व्योम के बादल
मनोरमा जोशी
इंदौर म.प्र.
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व्योम के बादल बहा ले,
नीर तू,
देख धरती रो रही है।
रो रही सारी दिशाऐं,
ज्वार सागर में उठा है,
रो रही जग की हवाऐं।
व्योम के बादल बटा,
ले पीर तू।
रो रहे पाषाण जिन पर,
खेलते निर्झर बहे है,
रात दिन सरवर रहे हैं।
व्योम के बादल हटाले,
नीर तू।
रो रहा मेरा हर्दय है,
रो रहे है नैन मेरे।
जल रही ज्वाला विरह की
जल रहे सुख चैन मेरे।
व्योम के बादल बंधा दे,
धीर तू।
व्योम के बादल बहा ले,
नीर तू।
परिचय :- श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है।
शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है।
कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहि...