वसंत गीत
रशीद अहमद शेख 'रशीद'
इंदौर म.प्र.
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मधुर भूतकालीन क्षणों को,
मानस पट पर लाता है।
मन में प्रेम हिलोरें लेता,
जब वसंत आ जाता है।
जब मन प्रिय की यादों में खो,
मौन-मुखर संवाद करे।
अनुरागी अंतर का उपक्रम,
तन-मन का संताप हरे।
नयन चमकते हैं उत्साही,
हर्षित उर इठलाता है।
मन में प्रेम हिलोरें लेता,
जब वसंत आ जाता है।
हृदय कल्पना लोक लीन है,
धड़कन 'प्रिय-प्रिय' गाती है।
हवा वही परिचित प्रिय सौरभ,
सांसों में भर जाती है।
अभिलाषा-सागर अंतर में,
बार-बार लहराता है।
मन में प्रेम हिलोरें लेता,
जब वसंतआ जाता है।
आदिकाल से प्रीति धरा पर,
दिशा-दिशा में छाई है।
मनुज ही नहीं जड़-चेतन ने,
इसकी महिमा गाई है।
सुखद प्रेम का धरा-गगन से,
युगों-युगों से नाता है।
मन में प्रेम हिलोरें लेता,
जब वसंत आ जाता है।
परिचय - रशीद अहमद शेख 'रशीद'
साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’
जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१
जन्म स्थान...