साथ हर कोई नहीं देता
श्वेतल नितिन बेथारिया
अमरावती (महाराष्ट्र)
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हकीकत को छिपा जाते हो
हजार किस्से सुना जाते हो!
कभी गुस्सा तो कभी प्यार
यूँ नाज,नखरे उठा जाते हो!
साथ हर कोई नहीं देता यहाँ
उम्मीद सबसे लगा जाते हो!
जो दिल ने चाहा हुआ कब
फ़ज़ूल सपने सजा जाते हो!
साथ जिसके हंसे जी भर के
अब उसी को रुला जाते हो!
परिचय :- श्वेतल नितिन बेथारिया
निवासी- अमरावती (महाराष्ट्र)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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