत्मा लिए हूँ सांसे ही भारी लगने लगी है अब तो फिर भी रिश्तों का बोझ लिए लिए हूँ किसी से मिलने को जी नही करता मैं हर किसी के कदम चुम लिए हूँ तेरे लिए जान दे देंगे वो कहा करते वो सिर्फ बातें ही थी परख लिए हूँ अपनी परेशानी को खुद कंधा देना है वक़्त और तजुर्बे से मैं सिख लिए हूँ दर्द बताएगा तो लोग तुझ पर हँसेंगे इसीलिए मैं होठों पर मुस्कान लिए हूँ परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित कर...
भोली प्रार्थना
कविता

भोली प्रार्थना

डॉ. पंकजवासिनी पटना (बिहार) ******************** गर्वीले चाँद के आलोक में! उसका अक्षत आशीष ले!! चलनी के आवरण में!!! जो देखा तुम्हें : तेरे अधरों पर थिरक उठी उषा - सी गुलाबी मुस्कान में देखी मैंने अपनी अरुणाभ छवि!! और पा गई अपनी जन्मभर की तपस्या और समर्पण का सुफल!! सारे सिंदूरी सपने! सजन तुझसे हुए अपने!! तुम्हारे प्रीत की यह रागारुण चूनर! सदा रहे मेरे माथ!! अखंड सौभाग्य बन!!! ताउम्र नसीब होती रहे तेरे हाथों पारणा का ये पहला निवाला! तुम मेरे भोले मन की निश्चल प्रार्थना!! मीत! तुझ संग लिखूँ प्रीत की अमिट इबारत!!! परिचय : डॉ. पंकजवासिनी सम्प्रति : असिस्टेंट प्रोफेसर भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय निवासी : पटना (बिहार) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक म...
मौत के कारोबारी
कविता

मौत के कारोबारी

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी लखनऊ (उ.प्र.) ******************** समाज में भरे हैं ये मौत के कारोबारी आतंक का कफन ओढ़े हुए, सुदूर तक हर तरफ गोली और बारूद से सजते हैं नित नए बाजार इनके कौड़ियों के मोल बिक रही इंसानों की जिंदगी अपने ही अपनों के खून के प्यासे हो रहे। इस आतंक" का ना कोई धर्म है ना कोई जाति, ना ही है कोई भगवान या खुदा इनका, ईमान की बातों से ना ही रहा इनका सरोकार। घरों के चिराग बुझ गए इनकी हैवानियत से, सिंदूर धुल गया हर ओर पानी से सिसकियां भी दबी सी सुनाई देती हैं तिनका तिनका पूछ रहा है ये सवाल.... ये इंसान हैं या मौत के कारोबारी ???? परिचय :- श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी पति : श्री राकेश कुमार चतुर्वेदी जन्म : २७ जुलाई १९६५ वाराणसी शिक्षा : एम. ए.,एम.फिल – समाजशास्त्र,पी.जी.डिप्लोमा (मानवाधिकार) निवासी : लखनऊ (उ.प्र.) विशेष : साहित्यिक पुस्त...
हाय रे पैसा
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हाय रे पैसा

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** पैसे के लिए तु दिन-रात काहे को जागे, पैसे के पीछे काहे बार-बार तु भागे। माना कि तु पैसे से बढ़ जाता सबसे आगे, काहे तुमने छोड़ दिये पैसे के कारण मानवता के रिस्तेऔर धागे। काहे तु बार बार पैसे के पीछे भागे, काहे तु पैसे के लिए दिन-रात जागे। माना कि पैसे से तु बन जाता धनवान, फिर भी इस दुनिया में सबसे बड़ा है भगवान। काहे तु पैसे के लिए अधर्म पे अधर्म करता जाये, सबसे बड़ा है मानव धर्म तु उसको काहे को भुलाये। मानव तु पैसे के लिए दिन-रात जागे करता हाय-हाय, एक दिन सब कुछ छोड़ के चल दोगे करके टाटा बाय-बाय। काहे तु पैसे के पीछे भागा जाये, काहे तु पैसे के पीछे भागा जाये। अति से किसी का कभी भी हुआ नहीं भला, दिन-रात मानव तु पैसे के पीछे-पीछे क्यू चला। अति भला न पैसे कमाना,अति भला न पैसे का खर्चाना, अति तुम कभी किसी का करना ना, न...
बहुत याद आता है
कविता

