प्रीत की पाती लिखे, सीता प्रिये प्रभु राम को
विमल राव
भोपाल मध्य प्रदेश
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प्रीत की पाती लिखे, सीता प्रिये प्रभु राम को।
प्रीत की पाती लिखे, राधा दिवानी श्याम को॥
प्रीत के श्रृंगार से, मीरा भजे घनश्याम को।
प्रीत पाती पत्रिका, तुलसी लिखे श्री राम को॥
प्रीत की पाती बरसती, इस धरा पर मैघ से।
प्रीत करती हैं दिशाऐं, दिव्य वायु वेग से॥
प्रीत पाती लिख रहीं हैं, उर्वरा ऋतुराज को।
हैं प्रतिक्षारत धरा यह, हरित क्रांति ताज़ को॥
प्रीत पाती लिख रहीं माँ, भारती भू - पुत्र को।
छीन लो स्वराज अपना, प्राप्त हों स्वातंत्र को॥
धैर्य बुद्धि और बल से, तुम विवेकानंद हों।
विश्व में गूंजे पताका, तुम वो परमानंद हो॥
प्रीत पाती लिख रहा हूँ, मैं विमल इस देश को।
तुम संभल जाओ युवाओ, त्याग दो आवेश को॥
वक़्त हैं बदलाव का, तुमभी स्वयं कों ढाल लो।
विश्व में लहराए परचम, राष्ट्र कों सम्भाल लो॥
परिचय :- विमल राव "भोपाल"
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