बहुत याद आता है

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** तुम्हारा मुझे एक टक निहारना मुझें बहुत याद आता है, तुम्हारा दुपट्टे में मुँह छिपा कर मुस्कुराना, मुझें बहुत याद आता है, नित्य नये-नये खत लिख कर देना, मुझें बहुत याद आता है, ऊपर से गुस्सा होना और भीतर ही भीतर मुझें दिल से मानना, मुझें बहुत याद आता है, तुम्हारा मुझपर अपना हक़ जमाना, मुझें बहुत याद आता है, मुझसे रूठना, बातें ना करना लेकिन मेरी खुशियों की दुआ करना, मुझें बहुत याद आता है, छुप-छुप कर मेरा स्टेटस देख मुझे याद करना, मुझें बहुत याद आता है, मेरी छोटी-छोटी बातों पर मुझसे झगड़ा करना, मुझें बहुत याद आता है, मेरी धड़कनों को अपना एहसास बनाना, मुझें बहुत याद आता है, मेरी हर एक रचना को दिल से पढ़ना, मुझें बहुत याद आता है, तुम्हें अपने प्यारे सूट मे देखना, मुझें बहुत याद आता है, तुम्हारे अधरों का रक्तिम लिपस्टिक, मुझें बहुत याद आ...
सरदार पटेल
कविता

सरदार पटेल

डॉ. भावना सावलिया हरमडिया (गुजरात) ******************** अद्वितीय गौरवान्वित गुजरात की गरिमा के मुकुटमणि। गरिमामय भारत के स्वतंत्र चेता मंगल कामना के शिरोमणी।। अखण्ड भारत के श्रेष्ठ निर्माता राष्ट्र के हो तू शौर्य वीर सपूत। तुझे करते हैं हम शत् शत् नमन भारतीय आत्मा के सपूत।। ३१ अक्टूबर, १८७५ को प्रकाशित हुआ भारत का नक्षत्र। सजी माँ भारती की आरती बिखरे खुशियों के नूर सर्वत्र।। झवेरभाई-लाडबा के कुलदीपक का चारो ओर तेज जगमगाया। भारत फूला न समाया सबके हृदय स्नेह-भाव जगाया।। कर्त्तव्य-निष्ठा का अडिग शिखर जनहित का तू नायक अनोखा। सुख-दुख में तू स्थित प्रज्ञ हिमालय सी उत्तुंग श्रृँग शिखा।। पत्नी देहांत का ग़म पी के वकालत का किया काम दिल से। किसीको भास न होने दिया न्याय दिलाया सत्कर्म से।। समाज संगठन के कुशल नेता राजनीति में तू सत् का श्रेष्ठा। राष्ट्रीय एकत...
बना दुश्मन जमाना
कविता

बना दुश्मन जमाना

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** तुम दिल में क्या बसी बना दुश्मन जमाना नज़र ऊपर उठाते हम बना दुश्मन जमाना सदियों से ख्वाब तुम्हारा ही देखा मैंने मालूम होने लगा बना दुश्मन जमाना मुहब्बत-ए-जिंदगी खुशहाल बन गई यारों रहा न गया हबीबों से बना दुश्मन जमाना हरिफों का यही मशगला 'मोहन' कैसे तोड़े कुछ न कर सके फ़कत बना दुश्मन जमाना देर है अंधेर नहीं इंतजार है इशारा-ए-खुदा मुहब्बत करने वाले का बना दुश्मन जमाना शब्दार्थ- मशगला- मुद्धा, उदेश्य, बस यही एक कार्य परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिच...
अन्तर्द्वन्द
कविता

अन्तर्द्वन्द

मुकेश गाडरी घाटी राजसमंद (राजस्थान) ******************** उसका संघर्ष दु:ख मय हुआ होगा, जब उसकी कड़ी मेहनत रंग लाई प्रतिस्पर्धियों मे से आगे निकला तब सबको जो पीछे छोड़ कर वो मे नई -नई कल्पना करता हूँ.... क्योंकि मे अन्तर्द्वन्द मे रहता हूँ.... देश से प्यार करने वाले भगत सिंह है जो कभी ना मोत से डरते हो बात आए जब मातृभूमि पर तब सामने कोंन ये कोई ना बतलाता हो मे नई -नई कल्पना करता हूँ.... क्योंकि मे अन्तर्द्वन्द मे रहता हूँ.... कनक को आग में पीटते हैं बना आकार अच्छा तो बिकता जो ना तो पुनः पिट जाता हैं हमे भी इसकी तरह बन जाना है मे नई -नई कल्पना करता हूँ.... क्योंकि मे अन्तर्द्वन्द मे रहता हूँ.. परिचय :- मुकेश गाडरी शिक्षा : १२वीं वाणिज्य निवासी : घाटी (राजसमंद) राजस्थान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कव...